इस कार्रवाई से करीब 10,000 लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से अधिकांश पिछले तीन से चार दशकों से यहां रह रहे थे। ये परिवार मूल रूप से ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से उजड़े लोग हैं, जिन्होंने अपने पुश्तैनी घर नदी में खो दिए थे।

फोटो साभार : एचटी
असम सरकार ने मंगलवार को अपने अब तक के सबसे बड़े बेदखली अभियानों में से एक को अंजाम देते हुए धुबरी जिले में 3,500 बीघा (लगभग 450 हेक्टेयर) ज़मीन से करीब 1,400 बंगाली मूल के मुस्लिम परिवारों को हटा दिया। इस ज़मीन पर प्रस्तावित 3,200 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट का निर्माण होना है।
बेदखली की यह कार्रवाई मंगलवार तड़के चरुआबखरा, संतोषपुर और चिरकुटा पार्ट-1 नामक तीन गांवों में शुरू हुई। इस परियोजना की अगुवाई कर रही असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) को पहले ही ज़मीन का आवंटन मिल चुका है।
स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्रवाई से करीब 10,000 लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से अधिकांश तीन से चार दशकों से यहां रह रहे थे। ये परिवार ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से विस्थापित हुए लोग हैं, जिन्होंने अपना पुश्तैनी घर खो दिया था।
बेदखली से एक दिन पहले, सोमवार को ही पुलिस और बुलडोज़र इलाके में पहुंच गए थे। कार्रवाई के दौरान कुछ लोगों ने विरोध किया और बुलडोज़रों पर पथराव किया, जिससे लगभग तीन मशीनें क्षतिग्रस्त हो गईं। इसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया।
स्वतंत्र विधायक और रायजोर दल के प्रमुख अखिल गोगोई मंगलवार को बेदखल किए गए परिवारों से मिलने मौके पर पहुंचे। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से 165 एकड़ भूमि पर पुनर्वास की मांग करेंगे। हालांकि, पुलिस ने गोगोई को थोड़ी देर के लिए हिरासत में भी लिया।
गोगोई ने बाद में कहा, “यह बेदखली अवैध और असंवैधानिक है। मामला अभी गुवाहाटी हाई कोर्ट में लंबित है, फिर भी सरकार जबरन घरों को तोड़ रही है।”
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पिछले महीने इन गांवों का दौरा किया था और ऐलान किया था कि यह ज़मीन थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित की गई है। बताया जा रहा है कि सरकार इस परियोजना के लिए अदानी समूह के साथ बातचीत कर रही है।
सरमा ने आगे कहा कि सरकार 10 जुलाई को गोलपाड़ा जिले के पैकार इलाके (जो एक आरक्षित वन क्षेत्र है) में भी बेदखली अभियान चलाएगी।
ज्ञात हो कि 26 दिसंबर 2022 को असम के बारपेटा ज़िले के कनारा सतरा क्षेत्र में लगभग 40 परिवारों को कथित अवैध अतिक्रमण के कारण बेदखल किया गया था। इससे एक सप्ताह पहले नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाना क्षेत्र में एक और बड़ा बेदखली अभियान चलाया गया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि कनारा सतरा में कई साल पहले 400 बीघा ज़मीन पर अतिक्रमण किया गया था। अधिकारी ने कहा था, "करीब 400 लोगों को आज निकाला गया। 45 से 60 संरचनाओं में से सभी अर्ध-स्थायी थीं, जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया। निकाले गए लोगों की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ, पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न हुई।"
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फोटो साभार : एचटी
असम सरकार ने मंगलवार को अपने अब तक के सबसे बड़े बेदखली अभियानों में से एक को अंजाम देते हुए धुबरी जिले में 3,500 बीघा (लगभग 450 हेक्टेयर) ज़मीन से करीब 1,400 बंगाली मूल के मुस्लिम परिवारों को हटा दिया। इस ज़मीन पर प्रस्तावित 3,200 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट का निर्माण होना है।
बेदखली की यह कार्रवाई मंगलवार तड़के चरुआबखरा, संतोषपुर और चिरकुटा पार्ट-1 नामक तीन गांवों में शुरू हुई। इस परियोजना की अगुवाई कर रही असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) को पहले ही ज़मीन का आवंटन मिल चुका है।
स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्रवाई से करीब 10,000 लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से अधिकांश तीन से चार दशकों से यहां रह रहे थे। ये परिवार ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से विस्थापित हुए लोग हैं, जिन्होंने अपना पुश्तैनी घर खो दिया था।
बेदखली से एक दिन पहले, सोमवार को ही पुलिस और बुलडोज़र इलाके में पहुंच गए थे। कार्रवाई के दौरान कुछ लोगों ने विरोध किया और बुलडोज़रों पर पथराव किया, जिससे लगभग तीन मशीनें क्षतिग्रस्त हो गईं। इसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया।
स्वतंत्र विधायक और रायजोर दल के प्रमुख अखिल गोगोई मंगलवार को बेदखल किए गए परिवारों से मिलने मौके पर पहुंचे। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से 165 एकड़ भूमि पर पुनर्वास की मांग करेंगे। हालांकि, पुलिस ने गोगोई को थोड़ी देर के लिए हिरासत में भी लिया।
गोगोई ने बाद में कहा, “यह बेदखली अवैध और असंवैधानिक है। मामला अभी गुवाहाटी हाई कोर्ट में लंबित है, फिर भी सरकार जबरन घरों को तोड़ रही है।”
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पिछले महीने इन गांवों का दौरा किया था और ऐलान किया था कि यह ज़मीन थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित की गई है। बताया जा रहा है कि सरकार इस परियोजना के लिए अदानी समूह के साथ बातचीत कर रही है।
सरमा ने आगे कहा कि सरकार 10 जुलाई को गोलपाड़ा जिले के पैकार इलाके (जो एक आरक्षित वन क्षेत्र है) में भी बेदखली अभियान चलाएगी।
ज्ञात हो कि 26 दिसंबर 2022 को असम के बारपेटा ज़िले के कनारा सतरा क्षेत्र में लगभग 40 परिवारों को कथित अवैध अतिक्रमण के कारण बेदखल किया गया था। इससे एक सप्ताह पहले नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाना क्षेत्र में एक और बड़ा बेदखली अभियान चलाया गया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि कनारा सतरा में कई साल पहले 400 बीघा ज़मीन पर अतिक्रमण किया गया था। अधिकारी ने कहा था, "करीब 400 लोगों को आज निकाला गया। 45 से 60 संरचनाओं में से सभी अर्ध-स्थायी थीं, जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया। निकाले गए लोगों की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ, पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न हुई।"
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