पीड़ितों के अधिवक्ता नौमान ने कहा कि सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश के बाद ही पीड़ितों की शिकायत पर धारा 307 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
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गुजरात के अहमदाबाद में गौरक्षकों की भीड़ ने तीन मुस्लिम पशु व्यापारियों पर हमला किया और उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश की। वे वैध तरीके से भैंसों को पशु बाजार में ले जा रहे थे।
क्लेरियन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 19 फरवरी को ओधव इलाके में हुई, जहां पीड़ितों को मामले में एफआईआर दर्ज करवाने में काफी संघर्ष करना पड़ा। पीड़ितों की पहचान इशाक, मोहम्मद फारूक और मुशर्रफ अहमद के रूप में हुई है, जिन पर 20-25 लोगों के एक समूह ने हमला किया। इशाक गंभीर रूप से घायल है, उसका जबड़ा टूट गया है और फिलहाल उसका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
क्लेरियन इंडिया से बात करते हुए पीड़ितों की ओर से अधिवक्ता नौमान ने कहा कि सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश के बाद ही पीड़ितों की शिकायत पर धारा 307 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
इससे पहले यूट्यूब चैनल देश लाइव से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि पशु व्यापारियों को कई घंटों तक स्थानीय पुलिस स्टेशन में बैठाए रखा गया। उन्हें इस शर्त पर जाने दिया गया कि पीड़ित हमलावरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
इसके बाद उन्होंने स्थानीय पुलिस से बात की और पूछा कि पुलिस इस मामले में एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कर रही है? फिर पुलिस ने एफआईआर तभी दर्ज की जब उन्होंने पुलिस से पीड़ितों पर हमलावरों के साथ समझौता करने का दबाव बनाने के बारे में पूछा।
अधिवक्ता ने कहा कि एक पुलिस अधिकारी ने उनसे कहा था कि वह आठ साल से पुलिस विभाग में हैं और उन्हें पता है कि इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होगी। और पुलिसकर्मी ने उनसे कुछ पैसे लेकर मामले में समझौता करने के लिए कहा।
हमले के बारे में बात करते हुए घायल मुशर्रफ ने कहा कि जब वे भैंसों को ले जा रहे थे, तो भीड़ ने उन्हें रोक लिया और 1.50 लाख रुपये की मांग की।
स्थानीय मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "उन्होंने अपने वाहनों से लाठी निकाली और हमें पीटना शुरू कर दिया। मेरे भाई इशाक को बेरहमी से पीटा गया। मुझे भी लाठी से मारा गया। फिर, मैं इशाक को इलाज के लिए अस्पताल ले गया।" उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने गौरक्षकों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली है, लेकिन पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है। पुलिस ने उनसे मामले में गौरक्षकों से समझौता करने को कहा है।
मवेशियों के मालिक फारूक ने बताया कि उनके दोस्त इशाक ने उन्हें फोन करके बताया कि गौरक्षक उनकी गाड़ी का पीछा कर रहे हैं। इसके बाद वह वहां गए, जहां गौरक्षकों ने उनका नाम पूछा और 1.50 लाख रुपए मांगे। फारूक ने उनसे कहा कि उनके पास भैंसों को ले जाने का लीगल परमिट है, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी और मारपीट शुरू कर दी।
उन्होंने कहा, "हमले में मेरा हाथ टूट गया। उन्होंने मेरी आंख पर डंडे से वार किया। वे 22-25 लोग थे। वे 1.5 लाख रुपए मांग रहे थे, जबकि मैं सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करके भैंसों को ले जा रहा था। मुझे 'जय श्री राम' कहने के लिए भी मजबूर किया गया।"
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गुजरात के अहमदाबाद में गौरक्षकों की भीड़ ने तीन मुस्लिम पशु व्यापारियों पर हमला किया और उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश की। वे वैध तरीके से भैंसों को पशु बाजार में ले जा रहे थे।
क्लेरियन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 19 फरवरी को ओधव इलाके में हुई, जहां पीड़ितों को मामले में एफआईआर दर्ज करवाने में काफी संघर्ष करना पड़ा। पीड़ितों की पहचान इशाक, मोहम्मद फारूक और मुशर्रफ अहमद के रूप में हुई है, जिन पर 20-25 लोगों के एक समूह ने हमला किया। इशाक गंभीर रूप से घायल है, उसका जबड़ा टूट गया है और फिलहाल उसका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
क्लेरियन इंडिया से बात करते हुए पीड़ितों की ओर से अधिवक्ता नौमान ने कहा कि सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश के बाद ही पीड़ितों की शिकायत पर धारा 307 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
इससे पहले यूट्यूब चैनल देश लाइव से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि पशु व्यापारियों को कई घंटों तक स्थानीय पुलिस स्टेशन में बैठाए रखा गया। उन्हें इस शर्त पर जाने दिया गया कि पीड़ित हमलावरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
इसके बाद उन्होंने स्थानीय पुलिस से बात की और पूछा कि पुलिस इस मामले में एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कर रही है? फिर पुलिस ने एफआईआर तभी दर्ज की जब उन्होंने पुलिस से पीड़ितों पर हमलावरों के साथ समझौता करने का दबाव बनाने के बारे में पूछा।
अधिवक्ता ने कहा कि एक पुलिस अधिकारी ने उनसे कहा था कि वह आठ साल से पुलिस विभाग में हैं और उन्हें पता है कि इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होगी। और पुलिसकर्मी ने उनसे कुछ पैसे लेकर मामले में समझौता करने के लिए कहा।
हमले के बारे में बात करते हुए घायल मुशर्रफ ने कहा कि जब वे भैंसों को ले जा रहे थे, तो भीड़ ने उन्हें रोक लिया और 1.50 लाख रुपये की मांग की।
स्थानीय मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "उन्होंने अपने वाहनों से लाठी निकाली और हमें पीटना शुरू कर दिया। मेरे भाई इशाक को बेरहमी से पीटा गया। मुझे भी लाठी से मारा गया। फिर, मैं इशाक को इलाज के लिए अस्पताल ले गया।" उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने गौरक्षकों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली है, लेकिन पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है। पुलिस ने उनसे मामले में गौरक्षकों से समझौता करने को कहा है।
मवेशियों के मालिक फारूक ने बताया कि उनके दोस्त इशाक ने उन्हें फोन करके बताया कि गौरक्षक उनकी गाड़ी का पीछा कर रहे हैं। इसके बाद वह वहां गए, जहां गौरक्षकों ने उनका नाम पूछा और 1.50 लाख रुपए मांगे। फारूक ने उनसे कहा कि उनके पास भैंसों को ले जाने का लीगल परमिट है, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी और मारपीट शुरू कर दी।
उन्होंने कहा, "हमले में मेरा हाथ टूट गया। उन्होंने मेरी आंख पर डंडे से वार किया। वे 22-25 लोग थे। वे 1.5 लाख रुपए मांग रहे थे, जबकि मैं सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करके भैंसों को ले जा रहा था। मुझे 'जय श्री राम' कहने के लिए भी मजबूर किया गया।"