छह सालों में बैंकों के 11.17 लाख करोड़ के लोन माफ, पांच साल में 5,225 और नए विलफुल डिफाल्टर

Written by Navnish Kumar | Published on: December 21, 2022
"सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि छह सालों में जहां बैंकों ने 11.17 लाख करोड़ के लोन माफ (write off) किए हैं वहीं 5 साल में विलफुल डिफाल्टर की संख्या भी 5,225 बढ़ी हैं।"



बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 तक पिछले छह वर्षों में 11.17 लाख करोड़ रुपये के खराब लोन को बट्टे खाते में डाल दिया है। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड द्वारा मंगलवार (20 दिसंबर) को एक लिखित जवाब में संसद में इस बात की जानकारी दी गई। पिछले 6 सालों का आंकड़ा पेश करते हुए वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि पिछले 6 सालों में बैंकों ने कुल 11.17 लाख करोड़ रुपये के फंसे हुए लोन को बट्टे खातों में डाल दिया है और इस बैलेंस को बही खाते से हटा दिया है। इसके साथ ही 5 साल में विलफुल डिफाल्टर की संख्या में भी 5 हजार से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हो चुकी है।

RBI ने दी Bank Deflaters की लिस्ट

विलफुल डिफॉल्टर की संख्या से संबंधित एक अन्य प्रश्न के जवाब में कराड ने कहा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया है कि 30 जून, 2017 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 25 लाख रुपये और उससे अधिक के बकाया लोन वाले विलफुल डिफॉल्टरों की कुल संख्या 8,045 थी और 30 जून, 2022 तक 12,439, जबकि प्राइवेट बैंक में यह 30 जून, 2017 को 1,616 और 30 जून, 2022 को 2,447 थी। कुल मिलाकर देंखे तो इन 5 सालों में विलफुल डिफाल्टर की संख्या में 5,225 की बढ़ोत्तरी हुई है। 

उन्होंने आगे कहा, “आरबीआई ने सूचित किया है कि 30.6.2017 तक, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में 8,744 सूट-फाइल विलफुल डिफॉल्टर्स और 917 गैर-सूट-फाइल किए गए विलफुल डिफॉल्टर्स थे, और 30.6.2022 तक, यह संख्या क्रमशः 14,485 और 401 है।”

राज्य वित्तमंत्री ने आगे बताया कि बैंक अपनी बैलेंस शीट को साफ रख कर लाभ लेने और अपने नियमित अभ्यास के हिस्से के रूप में एनपीए को राइट-ऑफ करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंकों के बोर्ड के अनुमोदन की नीति के अनुसार राइट-ऑफ किया जाता है। राज्य वित्तमंत्री ने आगे बताया, “आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) ने पिछले छह वित्तीय वर्षों के दौरान क्रमशः 8,16,421 करोड़ रुपये और 11,17,883 करोड़ रुपये की कुल राशि को बट्टे खाते में डाला।”

निर्मला सीतारमण ने पेश किया था 5 साल का आंकड़ा

इसके पहले 14 दिसंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते पांच सालों के आंकड़े राज्यसभा में पेश किए थे। वित्तमंत्री ने बताया था कि पांच सालों के दौरान बैंकों में फंसे लोन को आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार बट्टे खाते में डाल दिया गया है। निर्मला सीतारमण ने बताया था कि इसके साथ ही बैंकों ने अपने मौजूदा बही-खाते को ठीक भी कर लिया। उन्होंने बताया था कि आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक बीते 5 सालों में 10 लाख करोड़ से भी ज्यादा रकम बट्टे के खाते में डाल दिया गया है।

 *UPA सरकार के 10 सालों की तुलना में 5 गुणा ज्यादा है मोदी सरकार का 6 साल का लोन माफी का आंकड़ा* 

UPA सरकार के 10 सालों के शासन की तुलना में मोदी सरकार का 6 साल का लोन माफी का आंकड़ा करीब पांच गुणा ज्यादा है। गत वर्ष RTI के माध्यम से इसका खुलासा हुआ था। केंद्र की एनडीए सरकार ने पिछले 6 सालों में करीब 11 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए हैं, जो यूपीए सरकार के 10 सालों के शासन की तुलना में 5 गुना से ज़्यादा है।

RTI पर आधारित एनडीटीवी में छपी रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र की मोदी सरकार ने 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2021 तक 6 सालों में बैंकों के 11 लाख 19,482 करोड़ रुपये राइट ऑफ किये हैं यानी माफ किए गए थे। साथ ही आरटीआई में यह भी पता चला कि साल 2004 से 2014 तक केंद्र की यूपीए सरकार ने 2.22 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए थे, यानी मोदी सरकार में बैंक लोन 5 गुना ज्यादा राइट ऑफ हुए हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट प्रफुल शारदा कहते हैं, ''अगर 2015 से लेकर 30 जून 2021 के आंकड़े को RBI ने दिए हैं, उसे देखें तो 11 लाख 19 हज़ार करोड़ का लोन राइट ऑफ हुआ है, जबकि रिकवरी केवल 1 लाख करोड़ की है। यानी 10 लाख करोड़ का अभी भी शॉर्टफॉल है। सबसे ज़्यादा इन्वॉल्वमेंट इसमें पब्लिक सेक्टर बैंकों का रहा है, जहां से लगभग 8.5 लाख करोड़ का लोन राइट ऑफ हुआ है। 

गत वर्ष RTI से मिली जानकारी के अनुसार, केवल कोरोना के 15 महीनों में 2,45,456 करोड़ रुपये के लोन को माफ किया गया। सरकारी बैंकों ने 1,56,681 करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए जबकि निजी बैंकों ने 80,883 करोड़ के और फॉरेन बैंकों ने 3826 करोड़ लोन माफ किए। NBFC ने भी 1216 करोड़ के लोन माफ किए हैं जबकि शेड्यूल कॉमर्स बैंक ने 2859 करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए। 

खास है कि यह ज्यादातर बिज़नेस कैटेगरी वालों के लोन NPA हुए हैं। यह 100-200-500 करोड़ के लोन हैं। जो रिटेल लोन जैसे वेहिकल या होम लोन हैं, उसके आपको कम ही ऐसे मामले मिलेंगे क्योंकि यह सिक्योर्ड होते हैं। लेकिन बड़े लोन में कानूनी तिकड़म अपनाने से प्रॉसेस काफी लंबा चला जाता है।"

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