इस प्रोग्राम में सुप्रीम कोर्ट के रवैये और ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे के बारे में एकतरफ़ा और संक्रामक बयान जारी किए गए थे.
16 अगस्त को CJP ने टाइम्स नाउ नवभारत के प्रोग्राम, राष्ट्रवाद- “Rashtravad | Gyanvapi Survey के बाद ‘ज्ञानवापी आंदोलन‘ होगा ?” विषय के साथ जारी कार्यक्रम के ख़िलाफ़ NBDSA (News Broadcasting & Digital Standards Authority) में शिकायत दर्ज की थी. ये प्रोग्राम 24 जुलाई को प्रसारित किया गया था. यह कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर आधारित था जिसमें कोर्ट ने ज्ञानवापी में ASI (Archaeological Survey of India) के ख़िलाफ़ अंतरिम सुरक्षा का आदेश दिया था. फिर वाराणसी ज़िला कोर्ट से इज़ाज़त मिलने के बाद 24 जुलाई को सुबह 7 बजे ASI टीम ने सर्वे के मक़सद से ज्ञानवापी मस्जिद में प्रवेश किया.
यह ध्यान देने योग्य है कि राकेश पांडे ने जिस मामले को उठाया है वो अभी विचाराधीन है. इसके अलावा कार्यक्रम को सिर्फ़ एकतरफ़ा नज़रिये से पेश किया गया है. यहां तक कि असल चर्चा शुरू होने से पहले ही होस्ट ने एकतरफ़ा नज़रिये का परिचय दे दिया था. इस चर्चा में भ्रामक बातचीत के ज़रिए आपसी सांप्रदायिक खाई को बढ़ाने वाले बिंदुओं को शामिल किया गया. ये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कवरेज और साफ़ सुथरी निष्पक्ष पत्रकारिता के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है.
इस शिकायत में कहा गया कि- ‘‘ये साफ़ है कि इसमें चर्चा के प्रतिभागी ही नहीं वरन बदक़िस्मती से होस्ट ने भी जिस तरह बिंदुओं को तूल दी है वो निष्पक्ष और भेदभावरहित नहीं है. यह भी ग़ौर करने की बात है कि होस्ट ने डिबेट पैनल में शामिल मुसलमान समुदाय के प्रतिभागियों से आरोप लगाने के अंदाज़ में सवाल पूछे हैं जबकि बहुसंख्यक हिंदू आबादी के प्रतिभागियों के लिए सभ्य और सरल रवैय्या अख़्तियार किया गया है.’’
इसके अलावा इस प्रोग्राम में पहले से कुछ उकसाने वाले सवाल तय कर लिए गए थे जिससे प्रोग्राम की काफ़ी रूप रेखा अपने आप ही तय हो जाती है.
· ‘4 घंटों के सर्वे में ऐसा क्या मिला जिससे मुस्लिम पक्ष में हंगामा मच गया?’
· ‘आख़िर मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद का सच खुलने से क्यों डरा हुआ है?’
· ‘क्या सर्वे टीम को सचमुच मंदिर का सबूत मिला था?’
· ‘ASI सर्वे को अंतरिम बुनियादों पर रोक दिया गया लेकिन उसके बाद क्या हुआ?’
· ‘क्या सर्वे के बाद ज्ञानवापी अंदोलन होगा?’
इस शिकायत में कहा गया कि ये डिबेट शो होस्ट के एकतरफ़ा नज़रिए को बल देता है और न्यूज़ रूम डिबेट के बजाय ये हिंदू पक्ष की चर्चा जैसा दिखाई देता है. इन्हीं बिंदुओं को सामने रखते हुए CJP ने बताया कि कैसे ये NBDSA द्वारा तय मानकों का उल्लंघन है.
शिकायत में कहा गया कि - ‘‘NBDSA की गाइडलाइन्स के मुताबिक़ होस्ट से एक निष्पक्ष रवैये की उम्मीद की जाती है कि वो सीधे ढंग से मामला सामने रखेगा और किसी समुदाय को निशाने पर लेने के लिए किसी विशेष समुदाय का पक्ष नहीं लेगा, लेकिन साफ़ तौर पर ऐसा नहीं हुआ.
वीडियो और बयानों से साफ़ ज़ाहिर है कि होस्ट राकेश पांडेय ने बहस को इस सवाल पर टिका रखा था कि मुसलमान समुदाय प्रक्रिया में देरी करके सच छिपाने की कोशिश कर रहा है. एक न्यूज़ चैनल में प्रोग्राम का एंकर होने के नाते उनसे निष्पक्ष और पूर्वाग्रहरहित रवैये की उम्मीद की जाती है लेकिन इस कार्यक्रम के दौरान होस्ट ने ग़ैरसांप्रदायिक विषयवस्तु को चुनने का प्रयास तक नहीं किया.’’
इस शिकायत के ज़रिए CJP ने अधिकारियों से टाइम्स नाउ नवभारत के प्रोग्राम का संज्ञान लेकर भ्रामक सूचना फैलाने, अलगाववादी सिद्दांतों को तूल देने और अल्पसंख्यक समुदाय की मज़हबी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए के लिए ज़रूरी क़दम उठाने की मांग की है.
पूरी शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है:
16 अगस्त को CJP ने टाइम्स नाउ नवभारत के प्रोग्राम, राष्ट्रवाद- “Rashtravad | Gyanvapi Survey के बाद ‘ज्ञानवापी आंदोलन‘ होगा ?” विषय के साथ जारी कार्यक्रम के ख़िलाफ़ NBDSA (News Broadcasting & Digital Standards Authority) में शिकायत दर्ज की थी. ये प्रोग्राम 24 जुलाई को प्रसारित किया गया था. यह कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर आधारित था जिसमें कोर्ट ने ज्ञानवापी में ASI (Archaeological Survey of India) के ख़िलाफ़ अंतरिम सुरक्षा का आदेश दिया था. फिर वाराणसी ज़िला कोर्ट से इज़ाज़त मिलने के बाद 24 जुलाई को सुबह 7 बजे ASI टीम ने सर्वे के मक़सद से ज्ञानवापी मस्जिद में प्रवेश किया.
यह ध्यान देने योग्य है कि राकेश पांडे ने जिस मामले को उठाया है वो अभी विचाराधीन है. इसके अलावा कार्यक्रम को सिर्फ़ एकतरफ़ा नज़रिये से पेश किया गया है. यहां तक कि असल चर्चा शुरू होने से पहले ही होस्ट ने एकतरफ़ा नज़रिये का परिचय दे दिया था. इस चर्चा में भ्रामक बातचीत के ज़रिए आपसी सांप्रदायिक खाई को बढ़ाने वाले बिंदुओं को शामिल किया गया. ये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कवरेज और साफ़ सुथरी निष्पक्ष पत्रकारिता के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है.
इस शिकायत में कहा गया कि- ‘‘ये साफ़ है कि इसमें चर्चा के प्रतिभागी ही नहीं वरन बदक़िस्मती से होस्ट ने भी जिस तरह बिंदुओं को तूल दी है वो निष्पक्ष और भेदभावरहित नहीं है. यह भी ग़ौर करने की बात है कि होस्ट ने डिबेट पैनल में शामिल मुसलमान समुदाय के प्रतिभागियों से आरोप लगाने के अंदाज़ में सवाल पूछे हैं जबकि बहुसंख्यक हिंदू आबादी के प्रतिभागियों के लिए सभ्य और सरल रवैय्या अख़्तियार किया गया है.’’
इसके अलावा इस प्रोग्राम में पहले से कुछ उकसाने वाले सवाल तय कर लिए गए थे जिससे प्रोग्राम की काफ़ी रूप रेखा अपने आप ही तय हो जाती है.
· ‘4 घंटों के सर्वे में ऐसा क्या मिला जिससे मुस्लिम पक्ष में हंगामा मच गया?’
· ‘आख़िर मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद का सच खुलने से क्यों डरा हुआ है?’
· ‘क्या सर्वे टीम को सचमुच मंदिर का सबूत मिला था?’
· ‘ASI सर्वे को अंतरिम बुनियादों पर रोक दिया गया लेकिन उसके बाद क्या हुआ?’
· ‘क्या सर्वे के बाद ज्ञानवापी अंदोलन होगा?’
इस शिकायत में कहा गया कि ये डिबेट शो होस्ट के एकतरफ़ा नज़रिए को बल देता है और न्यूज़ रूम डिबेट के बजाय ये हिंदू पक्ष की चर्चा जैसा दिखाई देता है. इन्हीं बिंदुओं को सामने रखते हुए CJP ने बताया कि कैसे ये NBDSA द्वारा तय मानकों का उल्लंघन है.
शिकायत में कहा गया कि - ‘‘NBDSA की गाइडलाइन्स के मुताबिक़ होस्ट से एक निष्पक्ष रवैये की उम्मीद की जाती है कि वो सीधे ढंग से मामला सामने रखेगा और किसी समुदाय को निशाने पर लेने के लिए किसी विशेष समुदाय का पक्ष नहीं लेगा, लेकिन साफ़ तौर पर ऐसा नहीं हुआ.
वीडियो और बयानों से साफ़ ज़ाहिर है कि होस्ट राकेश पांडेय ने बहस को इस सवाल पर टिका रखा था कि मुसलमान समुदाय प्रक्रिया में देरी करके सच छिपाने की कोशिश कर रहा है. एक न्यूज़ चैनल में प्रोग्राम का एंकर होने के नाते उनसे निष्पक्ष और पूर्वाग्रहरहित रवैये की उम्मीद की जाती है लेकिन इस कार्यक्रम के दौरान होस्ट ने ग़ैरसांप्रदायिक विषयवस्तु को चुनने का प्रयास तक नहीं किया.’’
इस शिकायत के ज़रिए CJP ने अधिकारियों से टाइम्स नाउ नवभारत के प्रोग्राम का संज्ञान लेकर भ्रामक सूचना फैलाने, अलगाववादी सिद्दांतों को तूल देने और अल्पसंख्यक समुदाय की मज़हबी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए के लिए ज़रूरी क़दम उठाने की मांग की है.
पूरी शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है: