त्योहारी सीजन में महंगाई का तांडव: बाजार में खूब भीड़... लेकिन रेट पूछकर पीछे हट जा रहे लोग!

Written by Navnish Kumar | Published on: October 22, 2023
महंगाई के असर के कारण बाजारों में मौजूद इंडियन प्रोडक्ट्स ही नहीं, बल्कि चाइनीज सामानों की खरीदारी भी नहीं हो रही है। ग्राहकों में कम कीमत पर मिलने वाले चाइनीज सामानों की खरीदारी के लिए भी परचेजिंग पावर तक नजर नहीं आ रही है। यही नहीं, त्योहारों पर महंगाई को लेकर भगवान की मूर्ति बनाने वाले तक भी परेशान हैं।



नवरात्रि पर्व चल रहे हैं और आने वाले दिनों में दशहरा-दिवाली जैसे त्योहार आ रहे हैं। देश में फेस्टिवल सीजन की शुरुआत के साथ ही बाजारों में भी रौनक देखने को मिलने लगी है। विभिन्न त्योहारों से संबंधित तरह-तरह के प्रोडक्ट्स की दुकानों पर भरमार है। लेकिन इस बार महंगाई का असर फेस्टिव सीजन पर साफ नजर आ रहा है। एक ओर जहां इलेक्ट्रॉनिक्स समेत अन्य तमाम बाजारों में भीड़ दिख रही है, तो वहीं इसके मुताबिक बिक्री देखने को नहीं मिल रही है। इससे दुकानदारों की चिंता बढ़ रही है।

*चाइनीज सामानों की सेल भी घटी* 

महंगाई के असर के कारण बाजारों में मौजूद इंडियन प्रोडक्ट्स ही नहीं, बल्कि चाइनीज सामानों की खरीदारी भी नहीं हो रही है। आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्राहकों में कम कीमत पर मिलने वाले चाइनीज प्रोडक्ट्स की खरीदारी के लिए भी परचेजिंग पावर नजर नहीं आ रही है। राजधानी दिल्ली में मौजूद भागीरथ पैलेस एशिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट है। यहां कारोबार करने वाले व्यापारी अनूप यादव की मानें, तो इस समय मार्केट में दूसरे राज्यों के ज्यादातर ग्राहक दिवाली की लाइट और अन्य सामान खरीदने के लिए आते हैं, लेकिन आलम यह है कि होलसेलर रिटेल करने को मजबूर हो रहे हैं, इसके चलते हमें जो दाम 10 फीसदी तक बढ़ाने चाहिए थे, हॉलसेलर्स ने 10 फीसदी तक घटा दिए हैं। ऐसे में अगर हमारा स्टॉक एक साल कर रखा रह गया, तो और ज्यादा नुकसान झेलना पड़ जाएगा।

दिल्ली के एक और बड़े मार्केट सदर बाजार का भी भागीरथ पैलेस जैसा ही हाल दिखाई दे रहा है। सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव के मुताबिक मार्केट में फेस्टिव सीजन के चलते कस्टमर्स की भीड़ लगी हुई तो नजर आ रही है, लेकिन कस्टमर में परचेसिंग पावर नहीं है। ज्यादातर कस्टमर ऑनलाइन प्रोडक्ट खरीदने को अधिक तरजीह दे रहे हैं। ये एक बड़ा कारण है, जिससे मार्केट की दुकानदारी पर ज्यादा असर पड़ा है। इस बार फेस्टिवल सीजन पर कस्टर्स पिछले साल के मुकाबले कम जेब ढीली करना चाहते हैं।

*ग्राहकों की खरीदारी में ये बदलाव* 

फेस्टिव सीजन में लोग अपने घरों के लिए खरीदारी करना तो चाहते हैं, लेकिन खरीदारी पर जमकर खर्च करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। कारोबारियों की मानें, तो जो कस्टमर पिछले साल तक 500 रुपये की कीमत वाले गिफ्ट खरीदने से परहेज नहीं कर रहे थे, वो इस बार 250 से 300 रुपये के गिफ्ट्स की तलाश कर रहे हैं। बजट में कटौती के चलते वे इंडियन प्रोडक्ट्स के बजाय चाइनीस प्रोडक्ट्स की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि चाइनीज प्रोडक्ट भारतीय सामानों की तुलना में सस्ते मिल जाते हैं।

महंगाई के असर से घटी ग्राहकों की परचेजिंग पावर के चलते बाजार में फेस्टिव सीजन से संबंधित इंडियन प्रोडक्ट्स के बजाय तरह-तरह की चाइनीज क्रॉकरी, चाइनीज लाइटिंग, चाइनीज गिफ्ट सेट की भरमार देखने को मिल रही है। आज तक के साथ बातचीत के दौरान चीनी सामान के एक एक्सपोर्टर ने बताया कि चाइना के बने उत्पाद क्वॉलिटी, किफायती और समय से डिलीवरी देने में सक्षम होने की वजह से इंडियन सेलर के लिए पसंदीदा रहते हैं। इसके अलावा हम पेमेंट के तरीके को लेकर भी फ्लेक्सिबल रहते हैं, खरीदार को जिस पेमेंट मोड में सहूलियत होती है हम उसी मीडियम में इसे लेते हैं। इसलिए इंडियन मार्केट के साथ हमारा बिजनेस चल रहा है।

*मूर्तिकार भी परेशान* 

कीमतों में इजाफे के चलते खरीदारी कम होने से मूर्तिकार भी महंगाई की मार से अछूते नहीं है। पिछले दिनों गणेश उत्सव पर सबने देखा कि किस तरह ग्राहक बड़ी मूर्तियों को छोड़ कर छोटी मूर्तियों का रुख कर रहे थे। दरअसल मूर्ति बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री के दाम भी करीब 20% तक बढ़ गए है। हाथों में ब्रश लेकर मूर्तियों को अंतिम रूप देते हुए नरेंद्र प्रजापति कहते है कि "इस बार मंदी बहुत ज्यादा है। खासकर बड़ी मूर्ति में ज्यादा मंदी है। लोग मोल-भाव बहुत कर रहे हैं। लेकिन जो कीमत बता रहे हैं वह आ नहीं रही है। हमारी जो लागत आ रही है उस पर बामुश्किल 100 ₹200 का प्रॉफिट ही मूर्ति में मिल रहा है।" 

"हर साल नॉर्मली रेट बढ़ता है। मगर पिछले साल हम जितने में मूर्ति देते थे। उतने में ही इस बार भी बता रहे हैं लेकिन लागत जो है वह तो बढ़ गई है। मैटेरियल जो है वह बढ़े हुए भाव में आया है। बढ़ा हुआ दाम हमको नहीं मिल पा रहा।" अब देखें तो "गोल्डन आदि कलर डेढ़ गुणा तक महंगा हुआ है तो प्लास्टर ऑफ पेरिस की बोरी जो मूर्ति बनाने में काम आती है वह पिछले साल 120 रुपए के आसपास आई थी लेकिन इस बार 140 में मिली है। मतलब ₹20 बढ़ गया है लेकिन मूर्ति की कीमत वही है जो पिछले साल थी।" एक मूर्तिकार बताते है कि पिछले साल से GST की मार के चलते जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई अभी तक नहीं कर पाए हैं। इसी कड़ी में इस बार फिर कर्ज लिया फिर उम्मीदें जगाई... लेकिन महंगाई का चाबुक और बारिश की मार भारी पड़ गई है। कहा पिछले दिनों हफ्तों जो बारिश हुई है उसमें काफी मूर्तियां गीली होकर खंडित हो गई।" 

*कोलकात्ता, झारखंड में दुर्गा पूजा की रौनक पर भारी महंगाई* 

नवरात्रि पर कोलकात्ता व झारखंड में भी दुर्गा पूजा की रौनक है। जगह जगह पंडाल सजाए जा रहे हैं। मां की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, लेकिन यहां भी इस बार दुर्गा पूजा की रौनक को महंगाई फीका कर रही है। महंगाई के चलते इस बार लागत में 20 से 30 फीसदी की बढ़त से आयोजन समितियों की जेब पर भी बोझ बढ़ेगा। निर्माण लागत में हुई बढ़ोत्तरी के चलते दुर्गा पंडालों में स्थापित होने वाली प्रतिमाओं की कीमत में इस बार 20 से 30 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है। यानी बीते साल स्थापना के लिए जो देवी प्रतिमा 10 हजार में मिली थी, उसके लिए इस बार 13 हजार तक खर्च करने पड़ रहे हैं। महंगाई की मार खरीदारों पर तो पड़ी ही है, मूर्तिकार भी इससे परेशान हो रहे हैं। क्योंकि उन्हें भी पहले से ज्यादा महंगी कीमत पर कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है। इसके अलावा मूर्ति निर्माण में इस्तेमाल होने वाले सामान भी मूर्तिकारों को मुश्किल से मिल रहे हैं। दिन-रात मेहनत कर मूर्तिकार प्रतिमा तो बना रहे हैं, लेकिन इसकी कोई गारंटी भी नहीं है कि उनकी मूर्तियों के लिए उन्हें उचित कीमत मिलेगी भी या नहीं।

*मां के भक्तों और व्रत रखने वाले भी महंगाई से परेशान* 

शारदीय नवरात्र के लिए बाजार सजा है। जहां लोग चुनरी, नारियल, कलश आदि की खरीदारी कर रहे हैं। लेकिन इस बार भी महंगाई की मार व्रतियों पर पड़ रही है। नवरात्र शुरू होते ही फलों के साथ ही मूंगफली, साबूदाना, सिंघाड़ा व मेवा आदि के दामों में उछाल आ गया। जिसके चलते लोगों को अपनी जेबें ज्यादा ढीली करनी पड़ रही हैं। 

दरअसल, नवरात्र में व्रत रखने वाले लोग मुख्य रूप से फलाहार के साथ ही साबूदाना, सिंघाड़ा, कुट्टू का आटा व मेवा से बनने वाली खाद्य सामग्री का सेवन करते हैं। लेकिन इस बार भी अचानक इसकी कीमतों में उछाल आ गया है। बीते सप्ताह 120 रुपए प्रति किलो की दर से मिल रहा सिंघाड़े का आटा अब 140 रुपए प्रति किलो अधिक में बिक रहा है। मखाने के दाम में भी 100 रुपए प्रति किलो तक का उछाल आया है।

बादाम, काजू, किशमिश, चिरौंजी आदि के दामों में भी वृद्धि हुई है। इसके अलावा 30 से 40 रुपए में मिलने वाला नारियल अब 50 से 60 में बिक रहा है। वहीं साज सज्जा के सामान में माता की चुनरी के दाम 10 रुपए से शुरू होकर 250 रुपए तक हैं। माता के कपड़े 20 से लेकर 250 रुपए तक, माता रानी की मूर्ति साइज के हिसाब से 50 रुपए से लेकर 3000 तक में बाजार में मौजूद है।  

*नवरात्र में फलों के बढ़े दाम* 
फल             पहले                अब
अमरूद      55-60            60-70
अंगूर          70-80            80-90
काला अंगूर  85-95        100-110
अनार       90-120        140-160
केला      30-50         50-70 दर्जन
सेब        100- 150       140- 200

*ड्राई फ्रूट्स के रेट पहुंचे आसमान पर* 
 
किशमिश, काजू, पिस्ता आदि मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर ड्राई फ्रूट्स की कीमत हमेशा काफी ज्यादा रहती है लेकिन दिवाली दशहरे के मद्देनजर इनकी कीमतों में और उछाल देखा जा रहा हैं। इनके महंगा होने की वजह कम उत्पादन और ज्यादा डिमांड के अलावा ट्रांपोर्टेशन आदि इनके उत्पादन में आने वाला खर्च भी है। और तो और, मूंगफली तक के दाम 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। इसके साथ ही चीनी और दूध के महंगा होने से मिठाइयां भी आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही है जो त्योहारों की मिठास को फीका करने का काम कर रही हैं।

*सब्जियों की कीमतें भी आसमान पर*

त्योहारी सीजन में आम लोगों पर महंगाई की मार पड़ी है। दुर्गा पूजा उत्सव से पहले कोलकाता के खुदरा बाजारों में सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं। खासकर शिमला मिर्च, बीन्स, अदरक, मिर्च और लहसुन की कीमतों में उछाल आया है। अदरक जहां 280 से 300 रुपये किलो है, वहीं लहसुन का रेट 180 से 200 रुपये के बीच है। यही नहीं सब्जियों की कीमतें भी आसमान पर है। शिमला मिर्च 200 से 230 रुपये किलो बिक रही है, जबकि बीन्स 130 से 150 रुपये किलो तक है। ताजी मिर्च की कीमत 150 रुपये से 200 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है। नियमित सब्जियों में, आलू की कीमतें भी किस्मों के आधार पर 20 रुपये से 35 रुपये प्रति किलोग्राम तक थोड़ी अधिक थी।

*धनतेरस से पहले सोने-चांदी में भी तेजी* 

त्योहारी सीजन के दौरान भारतीय सोने-चांदी के बाजार में तेजी देखने को मिल रही है। दशहरे से पहले शुक्रवार यानी 20 अक्टूबर को सोने-चांदी की कीमत में भारी तेजी आई है। शुक्रवार को सर्राफा बाजार ने नई दरों का ऐलान किया और गुडरिटर्न्स के मुताबिक सोना एक बार फिर महंगा हो गया है। धनतेरस और नवरात्रि के दौरान सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से सोने की कीमत लगातार बढ रही है। 

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर कल सोना 0.65% की तेजी के साथ 59,608 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था। सोने का वायदा भाव मई में 61,845 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था। सोने और चांदी की वायदा कीमतों में भी तेजी देखने को मिली है। चांदी वायदा अब 72,000 रुपये के ऊपर कारोबार कर रहा है, जबकि सोने का वायदा 60,500 रुपये के ऊपर कारोबार कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी के वायदा भाव में तेजी का रुख है।

*दिवाली पर घर जाने वालों की भीड़, हवाई किराये में लगी आग* 

देश भर के प्रमुख मार्गों पर हवाई किराया पिछले दिवाली सप्ताह की तुलना में 44 प्रतिशत तक बढ़ गया है। जी हां, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, त्‍योहारी सीजन की दस्‍तक से हवाई किराये में बढ़ोतरी होने लगी है। खास तौर पर 10 से 16 नवंबर के बीच दिवाली वीक में हवाई यात्रा की सबसे ज्‍यादा मांग है। यही वजह है कि देश भर के प्रमुख मार्गों पर हवाई किराया पिछले दिवाली सप्ताह की तुलना में 44 प्रतिशत तक बढ़ गया है। मजबूत मांग और सीमित क्षमता के कारण किराए में बेतहाशा इजाफा हो रहा है। इसके अलावा गो फर्स्ट के दिवालिया होने और स्पाइसजेट के वित्तीय तनाव के कारण भी हवाई सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।

यात्रा वेबसाइट इक्सिगो की ओर से उपलब्‍ध कराए आंकड़ों के अनुसार दिवाली सप्ताह के दौरान मुंबई-दिल्ली मार्ग के लिए औसत एकतरफा हवाई किराया 8,788 रुपए है, जो पिछले वर्ष के दिवाली सप्ताह (21-27 अक्टूबर, 2022) की तुलना में 27.8 प्रतिशत अधिक है। वहीं बेंगलुरू-कोलकाता रूट की बात करें तो दिवाली वीक में यहां का एकतरफा किराया 40.6% बढ़कर 10,195 रुपए हो गया है। डेटा के अनुसार टिकट की ये कीमत यात्रा की तारीख से 30-35 दिन पहले की हैं। बाद में इसमें और इजाफा होने की उम्‍मीद है।


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