पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के एक निवासी को असम के विदेशी न्यायाधिकरण से एक नोटिस मिला है। इस नोटिस में उनसे 15 जुलाई तक नागरिकता के दस्तावेज पेश करने या विदेशी घोषित किए जाने की बात की गई है।

फोटो साभार : द वायर
उत्तम कुमार ब्रजबासी ने कभी अपने जिले की सीमा पार नहीं की है और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करना तो दूर की बात है। इसके बावजूद, पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के दिनहाटा ब्लॉक-2 के चौधरीहाट ग्राम पंचायत के सादियार कुथिर गांव में रहने वाले उत्तम कुमार को असम के एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से जुड़े विदेशी न्यायाधिकरण से एक नोटिस मिला है। जनवरी में जारी इस नोटिस में उन्हें 15 जुलाई तक अपनी नागरिकता के दस्तावेज जमा करने या नहीं करने पर विदेशी घोषित किए जाने की चेतावनी दी गई है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दर-दर भटकते हुए ब्रजबासी ने कहा, ‘मैं कभी असम गया ही नहीं, फिर भी वे मुझे विदेशी बता रहे हैं। जनवरी में नोटिस मिलने के बाद मैंने अपने वकील के जरिए यहां अपने स्थायी निवास के सभी जरूरी दस्तावेज जमा कर दिए। हालांकि, वे ख़ास तौर पर मेरे पिता के मतदाता सूची रिकॉर्ड मांग रहे हैं।’
असम सरकार के नोटिस के अनुसार, ब्रजबासी पर 1 जनवरी, 1966 से 24 मार्च, 1971 के बीच बिना वैध दस्तावेजों के असम सीमा पार करके अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने का आरोप है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि उन्होंने निर्धारित समय सीमा के भीतर वैध नागरिकता दस्तावेज जमा नहीं किए।
मंगलवार को ब्रजबासी और उनके परिवार ने कानूनी सलाह लेने के लिए दिनहाटा बीडीओ कार्यालय में दिन बिताया।
राजबंशी ने बताया, "अधिकारी केवल 1966 और 1988 की मतदाता सूची की प्रतियां ही उपलब्ध करा पाए। असम के आरोपों और दस्तावेजों में पाई गई विसंगतियों को देखकर मैं बहुत बेबस महसूस करने लगा। इसी वजह से मंगलवार को मैंने कूचबिहार के जिला मजिस्ट्रेट को इन सभी घटनाओं का विवरण देते हुए एक पत्र सौंपा।"
इस मामले को लेकर राजनीतिक तेज हो गई है। सत्तारूढ़ पार्टी के एक खेमे ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताते हुए ब्रजबासी को कोलकाता लाकर मुख्यमंत्री के समक्ष अपना मुद्दा उठाने का प्रस्ताव रखा है।
संयोगवश, ब्रजबासी के पिता स्वर्गीय नरेंद्रनाथ ब्रजबासी, जिन्हें असम सरकार विदेशी घोषित करना चाहती है, चौधरीहाट ग्राम पंचायत के उप-प्रधान रह चुके हैं। उन्होंने 1978 में पश्चिम बंगाल के पहले पंचायत चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के समर्थन से यह पद हासिल किया था, इसकी पुष्टि आधिकारिक दस्तावेजों और स्थानीय निवासियों द्वारा भी की जाती है।
असम के कामरूप जिले के पुलिस अधीक्षक ने जनवरी में कूचबिहार के पुलिस अधीक्षक के माध्यम से ब्रजबासी को एक नोटिस भेजा था, जिसमें उन्हें निर्देश दिया गया था कि वे अपने पिता की 1970 से पहले से लेकर 2008 में उनकी मृत्यु तक की मतदाता सूचियों की सत्यापित प्रतियां जमा करें, जो उनकी लगातार उपस्थिति को प्रमाणित करती हों। यह दस्तावेज 15 जुलाई तक कामरूप न्यायालय में पहुंचना आवश्यक है, अन्यथा उन्हें विदेशी घोषित कर दिया जाएगा।
इस सप्ताह की शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष समीरुल इस्लाम ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठाया। दस्तावेज शेयर करते हुए उन्होंने सवाल किया कि असम की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ब्रजबासी को एनआरसी नोटिस कैसे भेज सकती है, जबकि उनका नाम पहली बार 1966 की मतदाता सूची में दर्ज हुआ था।
इस्लाम के बयान के बाद, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को असम में हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की कड़ी आलोचना की। ब्रजबासी का उल्लेख करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “वह 50 वर्षों से ज्यादा समय से बंगाल के निवासी हैं। उनके पास वैध पहचान पत्र होने के बावजूद, उन्हें विदेशी या अवैध प्रवासी होने के संदेह में परेशान किया जा रहा है।”
तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना को मतदाता सूची के प्रस्तावित स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (एसआईआर) और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की कथित कोशिश से जोड़ा है। उनका दावा है कि यह 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले बंगालियों को परेशान करने की एक राजनीतिक चाल है।
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फोटो साभार : द वायर
उत्तम कुमार ब्रजबासी ने कभी अपने जिले की सीमा पार नहीं की है और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करना तो दूर की बात है। इसके बावजूद, पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के दिनहाटा ब्लॉक-2 के चौधरीहाट ग्राम पंचायत के सादियार कुथिर गांव में रहने वाले उत्तम कुमार को असम के एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से जुड़े विदेशी न्यायाधिकरण से एक नोटिस मिला है। जनवरी में जारी इस नोटिस में उन्हें 15 जुलाई तक अपनी नागरिकता के दस्तावेज जमा करने या नहीं करने पर विदेशी घोषित किए जाने की चेतावनी दी गई है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दर-दर भटकते हुए ब्रजबासी ने कहा, ‘मैं कभी असम गया ही नहीं, फिर भी वे मुझे विदेशी बता रहे हैं। जनवरी में नोटिस मिलने के बाद मैंने अपने वकील के जरिए यहां अपने स्थायी निवास के सभी जरूरी दस्तावेज जमा कर दिए। हालांकि, वे ख़ास तौर पर मेरे पिता के मतदाता सूची रिकॉर्ड मांग रहे हैं।’
असम सरकार के नोटिस के अनुसार, ब्रजबासी पर 1 जनवरी, 1966 से 24 मार्च, 1971 के बीच बिना वैध दस्तावेजों के असम सीमा पार करके अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने का आरोप है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि उन्होंने निर्धारित समय सीमा के भीतर वैध नागरिकता दस्तावेज जमा नहीं किए।
मंगलवार को ब्रजबासी और उनके परिवार ने कानूनी सलाह लेने के लिए दिनहाटा बीडीओ कार्यालय में दिन बिताया।
राजबंशी ने बताया, "अधिकारी केवल 1966 और 1988 की मतदाता सूची की प्रतियां ही उपलब्ध करा पाए। असम के आरोपों और दस्तावेजों में पाई गई विसंगतियों को देखकर मैं बहुत बेबस महसूस करने लगा। इसी वजह से मंगलवार को मैंने कूचबिहार के जिला मजिस्ट्रेट को इन सभी घटनाओं का विवरण देते हुए एक पत्र सौंपा।"
इस मामले को लेकर राजनीतिक तेज हो गई है। सत्तारूढ़ पार्टी के एक खेमे ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताते हुए ब्रजबासी को कोलकाता लाकर मुख्यमंत्री के समक्ष अपना मुद्दा उठाने का प्रस्ताव रखा है।
संयोगवश, ब्रजबासी के पिता स्वर्गीय नरेंद्रनाथ ब्रजबासी, जिन्हें असम सरकार विदेशी घोषित करना चाहती है, चौधरीहाट ग्राम पंचायत के उप-प्रधान रह चुके हैं। उन्होंने 1978 में पश्चिम बंगाल के पहले पंचायत चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के समर्थन से यह पद हासिल किया था, इसकी पुष्टि आधिकारिक दस्तावेजों और स्थानीय निवासियों द्वारा भी की जाती है।
असम के कामरूप जिले के पुलिस अधीक्षक ने जनवरी में कूचबिहार के पुलिस अधीक्षक के माध्यम से ब्रजबासी को एक नोटिस भेजा था, जिसमें उन्हें निर्देश दिया गया था कि वे अपने पिता की 1970 से पहले से लेकर 2008 में उनकी मृत्यु तक की मतदाता सूचियों की सत्यापित प्रतियां जमा करें, जो उनकी लगातार उपस्थिति को प्रमाणित करती हों। यह दस्तावेज 15 जुलाई तक कामरूप न्यायालय में पहुंचना आवश्यक है, अन्यथा उन्हें विदेशी घोषित कर दिया जाएगा।
इस सप्ताह की शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष समीरुल इस्लाम ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठाया। दस्तावेज शेयर करते हुए उन्होंने सवाल किया कि असम की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ब्रजबासी को एनआरसी नोटिस कैसे भेज सकती है, जबकि उनका नाम पहली बार 1966 की मतदाता सूची में दर्ज हुआ था।
इस्लाम के बयान के बाद, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को असम में हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की कड़ी आलोचना की। ब्रजबासी का उल्लेख करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “वह 50 वर्षों से ज्यादा समय से बंगाल के निवासी हैं। उनके पास वैध पहचान पत्र होने के बावजूद, उन्हें विदेशी या अवैध प्रवासी होने के संदेह में परेशान किया जा रहा है।”
तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना को मतदाता सूची के प्रस्तावित स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (एसआईआर) और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की कथित कोशिश से जोड़ा है। उनका दावा है कि यह 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले बंगालियों को परेशान करने की एक राजनीतिक चाल है।
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