पिछले 40 वर्षों में ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव के चलते गोलपाड़ा जिले के 472 गांव खत्म हो गए, जिससे हजारों लोग बेघर और भूमिहीन हो गए हैं।

असम के गोलपाड़ा जिले में अधिकारियों ने शनिवार को पाईकान रिजर्व फॉरेस्ट की 140 हेक्टेयर जमीन खाली करवाई, जिससे 1,080 परिवार बेघर हो गए। इनमें अधिकांश बंगाली मूल के मुस्लिम थे।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्रवाई धुबरी जिले में 3,500 बीघा (450 हेक्टेयर से अधिक) जमीन से लगभग 1,400 बंगाली मूल के मुस्लिम परिवारों को बेदखल किए जाने के कुछ ही दिनों बाद हुई, जिससे वे बेघर हो गए।
अधिकारियों ने बताया कि यह जमीन कृष्णाई रेंज के तहत पाईकान रिजर्व फॉरेस्ट में आती है।
हालांकि, निवासियों का कहना है, “लोग यहां उस समय से रह रहे हैं जब इसे रिजर्व फॉरेस्ट घोषित नहीं किया गया था।”
असम सरकार ने 1959 में पाईकान को रिजर्व फॉरेस्ट घोषित करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे 1982 में अंतिम रूप दिया गया।
स्क्रॉल ने बिद्यापारा राजस्व गांव के निवासी 28 वर्षीय मिजानुर रहमान के हवाले से लिखा, जिसका घर इस बेदखली के दौरान तोड़ दिया गया, “हमारे पास कहीं और जमीन नहीं है।”
यह बेदखली 16 जून को गोलपाड़ा शहर के पास हसिलाबील नाम की आर्द्रभूमि में 690 परिवारों के घरों को तोड़े जाने के बाद की गई है।
स्क्रॉल के अनुसार, पिछले एक महीने में असम के चार जिलों में कम से कम पांच बेदखली अभियानों में लगभग 3,500 परिवारों को विस्थापित किया गया है।
एक रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले 40 वर्षों में ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव के चलते गोलपाड़ा जिले के 472 गांव खत्म हो गए, जिससे हजारों लोग बेघर और भूमिहीन हो गए हैं।
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष जीतन दास और सचिव वाजेद अली के हवाले से न्यूज वेबसाइट ने बताया, “इनमें से कई लोगों के पास जीवनयापन का कोई और साधन नहीं था, इसलिए उन्होंने पीआरएफ की जमीन पर सिर छुपाने के लिए एक झोपड़ी बना ली।”
ज्ञात हो कि असम सरकार ने बीते सप्ताह मंगलवार को अपने सबसे बड़े बेदखली अभियान को अंजाम देते हुए धुबरी जिले में जमीन से करीब 1,400 बंगाली मूल के मुस्लिम परिवारों को हटा दिया। इस ज़मीन पर प्रस्तावित 3,200 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट का निर्माण होना है।
बेदखली की यह कार्रवाई मंगलवार तड़के चरुआबखरा, संतोषपुर और चिरकुटा पार्ट-1 नामक तीन गांवों में शुरू हुई। इस परियोजना की अगुवाई कर रही असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) को पहले ही जमीन का आवंटन मिल चुका है।
स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्रवाई से करीब 10,000 लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से अधिकांश तीन से चार दशकों से यहां रह रहे थे। ये परिवार ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से विस्थापित हुए लोग हैं, जिन्होंने अपना पुश्तैनी घर खो दिया था।
बेदखली से एक दिन पहले, सोमवार को ही पुलिस और बुलडोजर इलाके में पहुंच गए थे। कार्रवाई के दौरान कुछ लोगों ने विरोध किया और बुलडोज़रों पर पथराव किया, जिससे लगभग तीन मशीनें क्षतिग्रस्त हो गईं। इसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया।
वहीं, 26 दिसंबर 2022 को असम के बारपेटा ज़िले के कनारा सतरा क्षेत्र में लगभग 40 परिवारों को कथित अवैध अतिक्रमण के कारण बेदखल किया गया था। इससे एक सप्ताह पहले नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाना क्षेत्र में एक और बड़ा बेदखली अभियान चलाया गया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि कनारा सतरा में कई साल पहले 400 बीघा ज़मीन पर अतिक्रमण किया गया था। अधिकारी ने कहा था, "करीब 400 लोगों को आज निकाला गया। 45 से 60 संरचनाओं में से सभी अर्ध-स्थायी थीं, जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया। निकाले गए लोगों की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ, पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न हुई।"
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असम के गोलपाड़ा जिले में अधिकारियों ने शनिवार को पाईकान रिजर्व फॉरेस्ट की 140 हेक्टेयर जमीन खाली करवाई, जिससे 1,080 परिवार बेघर हो गए। इनमें अधिकांश बंगाली मूल के मुस्लिम थे।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्रवाई धुबरी जिले में 3,500 बीघा (450 हेक्टेयर से अधिक) जमीन से लगभग 1,400 बंगाली मूल के मुस्लिम परिवारों को बेदखल किए जाने के कुछ ही दिनों बाद हुई, जिससे वे बेघर हो गए।
अधिकारियों ने बताया कि यह जमीन कृष्णाई रेंज के तहत पाईकान रिजर्व फॉरेस्ट में आती है।
हालांकि, निवासियों का कहना है, “लोग यहां उस समय से रह रहे हैं जब इसे रिजर्व फॉरेस्ट घोषित नहीं किया गया था।”
असम सरकार ने 1959 में पाईकान को रिजर्व फॉरेस्ट घोषित करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे 1982 में अंतिम रूप दिया गया।
स्क्रॉल ने बिद्यापारा राजस्व गांव के निवासी 28 वर्षीय मिजानुर रहमान के हवाले से लिखा, जिसका घर इस बेदखली के दौरान तोड़ दिया गया, “हमारे पास कहीं और जमीन नहीं है।”
यह बेदखली 16 जून को गोलपाड़ा शहर के पास हसिलाबील नाम की आर्द्रभूमि में 690 परिवारों के घरों को तोड़े जाने के बाद की गई है।
स्क्रॉल के अनुसार, पिछले एक महीने में असम के चार जिलों में कम से कम पांच बेदखली अभियानों में लगभग 3,500 परिवारों को विस्थापित किया गया है।
एक रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले 40 वर्षों में ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव के चलते गोलपाड़ा जिले के 472 गांव खत्म हो गए, जिससे हजारों लोग बेघर और भूमिहीन हो गए हैं।
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष जीतन दास और सचिव वाजेद अली के हवाले से न्यूज वेबसाइट ने बताया, “इनमें से कई लोगों के पास जीवनयापन का कोई और साधन नहीं था, इसलिए उन्होंने पीआरएफ की जमीन पर सिर छुपाने के लिए एक झोपड़ी बना ली।”
ज्ञात हो कि असम सरकार ने बीते सप्ताह मंगलवार को अपने सबसे बड़े बेदखली अभियान को अंजाम देते हुए धुबरी जिले में जमीन से करीब 1,400 बंगाली मूल के मुस्लिम परिवारों को हटा दिया। इस ज़मीन पर प्रस्तावित 3,200 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट का निर्माण होना है।
बेदखली की यह कार्रवाई मंगलवार तड़के चरुआबखरा, संतोषपुर और चिरकुटा पार्ट-1 नामक तीन गांवों में शुरू हुई। इस परियोजना की अगुवाई कर रही असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) को पहले ही जमीन का आवंटन मिल चुका है।
स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्रवाई से करीब 10,000 लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से अधिकांश तीन से चार दशकों से यहां रह रहे थे। ये परिवार ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से विस्थापित हुए लोग हैं, जिन्होंने अपना पुश्तैनी घर खो दिया था।
बेदखली से एक दिन पहले, सोमवार को ही पुलिस और बुलडोजर इलाके में पहुंच गए थे। कार्रवाई के दौरान कुछ लोगों ने विरोध किया और बुलडोज़रों पर पथराव किया, जिससे लगभग तीन मशीनें क्षतिग्रस्त हो गईं। इसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया।
वहीं, 26 दिसंबर 2022 को असम के बारपेटा ज़िले के कनारा सतरा क्षेत्र में लगभग 40 परिवारों को कथित अवैध अतिक्रमण के कारण बेदखल किया गया था। इससे एक सप्ताह पहले नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाना क्षेत्र में एक और बड़ा बेदखली अभियान चलाया गया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि कनारा सतरा में कई साल पहले 400 बीघा ज़मीन पर अतिक्रमण किया गया था। अधिकारी ने कहा था, "करीब 400 लोगों को आज निकाला गया। 45 से 60 संरचनाओं में से सभी अर्ध-स्थायी थीं, जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया। निकाले गए लोगों की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ, पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न हुई।"
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