"11 जून की रात करीब साढ़े आठ बजे मैं अपनी मोटरसाइकिल लेकर घर से श्रीखंड लेने निकला था। तभी आरोपी सतीशभाई वेकरिया और मार्कंड व्यास अपनी मोटरसाइकिल लेकर मेरे सामने आए और जातिसूचक गाली दी और पूछा कि कहां जा रहा है?”

गुजरात के राजकोट में चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक दलित युवक को जातिसूचक गालियां दी गईं और उसे पीटा गया। इतना ही नहीं, जबरन उसके बाल भी काट दिए गए। सड़कपिपलिया गांव में रहने वाले पीड़ित कुणालभाई मेघजीभाई ने गोंडल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
द मूकनायक से बातचीत में 24 वर्षीय कुणालभाई ने बताया कि वह पांच साल से सड़कपिपलिया में नरेशभाई जामोद के मकान में अपने माता-पिता और बहन के साथ किराए पर रहता है। कुणाल भरुड़ी पारिया के पास केसरी नंदन कारखाने में मजदूरी का काम करता है और उसने नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की है।
घटना के बारे में कुणाल ने बताया कि, "11 जून की रात करीब साढ़े आठ बजे मैं अपनी मोटरसाइकिल लेकर घर से श्रीखंड लेने निकला था। तभी आरोपी सतीशभाई वेकरिया और मार्कंड व्यास अपनी मोटरसाइकिल लेकर मेरे सामने आए और बोले, 'जडियारा (जातिसूचक गाली), कहां जा रहा है?’ और मुझे गालियां दीं। मैंने अपनी मोटरसाइकिल रोक कर उनसे कहा कि मुझे गाली न दें। इस पर उन्होंने कहा, 'यह तुम्हारे बाप का गांव नहीं है' और डंडे से मुझे पीटना शुरू कर दिया। मैं वहां से भागकर बजरंग डेयरी की गली में पहुंचा, लेकिन वे दोनों अपनी मोटरसाइकिल से वहां आए और फिर लकड़ी से मेरी पिटाई की। उन्होंने मुझे दीवार से धक्का देकर मारा और फिर अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाकर मुझे बापा सीताराम मंदिर ले गए।”
कुणाल ने आगे कहा, "उन्होंने फिर मुझे मंदिर में डंडे से पीटा। वहां प्रयागभाई प्रफुलभाई चौहान भी मौजूद थे। सतीश और मार्कंड ने प्रयाग से कैंची लाने को कहा। प्रयाग कैंची ले आया, जिससे सतीश और मार्कंड ने मेरे बाल काट दिए। बाल काटते वक्त वे कह रहे थे, 'इस जडियारा के बाल बड़े हैं, इसे लंबे बाल रखने का शौक है!’ यह मेरी पहली मुलाकात इन दोनों से थी। मेरी मोटरसाइकिल का माथिया और इंडिकेटर भी तोड़ दिया।”
मामला यहीं समाप्त नहीं हुआ। घटना के बाद कुणाल अपने घर लौटा और पड़ोसियों को पूरी बात बताई। लगभग एक घंटे बाद सतीश दोबारा मोटरसाइकिल से कुणाल के घर पहुंचा और वहां कुणाल और उसकी मां मनीषा बेन को अपशब्द कहने लगा। मकान मालिक नरेशभाई ने बीच-बचाव करते हुए सतीश को वहां से हटाया। कुणाल ने बताया कि उसे शारीरिक चोटें आई थीं, जिसके चलते उसने 108 एम्बुलेंस को कॉल किया। इसके बाद मां-बेटे दोनों को राजकोट के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी गंभीर चोटों की पुष्टि की।
कुणाल की शिकायत के आधार पर गोंडल पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। मामले में भारतीय दंड संहिता (BNSS), 2023 की धाराएं 140(2), 324(2), 352 और 54 (मारपीट, अपहरण तथा संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित) लगाई गई हैं। इसके अलावा, आरोपियों पर अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं 3(1)(e), 3(1)(r), 3(1)(s) तथा 3(2)(5) [जातिगत अपमान और हिंसा से जुड़ी] भी लगाई गई हैं।
बता दें कि समाज में जातिवाद की जड़ें काफी गहरी हैं। हाल के वर्षों में जातिगत हिंसा की घटनाओं में जिस तरह तेजी आई है, वह गंभीर चिंता का विषय है। विशेष रूप से दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों को न केवल सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, बल्कि वे शारीरिक हिंसा, अपमान और अमानवीय व्यवहार के भी शिकार बनते हैं।
ज्ञात हो कि हाल ही में ओडिशा से एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसमें बाल विवाह से इनकार करने पर दलित परिवार पिछले तीन साल से सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहा है। प्रशांत बार, उनकी पत्नी और बेटी को ग्रामीणों ने पानी, जलाऊ लकड़ी, गांव के मंदिर, स्थानीय दुकानों, बाजारों और कृषि क्षेत्रों तक पहुंच से वंचित करके सामाजिक बहिष्कार का सामना करवाया।
तीन साल पहले, प्रशांत की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी को जंभीराई के एक युवक ने अगवा कर लिया था और बाद में उसे बचा लिया गया। घर लौटने के बाद, ग्रामीणों और युवक के माता-पिता ने प्रशांत और उसकी पत्नी पर लड़की की युवक के साथ शादी को स्वीकार करने का दबाव बनाया।
लेकिन प्रशांत ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह नाबालिग है और वह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती है। इसके बाद इस मामले को लेकर दोनों पक्षों और गांव वालों के बीच कई बैठकें हुईं। हालांकि, प्रशांत अपने फैसले पर डटे रहे।
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द मूकनायक से बातचीत में 24 वर्षीय कुणालभाई ने बताया कि वह पांच साल से सड़कपिपलिया में नरेशभाई जामोद के मकान में अपने माता-पिता और बहन के साथ किराए पर रहता है। कुणाल भरुड़ी पारिया के पास केसरी नंदन कारखाने में मजदूरी का काम करता है और उसने नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की है।
घटना के बारे में कुणाल ने बताया कि, "11 जून की रात करीब साढ़े आठ बजे मैं अपनी मोटरसाइकिल लेकर घर से श्रीखंड लेने निकला था। तभी आरोपी सतीशभाई वेकरिया और मार्कंड व्यास अपनी मोटरसाइकिल लेकर मेरे सामने आए और बोले, 'जडियारा (जातिसूचक गाली), कहां जा रहा है?’ और मुझे गालियां दीं। मैंने अपनी मोटरसाइकिल रोक कर उनसे कहा कि मुझे गाली न दें। इस पर उन्होंने कहा, 'यह तुम्हारे बाप का गांव नहीं है' और डंडे से मुझे पीटना शुरू कर दिया। मैं वहां से भागकर बजरंग डेयरी की गली में पहुंचा, लेकिन वे दोनों अपनी मोटरसाइकिल से वहां आए और फिर लकड़ी से मेरी पिटाई की। उन्होंने मुझे दीवार से धक्का देकर मारा और फिर अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाकर मुझे बापा सीताराम मंदिर ले गए।”
कुणाल ने आगे कहा, "उन्होंने फिर मुझे मंदिर में डंडे से पीटा। वहां प्रयागभाई प्रफुलभाई चौहान भी मौजूद थे। सतीश और मार्कंड ने प्रयाग से कैंची लाने को कहा। प्रयाग कैंची ले आया, जिससे सतीश और मार्कंड ने मेरे बाल काट दिए। बाल काटते वक्त वे कह रहे थे, 'इस जडियारा के बाल बड़े हैं, इसे लंबे बाल रखने का शौक है!’ यह मेरी पहली मुलाकात इन दोनों से थी। मेरी मोटरसाइकिल का माथिया और इंडिकेटर भी तोड़ दिया।”
मामला यहीं समाप्त नहीं हुआ। घटना के बाद कुणाल अपने घर लौटा और पड़ोसियों को पूरी बात बताई। लगभग एक घंटे बाद सतीश दोबारा मोटरसाइकिल से कुणाल के घर पहुंचा और वहां कुणाल और उसकी मां मनीषा बेन को अपशब्द कहने लगा। मकान मालिक नरेशभाई ने बीच-बचाव करते हुए सतीश को वहां से हटाया। कुणाल ने बताया कि उसे शारीरिक चोटें आई थीं, जिसके चलते उसने 108 एम्बुलेंस को कॉल किया। इसके बाद मां-बेटे दोनों को राजकोट के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी गंभीर चोटों की पुष्टि की।
कुणाल की शिकायत के आधार पर गोंडल पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। मामले में भारतीय दंड संहिता (BNSS), 2023 की धाराएं 140(2), 324(2), 352 और 54 (मारपीट, अपहरण तथा संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित) लगाई गई हैं। इसके अलावा, आरोपियों पर अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं 3(1)(e), 3(1)(r), 3(1)(s) तथा 3(2)(5) [जातिगत अपमान और हिंसा से जुड़ी] भी लगाई गई हैं।
बता दें कि समाज में जातिवाद की जड़ें काफी गहरी हैं। हाल के वर्षों में जातिगत हिंसा की घटनाओं में जिस तरह तेजी आई है, वह गंभीर चिंता का विषय है। विशेष रूप से दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों को न केवल सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, बल्कि वे शारीरिक हिंसा, अपमान और अमानवीय व्यवहार के भी शिकार बनते हैं।
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