"अगर आप घर बनाने की तैयारी कर रहे हैं तो अब आपको सीमेंट के लिए और ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे, क्योंकि कंपनियों ने इसकी कीमत में 12 से 13 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। जी हां, ईंट, बालू, मौरंग, गिट्टी और लोहे लकड़ी के साथ, कम डिमांड के बीच सीमेंट की कीमतें भी बढ़ती जा रही है।"
बढ़ती महंगाई के बीच सपनों का घर तैयार करने के अरमानों को झटका लगा है, क्योंकि पिछले महीने की तुलना में सीमेंट निर्माता कंपनियों ने इसकी कीमत में 12 से 13 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है। सीमेंट की कीमत में बढ़ोतरी का कारण मानसून में आई देरी से बढ़ी लागत को बताया जा रहा है। कुल मिलाकर आम आदमी को उसके सपनों का घर बनाने के लिए, अब पहले की तुलना में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, 1 अक्टूबर से दक्षिण और उत्तर भारत में सीमेंट के दाम और बढ़ेंगे। दक्षिण में सीमेंट की कीमत 30-40 रुपये प्रति बोरी महंगा हो सकता है। इससे पहले सितंबर की शुरुआत में सीमेंट कंपनियों ने 10-35 रुपये प्रति बोरी दाम बढ़ाए थे। यही नहीं, खास यह है कि बीते महीने यानी अगस्त में भी मासिक आधार पर भाव 1 से 2 फीसदी तक चढ़े थें।
सितंबर में कितनी बढ़ी सीमेंट की कीमतें?
सितंबर में कंपनियों ने सीमेंट के दाम 10 रुपये से 35 रुपये प्रति बैग (50 किलो सीमेंट प्रति बैग) बढ़ा दिए थे।
जेफ़रीज़ लिमिटेड के अनुसार, वे कुछ सीमेंट व्यापारियों से चर्चा के बाद इस आंकड़े पर पहुंचे हैं। सितंबर में सीमेंट की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी दर्ज की गई। लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, अब एक बार फिर से 1 अक्टूबर से दक्षिण और उत्तर भारत में सीमेंट के दाम बढ़ेंगे। इससे पहले सितंबर की शुरुआत में सीमेंट कंपनियों ने 10-35 रुपये प्रति बोरी दाम बढ़ाए ही थे। इस बढ़ोतरी के कारण पूरे भारत में सीमेंट की औसत कीमत 50 किलो बोरी के लिए 382 रुपये पर पहुंच गई है। पूर्वोत्तर क्षेत्रों में सीमेंट की कीमत 326 रुपये से बढ़कर 400 रुपये प्रति बोरी पहुंच चुका है।
ताज्जुब की बात यह है कि मानसून सीजन के दौरान देखा जाता है कि निर्माण की मांग कम होने से कीमत कम होती है, लेकिन सितंबर तिमाही के दौरान मांग कम होने के बाद भी कीमत में इजाफा हुआ है। यही नहीं, अगस्त तक जिस ब्रांडेड सीमेंट के एक बैग की कीमत 400 रुपये थी। सितंबर में यह 410 रुपये तक जा पहुंची। इधर, सीमेंट पर टैक्स भी बढ़ा। लिहाजा, अब दाम 430 से 450 रुपये तक पहुंच गए हैं। अब एक अक्तूबर से प्रति बैग 10 से 30 रुपये और दाम बढ़ने की आशंका है।
सीमेंट की मजबूत डिमांड
सीमेंट की कीमतों में आई तेजी की मुख्य वजह मजबूत मांग है। क्योंकि कम बारिश के चले डिमांड में इजाफा हुआ है। सीमेंट का भाव बढ़ने से दूसरी तिमाही में कंपनियों का कामकाजी मुनाफा प्रति टन ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन यानी EBITDA बेहतर रहने का अनुमान है। मार्जिन में भाव के साथ एनर्जी कॉस्ट में गिरावट से इसे सपोर्ट मिलेगा।
मानसून खत्म होने पर और बढ़ेगी कीमत
सीमेंट निर्माता कंपनियों की ओर से इसकी कीमत में बढ़ोतरी एक सख्त कदम है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब मानसून खत्म हो जाएगा, तब सीमेंट की कीमत में और बढ़ोतरी देखी जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि सीमेंट की मांग बढ़ेगी। इसके अलावा, रॉ मैटेरियल की लागत में एक बार फिर बढ़ने से इसकी कीमत और ज्यादा हो रही है।
रॉ मैटेरियल में आई इतनी बढ़ोतरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्सपर्ट ने बताया कि पिछले तीन महीने के दौरान कोल प्राइस 15 फीसदी बढ़ा है और पेटकोक प्राइस 28 फीसदी बढ़ा है। हालांकि साल दर साल की तुलना में इन दोनों की कीमत में गिरावट आई है। मार्च 2024 की तिमाही में परिचालन लागत में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में सीमेंट की डिमांड ज्यादा तेजी से बढ़ेगी।
बढ़ेगी कंपनियों की कमाई
कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि अगर सीमेंट कंपनियां सीमेंट की बढ़ती कीमत को मैनेज करने में सक्षम होती हैं तो इनकी पोस्ट अर्निंग मौजूदा वित्त वर्ष से पहली छमाही में 800-900 रुपये प्रति टन से 1200-1300 रुपये प्रति टन होने की संभावना है। एलारा कैपिटल के सीमेंट विश्लेषक रवि सोडा को उम्मीद है कि हालिया मूल्य वृद्धि का लाभ दिसंबर 2023 तिमाही में पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा, जिससे सीमेंट कंपनियों के मार्जिन में सुधार होगा। इन्हीं सब कारकों को देखते हुए, अल्ट्राटेक सीमेंट, अंबुजा सीमेंट्स और श्री सीमेंट जैसी बड़ी सीमेंट कंपनियां, जो अपनी मजबूत बाजार उपस्थिति और मजबूत बैलेंस शीट के लिए जानी जाती हैं, को आने वाली तिमाहियों में लाभ मिलने की संभावना है।
UP में GST की तगड़ी मार करेगी और हलकान: ईंट, मौरंग, बालू और गिट्टी पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी
उत्तर प्रदेश में बालू, मौरंग, मिट्टी और पहाड़ सहित सभी तरह के खनन पर अब 18 फीसदी जीएसटी वसूली जाएगी। खनन को सेवाकर की श्रेणी में रखते हुए ये दर तय की गई है। खनन पर रॉयल्टी पहले से ही है। अब 18 फीसदी जीएसटी लगने से ईंट, मौरंग, गिट्टी, मार्बल आदि सभी के रेट बढ़ेंगे। इसका सीधा असर भवन निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी योजनाओं पर पड़ेगा। खास है कि खनन पर सेवाकर को लेकर कारोबारियों और विभाग में लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। जीएसटी लागू होने से पहले खनन पर रॉयल्टी के अतिरिक्त पांच फीसदी सेवाकर का प्रावधान किया गया था। खनन कारोबारियों का कहना है कि रॉयल्टी भी एक प्रकार का टैक्स है, इसलिए एक ही उत्पाद पर दो टैक्स (रॉयल्टी और जीएसटी) नहीं लिया जा सकता है। विवाद बढ़ने पर ये मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया, जहां मामला विचाराधीन है। कारोबारियों का तर्क है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए फैसला आने तक जीएसटी न लिया जाए। वहीं, राज्य कर विभाग ने ये कहते हुए खनन पर 18 फीसदी जीएसटी का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है कि न तो इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है न ही जीएसटी व रिकवरी पर किसी तरह की रोक है, इसलिए हम सेवाकर लेंगे।
UP में प्रति हजार ईंट के रेट में भी तगड़ा उछाल, रेट 5700 से बढ़कर पहुंचा 6700 रूपये तक
UP में ईंट से लेकर निर्माण में उपयोग होने वाली जरूरी सामग्री के भाव में तेजी आई है। कच्चे माल की कीमतों में उछाल और श्रमिकों की कमी के चलते सामान की कीमतें बढ़ी हैं। स्थानीय न्यूजपेपर अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, जानकारों के मुताबिक निर्माण से संबंधित सामग्रियों में पिछले वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत तक तेजी आई है।
मेरठ उत्तर प्रदेश के भट्ठा एसोसिएशन के प्रवक्ता अजय मित्तल ने बताया कि ईंट के दाम 5700 रुपये से बढ़कर 6700 रुपये प्रति हजार पहुंच हो गए हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सरकार ने भट्ठों के संचालन की अवधि घटा दी है। साथ ही कच्चे माल में महंगाई और श्रमिकों की कमी के कारण भी चीजों में उछाल आया है। इस बार हुई ज्यादा बारिश भी निर्माण सामग्री में महंगाई का कारण बनी है। हैं।
उधर, कांति स्टील के संचालक विजय कुमार ने बताया कि 12 एमएम सरिये का दाम 5500 रुपये प्रति कुंतल से 5900 प्रति क्विंटल तक पहंच गया। शिवम ट्रेडर्स के संचालक भोपाल गुप्ता ने बताया कि सीमेंट के दामों में खासी तेजी आई है। 350 रुपये का सीमेंट का कट्टा 420 रुपये का हो गया है। कच्चे माल की कीमतें बढ़ने के कारण कंपनियों ने रेट बढ़ा दिए हैं। मेरठ में रोड़ी और डस्ट साहरनपुर की तरफ से आती है। शाकंभरी देवी की तरफ मेले के चलते रास्ते बंद हैं। ऐसे में कुछ दिनों के लिए रोड़ी और डस्ट के रेट भी बढ़ गए हैं।
दाम प्रति क्विंटल
सामग्री पहले अब
रोड़ी 90 100
डस्ट 90 100
रेत 65 70
ईट प्रति हजार 6500 5700
सीमेंट प्रति कट्टा 350 420
सरिया 12एमएम 5500 5900
उपभोक्ता परेशान हैं। शास्त्री नगर के दीपक कहते हैं कि महंगाई से निर्माण बीच में ही रुक गया है। ईंट, डस्ट, रोड़ी सभी के दामों में तेजी आ गई है। घर में निर्माण कार्य दिसंबर में शुरू किया था बीच में निर्माण कार्य रोक दिया। अब दोबारा काम शुरू कराया है। सभी चीजों के दाम बढ़े हुए हैं। वहीं, कंकरखेड़ा के ठेकेदार प्रदीप बताते हैं कि सभी निर्माण सामग्री के दाम बढ़ गए हैं। कुछ समय के लिए निर्माण कार्य रोक दिया है। निर्माण के लिए जो राशि तय की गई थी उसमें निर्माण करना संभव नहीं है।
UP में 'जल टैक्स' की भी मार
पिछले साल उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने फैसला लिया था कि अब कोई भी भवन निर्माण कराता है तो नक्शा पास कराने के लिए 50 रूपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से जल शुल्क लिया जाएगा। इसका सीधा असर, प्रदेश में भवन निर्माण कराना महंगा होने के तौर पर पड़ा है। जी हां, उत्तर प्रदेश में भवन निर्माण के लिए आपको ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। जानकारी के मुताबिक, कैबिनेट बैठक में जल शुल्क नियमावली 2022 को मंजूरी दी गई है। अभी तक इसके लिए कोई नियम नहीं था। अगर बहु मंजिला घर या बिल्डिंग आदि का निर्माण कराते हैं तो सभी तलों और बेसमेंट को शामिल करते हुए कुल क्षेत्रफल के आधार पर प्रति वर्ग फुट 50 रुपये का जल शुल्क वसूला जाएगा।
बिहार में देनी पड़ेगी दस गुना से भी ज्यादा बिल्डिंग परमिट फीस
बिहार के सभी शहरी निकायों में भी अब घर बनाना महंगा हो गया है। नगर विकास एवं आवास विभाग ने बिल्डिंग परमिट शुल्क में 10गुने तक बढ़ोतरी कर दी है, और इससे जुड़ी अधिसूचना जारी की है। अब हर शहरी निकाय के लिए तीन श्रेणियों में शुल्क तय किया गया है। इस खबर में हम आपको इस नई फीस सिस्टम के बारे में जानकारी देंगे।
परमिट फीस की नई श्रेणियाँ:
निकाय शुल्क (प्रति वर्ग मीटर)
पटना मेट्रोपोलिटन कोर एरिया ₹200
नगर निगम ₹100
नगर परिषद ₹80
ग्राम पंचायत ₹80
भवन की ऊंचाई के आधार पर:
बिल्डिंग के तल्लों के अनुसार शुल्क का निर्धारण होगा, इसका मतलब है कि ऊंची बिल्डिंग पर अधिक शुल्क लिया जाएगा। यह शुल्क नक्शे की मंजूरी के समय ही जमा करानी होगी।
फीस वृद्धि:
बिल्डिंग परमिट शुल्क में हर साल 10% तक की बढ़ोतरी की जाएगी, जिससे घर बनाने पर और अधिक आर्थिक बोझ डाला जाएगा।
दिल्ली में भी नए टैक्स की मार
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आमजन को अपने आशियाने का निर्माण करने के लिए जेब और अधिक ढीली करनी होगी क्योंकि दिल्ली नगर निगम पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली में भवन निर्माण पर दो तरह के अतिरिक्त शुल्क लागू करने की तैयारी कर रहा है। निगम के प्रस्ताव के तहत, 250 वर्ग मीटर तक और इससे अधिक आवासीय प्लॉट पर भवन निर्माण के लिए शुल्क लागू होगा। पूर्वी व दक्षिणी दिल्ली में घर व भवन निर्माण के नक्शे की मंजूरी के लिए इस शुल्क का भुगतान करना होगा। इन दोनों ही क्षेत्र में A से H श्रेणी के प्लॉट में निर्धारित सर्किल रेट के हिसाब से क्षतिपूर्ति व नियामक शुल्क देने होंगे।
250 वर्ग मीटर तक आवासीय प्लॉट में प्रति वर्ग मीटर क्षतिपूर्ति व नियामक शुल्क सर्कल रेट के 0.05 प्रतिशत के हिसाब से देना होगा। वहीं, 250 वर्ग मीटर से अधिक के प्लाटों के लिए 0.10% तक की दर से शुल्क का भुगतान करना होगा। निगम ने औद्योगिक क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र और कृषि भूमि के हिसाब से भी यह शुल्क प्रस्तावित किए हैं।
A श्रेणी के लिए देना होगा इतना शुल्क
निगम के प्रस्ताव के तहत 250 वर्ग मीटर तक के आवासीय प्लॉट में भवन निर्माण के नक्शे की मंजूरी के लिए A श्रेणी के आवेदकों को 387 रुपये प्रतिवर्ग मीटर देने होंगे। यह सर्किल रेट के 0.05 प्रतिशत की दर से लागू होगा। इस तरह से 250 वर्ग मीटर तक के आवासीय प्लॉट में B श्रेणी के लिए 122.76 रुपये, C के लिए 79.92 रुपये, D के लिए 63.84 रुपये, E के लिए 35.04 रुपये, F के लिए 28.32 रुपये, G श्रेणी के लिए 23.10 रुपये और H श्रेणी के लिए 11.64 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क का भुगतान करना होगा। इसी तरह से 250 वर्ग मीटर से अधिक के के आवासीय प्लॉटों के लिए भी श्रेणियों के सर्कल रेट के अनुसार 0.10% की दर से दोनों शुल्क जमा कराने होंगे। यह पूर्वी व दक्षिणी दिल्ली में लागू होगा।
एनसीआर के नोएडा में 100 प्रतिशत बढ़ा ये चार्ज
एनसीआर के नोएडा शहर में अब यहां के प्राधिकरण ने नक्शा पास कराने की फीस में 100 प्रतिशत का इजाफा कर दिया है। इस शहर में अपने सपनों का घर हर कोई बनाना चाहता है लेकिन नोएडा प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक में यहां नक्शा पास कराने की फीस को दोगुना कर दिया है।
अगर किसी बिल्डर को यहां पहले बिल्डिंग लाइसेंस लेना होता था तो उसे 15 रुपये प्रति स्क्वॉयर मीटर का चार्ज देना होता था। लेकिन नोएडा प्राधिकरण ने अब इसे बढ़ाकर 30 रुपये प्रति स्क्वॉयर मीटर कर दिया है। इसी तरह कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए लगने वाली फीस को 15 रुपये प्रति स्क्वॉयर फीट से बढ़ाकर 35 रुपये स्क्वॉयर फीट कर दिया है। प्राधिकरण की ओर से साफ कहा गया है कि बढ़े हुए चार्ज किसी भी बिल्डिंग के कवर्ड एरिया पर लागू होंगे।
उत्तराखंड में भी आम आदमी परेशान
आम आदमी के लिए उत्तराखंड में घर बनाना और महंगा हुआ है। दरअसल, दूसरे प्रदेशों से सप्लाई बंद होने और ओवरलोडिंग पर सख्ती से कई जिलों में रेत-बजरी की सप्लाई प्रभावित हुई है। कीमतों पर इसका सीधा असर पड़ा है। जानकारी के मुताबिक राजधानी देहरादून में बजरी 400 रूपये टन और रेत 700 रूपये टन तक महंगा हो गया है। बता दे प्रदेश में रेत-बजरी की कीमतों में एक महीने में औसतन 20 से 40 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। ईट के कीमतों में भी इजाफा हुआ है।
बता दें कि पहले देहरादून में हिमाचल से रेत-बजरी की सप्लाई हुआ करती थी, लेकिन अब इस पर रोक लगा दी गई है। यहां पर हरिद्वार-डोईवाला से रेत-बजरी की सप्लाई की जा रही है। निर्माण कार्यों से जुड़े कांट्रेक्टर कहते हैं कि देहरादून में लंबे समय से रेत-बजरी का संकट है। इस वक्त 20 टन बजरी का ट्रक 27 हजार रुपये तक पहुंच गया है। यह पहले 18 से 19 हजार रुपये में मिलता था। वही 20 टन रेत के ट्रक की कीमत 16 हजार रुपये से करीब 87 फीसदी तक बढ़ गई है। अब रेत के 20 टन के ट्रक की कीमत के तौर पर 30 हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। एक महीने में एक कुंतल बजरी की कीमत में 35 से 40 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है। ईंट के दाम भी 500 रुपये तक बढ़े हैं। पहले 1000 ईंट 6400 रुपये में मिलती थी, अब इसके लिए 7000 रुपये तक खर्चने पड़ रहे हैं।
हरियाणा में पांच माह में ही घर बनाना हुआ लाखों महंगा
ईंट, सीमेंट, रेत बजरी के रेट में बड़ा उछाल आने से घर बनाना महंगा हो गया है। चार माह पुराने रेट और अब के रेट क अंतर को देखें तो 100 वर्ग गज का मकान बनाने में लगभग पौने पांच लाख रुपये अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं। आगामी महीनों में रेट और बढ़ने की संभावना है।
चार माह पूर्व अव्वल ईंट का भाव 6000 रुपये प्रति क्विंटल था, अब लगभग 7500 रुपये हो गया है। 100 वर्ग गज का मकान बनाने में लगभग 27-30 हजार ईंट लगती हैं, यानि खर्च लगभग 4.50 लाख बढ़ा है। सीमेंट की बोरी 370 रुपये की थी। अब 400 रुपये की है, 9000 रुपये खर्च बढ़ा है। बजरी पर छह रुपये प्रति फीट बढ़े हैं। रेत के दाम तो चार माह के अंतराल में डेढ़ गुना हो गया है। बिल्डिंग मटेरियरल सप्लायर की मानें तो आगामी दो-तीन माह में दामों में और उछाल आएगा। सबसे बड़ी बात यह कि प्रापर्टी बाजार में मंदी के बावजूद प्लाट्स के दाम उछाल पर हैं।
5-6 साल में ही लगभग दोगुणा महंगा हुआ घर बनाना
वर्ष 2018 के मुकाबले देखा जाए तो रेत, गिट्टी और सरिया पर दो से तीन गुना तक महंगाई बढ़ गई है। ऐसे में 400 से 500 रुपए रोज कमाने वाले के लिए घर बना पाना नामुमकिन सा हो गया है। सीमेंट के दाम लगातार बढ़ रहे हैं तो अब ईंटों में भी आग लग गई है। जानकारों के अनुसार, एक मोटे अनुमान के तौर पर देंखे तो खनन सामग्री, सीमेंट-सरिया, लकड़ी और लोहे के रेट के साथ सरकारी टैक्स और विभिन्न प्राधिकरणों के चार्ज में बड़ा तगड़ा उछाल आया है। लेबर के रेट भी बढ़े हैं। कुल मिलाकर बीते 5-6 सालों में ही भवन निर्माण लगभग दोगुणा महंगा हो गया है।
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बढ़ती महंगाई के बीच सपनों का घर तैयार करने के अरमानों को झटका लगा है, क्योंकि पिछले महीने की तुलना में सीमेंट निर्माता कंपनियों ने इसकी कीमत में 12 से 13 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है। सीमेंट की कीमत में बढ़ोतरी का कारण मानसून में आई देरी से बढ़ी लागत को बताया जा रहा है। कुल मिलाकर आम आदमी को उसके सपनों का घर बनाने के लिए, अब पहले की तुलना में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, 1 अक्टूबर से दक्षिण और उत्तर भारत में सीमेंट के दाम और बढ़ेंगे। दक्षिण में सीमेंट की कीमत 30-40 रुपये प्रति बोरी महंगा हो सकता है। इससे पहले सितंबर की शुरुआत में सीमेंट कंपनियों ने 10-35 रुपये प्रति बोरी दाम बढ़ाए थे। यही नहीं, खास यह है कि बीते महीने यानी अगस्त में भी मासिक आधार पर भाव 1 से 2 फीसदी तक चढ़े थें।
सितंबर में कितनी बढ़ी सीमेंट की कीमतें?
सितंबर में कंपनियों ने सीमेंट के दाम 10 रुपये से 35 रुपये प्रति बैग (50 किलो सीमेंट प्रति बैग) बढ़ा दिए थे।
जेफ़रीज़ लिमिटेड के अनुसार, वे कुछ सीमेंट व्यापारियों से चर्चा के बाद इस आंकड़े पर पहुंचे हैं। सितंबर में सीमेंट की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी दर्ज की गई। लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, अब एक बार फिर से 1 अक्टूबर से दक्षिण और उत्तर भारत में सीमेंट के दाम बढ़ेंगे। इससे पहले सितंबर की शुरुआत में सीमेंट कंपनियों ने 10-35 रुपये प्रति बोरी दाम बढ़ाए ही थे। इस बढ़ोतरी के कारण पूरे भारत में सीमेंट की औसत कीमत 50 किलो बोरी के लिए 382 रुपये पर पहुंच गई है। पूर्वोत्तर क्षेत्रों में सीमेंट की कीमत 326 रुपये से बढ़कर 400 रुपये प्रति बोरी पहुंच चुका है।
ताज्जुब की बात यह है कि मानसून सीजन के दौरान देखा जाता है कि निर्माण की मांग कम होने से कीमत कम होती है, लेकिन सितंबर तिमाही के दौरान मांग कम होने के बाद भी कीमत में इजाफा हुआ है। यही नहीं, अगस्त तक जिस ब्रांडेड सीमेंट के एक बैग की कीमत 400 रुपये थी। सितंबर में यह 410 रुपये तक जा पहुंची। इधर, सीमेंट पर टैक्स भी बढ़ा। लिहाजा, अब दाम 430 से 450 रुपये तक पहुंच गए हैं। अब एक अक्तूबर से प्रति बैग 10 से 30 रुपये और दाम बढ़ने की आशंका है।
सीमेंट की मजबूत डिमांड
सीमेंट की कीमतों में आई तेजी की मुख्य वजह मजबूत मांग है। क्योंकि कम बारिश के चले डिमांड में इजाफा हुआ है। सीमेंट का भाव बढ़ने से दूसरी तिमाही में कंपनियों का कामकाजी मुनाफा प्रति टन ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन यानी EBITDA बेहतर रहने का अनुमान है। मार्जिन में भाव के साथ एनर्जी कॉस्ट में गिरावट से इसे सपोर्ट मिलेगा।
मानसून खत्म होने पर और बढ़ेगी कीमत
सीमेंट निर्माता कंपनियों की ओर से इसकी कीमत में बढ़ोतरी एक सख्त कदम है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब मानसून खत्म हो जाएगा, तब सीमेंट की कीमत में और बढ़ोतरी देखी जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि सीमेंट की मांग बढ़ेगी। इसके अलावा, रॉ मैटेरियल की लागत में एक बार फिर बढ़ने से इसकी कीमत और ज्यादा हो रही है।
रॉ मैटेरियल में आई इतनी बढ़ोतरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्सपर्ट ने बताया कि पिछले तीन महीने के दौरान कोल प्राइस 15 फीसदी बढ़ा है और पेटकोक प्राइस 28 फीसदी बढ़ा है। हालांकि साल दर साल की तुलना में इन दोनों की कीमत में गिरावट आई है। मार्च 2024 की तिमाही में परिचालन लागत में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में सीमेंट की डिमांड ज्यादा तेजी से बढ़ेगी।
बढ़ेगी कंपनियों की कमाई
कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि अगर सीमेंट कंपनियां सीमेंट की बढ़ती कीमत को मैनेज करने में सक्षम होती हैं तो इनकी पोस्ट अर्निंग मौजूदा वित्त वर्ष से पहली छमाही में 800-900 रुपये प्रति टन से 1200-1300 रुपये प्रति टन होने की संभावना है। एलारा कैपिटल के सीमेंट विश्लेषक रवि सोडा को उम्मीद है कि हालिया मूल्य वृद्धि का लाभ दिसंबर 2023 तिमाही में पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा, जिससे सीमेंट कंपनियों के मार्जिन में सुधार होगा। इन्हीं सब कारकों को देखते हुए, अल्ट्राटेक सीमेंट, अंबुजा सीमेंट्स और श्री सीमेंट जैसी बड़ी सीमेंट कंपनियां, जो अपनी मजबूत बाजार उपस्थिति और मजबूत बैलेंस शीट के लिए जानी जाती हैं, को आने वाली तिमाहियों में लाभ मिलने की संभावना है।
UP में GST की तगड़ी मार करेगी और हलकान: ईंट, मौरंग, बालू और गिट्टी पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी
उत्तर प्रदेश में बालू, मौरंग, मिट्टी और पहाड़ सहित सभी तरह के खनन पर अब 18 फीसदी जीएसटी वसूली जाएगी। खनन को सेवाकर की श्रेणी में रखते हुए ये दर तय की गई है। खनन पर रॉयल्टी पहले से ही है। अब 18 फीसदी जीएसटी लगने से ईंट, मौरंग, गिट्टी, मार्बल आदि सभी के रेट बढ़ेंगे। इसका सीधा असर भवन निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी योजनाओं पर पड़ेगा। खास है कि खनन पर सेवाकर को लेकर कारोबारियों और विभाग में लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। जीएसटी लागू होने से पहले खनन पर रॉयल्टी के अतिरिक्त पांच फीसदी सेवाकर का प्रावधान किया गया था। खनन कारोबारियों का कहना है कि रॉयल्टी भी एक प्रकार का टैक्स है, इसलिए एक ही उत्पाद पर दो टैक्स (रॉयल्टी और जीएसटी) नहीं लिया जा सकता है। विवाद बढ़ने पर ये मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया, जहां मामला विचाराधीन है। कारोबारियों का तर्क है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए फैसला आने तक जीएसटी न लिया जाए। वहीं, राज्य कर विभाग ने ये कहते हुए खनन पर 18 फीसदी जीएसटी का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है कि न तो इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है न ही जीएसटी व रिकवरी पर किसी तरह की रोक है, इसलिए हम सेवाकर लेंगे।
UP में प्रति हजार ईंट के रेट में भी तगड़ा उछाल, रेट 5700 से बढ़कर पहुंचा 6700 रूपये तक
UP में ईंट से लेकर निर्माण में उपयोग होने वाली जरूरी सामग्री के भाव में तेजी आई है। कच्चे माल की कीमतों में उछाल और श्रमिकों की कमी के चलते सामान की कीमतें बढ़ी हैं। स्थानीय न्यूजपेपर अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, जानकारों के मुताबिक निर्माण से संबंधित सामग्रियों में पिछले वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत तक तेजी आई है।
मेरठ उत्तर प्रदेश के भट्ठा एसोसिएशन के प्रवक्ता अजय मित्तल ने बताया कि ईंट के दाम 5700 रुपये से बढ़कर 6700 रुपये प्रति हजार पहुंच हो गए हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सरकार ने भट्ठों के संचालन की अवधि घटा दी है। साथ ही कच्चे माल में महंगाई और श्रमिकों की कमी के कारण भी चीजों में उछाल आया है। इस बार हुई ज्यादा बारिश भी निर्माण सामग्री में महंगाई का कारण बनी है। हैं।
उधर, कांति स्टील के संचालक विजय कुमार ने बताया कि 12 एमएम सरिये का दाम 5500 रुपये प्रति कुंतल से 5900 प्रति क्विंटल तक पहंच गया। शिवम ट्रेडर्स के संचालक भोपाल गुप्ता ने बताया कि सीमेंट के दामों में खासी तेजी आई है। 350 रुपये का सीमेंट का कट्टा 420 रुपये का हो गया है। कच्चे माल की कीमतें बढ़ने के कारण कंपनियों ने रेट बढ़ा दिए हैं। मेरठ में रोड़ी और डस्ट साहरनपुर की तरफ से आती है। शाकंभरी देवी की तरफ मेले के चलते रास्ते बंद हैं। ऐसे में कुछ दिनों के लिए रोड़ी और डस्ट के रेट भी बढ़ गए हैं।
दाम प्रति क्विंटल
सामग्री पहले अब
रोड़ी 90 100
डस्ट 90 100
रेत 65 70
ईट प्रति हजार 6500 5700
सीमेंट प्रति कट्टा 350 420
सरिया 12एमएम 5500 5900
उपभोक्ता परेशान हैं। शास्त्री नगर के दीपक कहते हैं कि महंगाई से निर्माण बीच में ही रुक गया है। ईंट, डस्ट, रोड़ी सभी के दामों में तेजी आ गई है। घर में निर्माण कार्य दिसंबर में शुरू किया था बीच में निर्माण कार्य रोक दिया। अब दोबारा काम शुरू कराया है। सभी चीजों के दाम बढ़े हुए हैं। वहीं, कंकरखेड़ा के ठेकेदार प्रदीप बताते हैं कि सभी निर्माण सामग्री के दाम बढ़ गए हैं। कुछ समय के लिए निर्माण कार्य रोक दिया है। निर्माण के लिए जो राशि तय की गई थी उसमें निर्माण करना संभव नहीं है।
UP में 'जल टैक्स' की भी मार
पिछले साल उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने फैसला लिया था कि अब कोई भी भवन निर्माण कराता है तो नक्शा पास कराने के लिए 50 रूपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से जल शुल्क लिया जाएगा। इसका सीधा असर, प्रदेश में भवन निर्माण कराना महंगा होने के तौर पर पड़ा है। जी हां, उत्तर प्रदेश में भवन निर्माण के लिए आपको ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। जानकारी के मुताबिक, कैबिनेट बैठक में जल शुल्क नियमावली 2022 को मंजूरी दी गई है। अभी तक इसके लिए कोई नियम नहीं था। अगर बहु मंजिला घर या बिल्डिंग आदि का निर्माण कराते हैं तो सभी तलों और बेसमेंट को शामिल करते हुए कुल क्षेत्रफल के आधार पर प्रति वर्ग फुट 50 रुपये का जल शुल्क वसूला जाएगा।
बिहार में देनी पड़ेगी दस गुना से भी ज्यादा बिल्डिंग परमिट फीस
बिहार के सभी शहरी निकायों में भी अब घर बनाना महंगा हो गया है। नगर विकास एवं आवास विभाग ने बिल्डिंग परमिट शुल्क में 10गुने तक बढ़ोतरी कर दी है, और इससे जुड़ी अधिसूचना जारी की है। अब हर शहरी निकाय के लिए तीन श्रेणियों में शुल्क तय किया गया है। इस खबर में हम आपको इस नई फीस सिस्टम के बारे में जानकारी देंगे।
परमिट फीस की नई श्रेणियाँ:
निकाय शुल्क (प्रति वर्ग मीटर)
पटना मेट्रोपोलिटन कोर एरिया ₹200
नगर निगम ₹100
नगर परिषद ₹80
ग्राम पंचायत ₹80
भवन की ऊंचाई के आधार पर:
बिल्डिंग के तल्लों के अनुसार शुल्क का निर्धारण होगा, इसका मतलब है कि ऊंची बिल्डिंग पर अधिक शुल्क लिया जाएगा। यह शुल्क नक्शे की मंजूरी के समय ही जमा करानी होगी।
फीस वृद्धि:
बिल्डिंग परमिट शुल्क में हर साल 10% तक की बढ़ोतरी की जाएगी, जिससे घर बनाने पर और अधिक आर्थिक बोझ डाला जाएगा।
दिल्ली में भी नए टैक्स की मार
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आमजन को अपने आशियाने का निर्माण करने के लिए जेब और अधिक ढीली करनी होगी क्योंकि दिल्ली नगर निगम पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली में भवन निर्माण पर दो तरह के अतिरिक्त शुल्क लागू करने की तैयारी कर रहा है। निगम के प्रस्ताव के तहत, 250 वर्ग मीटर तक और इससे अधिक आवासीय प्लॉट पर भवन निर्माण के लिए शुल्क लागू होगा। पूर्वी व दक्षिणी दिल्ली में घर व भवन निर्माण के नक्शे की मंजूरी के लिए इस शुल्क का भुगतान करना होगा। इन दोनों ही क्षेत्र में A से H श्रेणी के प्लॉट में निर्धारित सर्किल रेट के हिसाब से क्षतिपूर्ति व नियामक शुल्क देने होंगे।
250 वर्ग मीटर तक आवासीय प्लॉट में प्रति वर्ग मीटर क्षतिपूर्ति व नियामक शुल्क सर्कल रेट के 0.05 प्रतिशत के हिसाब से देना होगा। वहीं, 250 वर्ग मीटर से अधिक के प्लाटों के लिए 0.10% तक की दर से शुल्क का भुगतान करना होगा। निगम ने औद्योगिक क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र और कृषि भूमि के हिसाब से भी यह शुल्क प्रस्तावित किए हैं।
A श्रेणी के लिए देना होगा इतना शुल्क
निगम के प्रस्ताव के तहत 250 वर्ग मीटर तक के आवासीय प्लॉट में भवन निर्माण के नक्शे की मंजूरी के लिए A श्रेणी के आवेदकों को 387 रुपये प्रतिवर्ग मीटर देने होंगे। यह सर्किल रेट के 0.05 प्रतिशत की दर से लागू होगा। इस तरह से 250 वर्ग मीटर तक के आवासीय प्लॉट में B श्रेणी के लिए 122.76 रुपये, C के लिए 79.92 रुपये, D के लिए 63.84 रुपये, E के लिए 35.04 रुपये, F के लिए 28.32 रुपये, G श्रेणी के लिए 23.10 रुपये और H श्रेणी के लिए 11.64 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क का भुगतान करना होगा। इसी तरह से 250 वर्ग मीटर से अधिक के के आवासीय प्लॉटों के लिए भी श्रेणियों के सर्कल रेट के अनुसार 0.10% की दर से दोनों शुल्क जमा कराने होंगे। यह पूर्वी व दक्षिणी दिल्ली में लागू होगा।
एनसीआर के नोएडा में 100 प्रतिशत बढ़ा ये चार्ज
एनसीआर के नोएडा शहर में अब यहां के प्राधिकरण ने नक्शा पास कराने की फीस में 100 प्रतिशत का इजाफा कर दिया है। इस शहर में अपने सपनों का घर हर कोई बनाना चाहता है लेकिन नोएडा प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक में यहां नक्शा पास कराने की फीस को दोगुना कर दिया है।
अगर किसी बिल्डर को यहां पहले बिल्डिंग लाइसेंस लेना होता था तो उसे 15 रुपये प्रति स्क्वॉयर मीटर का चार्ज देना होता था। लेकिन नोएडा प्राधिकरण ने अब इसे बढ़ाकर 30 रुपये प्रति स्क्वॉयर मीटर कर दिया है। इसी तरह कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए लगने वाली फीस को 15 रुपये प्रति स्क्वॉयर फीट से बढ़ाकर 35 रुपये स्क्वॉयर फीट कर दिया है। प्राधिकरण की ओर से साफ कहा गया है कि बढ़े हुए चार्ज किसी भी बिल्डिंग के कवर्ड एरिया पर लागू होंगे।
उत्तराखंड में भी आम आदमी परेशान
आम आदमी के लिए उत्तराखंड में घर बनाना और महंगा हुआ है। दरअसल, दूसरे प्रदेशों से सप्लाई बंद होने और ओवरलोडिंग पर सख्ती से कई जिलों में रेत-बजरी की सप्लाई प्रभावित हुई है। कीमतों पर इसका सीधा असर पड़ा है। जानकारी के मुताबिक राजधानी देहरादून में बजरी 400 रूपये टन और रेत 700 रूपये टन तक महंगा हो गया है। बता दे प्रदेश में रेत-बजरी की कीमतों में एक महीने में औसतन 20 से 40 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। ईट के कीमतों में भी इजाफा हुआ है।
बता दें कि पहले देहरादून में हिमाचल से रेत-बजरी की सप्लाई हुआ करती थी, लेकिन अब इस पर रोक लगा दी गई है। यहां पर हरिद्वार-डोईवाला से रेत-बजरी की सप्लाई की जा रही है। निर्माण कार्यों से जुड़े कांट्रेक्टर कहते हैं कि देहरादून में लंबे समय से रेत-बजरी का संकट है। इस वक्त 20 टन बजरी का ट्रक 27 हजार रुपये तक पहुंच गया है। यह पहले 18 से 19 हजार रुपये में मिलता था। वही 20 टन रेत के ट्रक की कीमत 16 हजार रुपये से करीब 87 फीसदी तक बढ़ गई है। अब रेत के 20 टन के ट्रक की कीमत के तौर पर 30 हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। एक महीने में एक कुंतल बजरी की कीमत में 35 से 40 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है। ईंट के दाम भी 500 रुपये तक बढ़े हैं। पहले 1000 ईंट 6400 रुपये में मिलती थी, अब इसके लिए 7000 रुपये तक खर्चने पड़ रहे हैं।
हरियाणा में पांच माह में ही घर बनाना हुआ लाखों महंगा
ईंट, सीमेंट, रेत बजरी के रेट में बड़ा उछाल आने से घर बनाना महंगा हो गया है। चार माह पुराने रेट और अब के रेट क अंतर को देखें तो 100 वर्ग गज का मकान बनाने में लगभग पौने पांच लाख रुपये अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं। आगामी महीनों में रेट और बढ़ने की संभावना है।
चार माह पूर्व अव्वल ईंट का भाव 6000 रुपये प्रति क्विंटल था, अब लगभग 7500 रुपये हो गया है। 100 वर्ग गज का मकान बनाने में लगभग 27-30 हजार ईंट लगती हैं, यानि खर्च लगभग 4.50 लाख बढ़ा है। सीमेंट की बोरी 370 रुपये की थी। अब 400 रुपये की है, 9000 रुपये खर्च बढ़ा है। बजरी पर छह रुपये प्रति फीट बढ़े हैं। रेत के दाम तो चार माह के अंतराल में डेढ़ गुना हो गया है। बिल्डिंग मटेरियरल सप्लायर की मानें तो आगामी दो-तीन माह में दामों में और उछाल आएगा। सबसे बड़ी बात यह कि प्रापर्टी बाजार में मंदी के बावजूद प्लाट्स के दाम उछाल पर हैं।
5-6 साल में ही लगभग दोगुणा महंगा हुआ घर बनाना
वर्ष 2018 के मुकाबले देखा जाए तो रेत, गिट्टी और सरिया पर दो से तीन गुना तक महंगाई बढ़ गई है। ऐसे में 400 से 500 रुपए रोज कमाने वाले के लिए घर बना पाना नामुमकिन सा हो गया है। सीमेंट के दाम लगातार बढ़ रहे हैं तो अब ईंटों में भी आग लग गई है। जानकारों के अनुसार, एक मोटे अनुमान के तौर पर देंखे तो खनन सामग्री, सीमेंट-सरिया, लकड़ी और लोहे के रेट के साथ सरकारी टैक्स और विभिन्न प्राधिकरणों के चार्ज में बड़ा तगड़ा उछाल आया है। लेबर के रेट भी बढ़े हैं। कुल मिलाकर बीते 5-6 सालों में ही भवन निर्माण लगभग दोगुणा महंगा हो गया है।
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