नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से धीरे-धीरे कुछ बैंकों की पोल खुल रही है। कालेधन को सफेद करने में कुछ बैंकों ने अहम रोल निभाया है। विभिन्न जांच एजेंसियों ने बैकों पर यूं ही छापे नहीं मारे, इनके पीछे काफी मजबूत आधार हैं। ईडी को हाथ लगे आंकड़ों में पता चला है कि जनवरी 2014 से जून 2016 के बीच 12,357 करोड़ रुपये की बड़ी रकम देश से बाहर भेज गया। हैरान मत होइए, यह आंकड़ा तो सिर्फ चार बैंकों से जुड़े महज पांच मामलों में सामने आया है।
हालांकि, पैसे किनके हैं और कहां भेजे गए, इस संबंध में अभी विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है क्योंकि जांच अभी भी चल ही रही है। खबरों के मुताबिक ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के खिलाफ दो मामले दर्ज हुए हैं जबकि आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडसइंड बैंक के खिलाफ भी 1-1 केस रजिस्टर किया गया है।
देश से बाहर गए 12,357 करोड़ रुपये में सबसे बड़ी रकम पिछले साल दर्ज बैंक ऑफ बड़ौदा मामले में पाई गई। ईडी को पता चला कि इस बैंक की दिल्ली स्थित एक शाखा में ईडी से 6,000 करोड़ रुपये भारत से बाहर भेजे गए। जांच में यह भी पता चला है कि गुजरात में आईसीआईसीआई बैंक की एक शाखा ने 5,395.75 करोड़ और महाराष्ट्र में ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की एक शाखा से जुड़े दो मामलों में 56.51 करोड़ जबकि इसी बैंक की उत्तर प्रदेश स्थित एक शाखा से 600 करोड़ रुपये बाहर भेजे गए। इनसे जुड़े मामले क्रमशः 2014 और 2015 में दर्ज किए गए।
ये सारे मामले प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) 2002 के तहत दर्ज किए गए हैं। ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रीयकृत बैंक हैं। डेटा के साथ अटैच ईडी के बयान में कहा गया है, ‘इन मामलों की जांच से पहली नजर में तो यही लगता है कि कुछ मामलों में बैंक अधिकारियों की मिलीभगत है।’
किसी खास मामले का जिक्र किए बिना एक अधिकारी ने बताया कि आखिर इस तरह की मिलीभगत कैसे संभव हुई। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने नो-योर-कस्टमर (केवाइसी) के अलावा नॉन-रेजिडेंट ऑर्डिनरी (एनआरओ) अकाउंट्स बनाने से संबंधित नियमों के उल्लंघन में मदद की। यह जांच का विषय है कि ऐसा उन्होंने जानबूझकर किया या फिर अनजाने में। साथ ही, पहचान प्रक्रिया को नजरअंदाज कर खाते खोलने के मामले भी हो सकते हैं।
पिछले सप्ताह कई एजेंसियों ने कहा कि बैंकों के काम-काज करने के तरीकों पर उनकी नजर है। आईबी ने कहा कि वह 500 बैंक शाखाओं पर नजर बनाए हुए है जबकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पहली बार बैंकों पर छापेमारी भी की। इधर, रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मुंद्रा ने भी एक बयान में कहा, 'आरबीआई के निरीक्षक बैंकों के विभिन्न डेटा पॉइंट्स को खंगाल रहे हैं और लेन-देन या काम-काज में कोई गलती की भनक लगते ही जांच शुरू की जाएगी तथा उचित कार्रवाई होगी।'
कम लोगो को पता है की मोदी सरकार बनते ही विदेश पैसे भेजने वाले पैसे की सीमा को बढ़ा दिया गया जिससे देश से बाहर कालाधन हवाला के जरिए भेजने मे काफी तेजी आई है।
Courtesy: National Dastak
हालांकि, पैसे किनके हैं और कहां भेजे गए, इस संबंध में अभी विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है क्योंकि जांच अभी भी चल ही रही है। खबरों के मुताबिक ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के खिलाफ दो मामले दर्ज हुए हैं जबकि आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडसइंड बैंक के खिलाफ भी 1-1 केस रजिस्टर किया गया है।
देश से बाहर गए 12,357 करोड़ रुपये में सबसे बड़ी रकम पिछले साल दर्ज बैंक ऑफ बड़ौदा मामले में पाई गई। ईडी को पता चला कि इस बैंक की दिल्ली स्थित एक शाखा में ईडी से 6,000 करोड़ रुपये भारत से बाहर भेजे गए। जांच में यह भी पता चला है कि गुजरात में आईसीआईसीआई बैंक की एक शाखा ने 5,395.75 करोड़ और महाराष्ट्र में ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की एक शाखा से जुड़े दो मामलों में 56.51 करोड़ जबकि इसी बैंक की उत्तर प्रदेश स्थित एक शाखा से 600 करोड़ रुपये बाहर भेजे गए। इनसे जुड़े मामले क्रमशः 2014 और 2015 में दर्ज किए गए।
ये सारे मामले प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) 2002 के तहत दर्ज किए गए हैं। ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रीयकृत बैंक हैं। डेटा के साथ अटैच ईडी के बयान में कहा गया है, ‘इन मामलों की जांच से पहली नजर में तो यही लगता है कि कुछ मामलों में बैंक अधिकारियों की मिलीभगत है।’
किसी खास मामले का जिक्र किए बिना एक अधिकारी ने बताया कि आखिर इस तरह की मिलीभगत कैसे संभव हुई। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने नो-योर-कस्टमर (केवाइसी) के अलावा नॉन-रेजिडेंट ऑर्डिनरी (एनआरओ) अकाउंट्स बनाने से संबंधित नियमों के उल्लंघन में मदद की। यह जांच का विषय है कि ऐसा उन्होंने जानबूझकर किया या फिर अनजाने में। साथ ही, पहचान प्रक्रिया को नजरअंदाज कर खाते खोलने के मामले भी हो सकते हैं।
पिछले सप्ताह कई एजेंसियों ने कहा कि बैंकों के काम-काज करने के तरीकों पर उनकी नजर है। आईबी ने कहा कि वह 500 बैंक शाखाओं पर नजर बनाए हुए है जबकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पहली बार बैंकों पर छापेमारी भी की। इधर, रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मुंद्रा ने भी एक बयान में कहा, 'आरबीआई के निरीक्षक बैंकों के विभिन्न डेटा पॉइंट्स को खंगाल रहे हैं और लेन-देन या काम-काज में कोई गलती की भनक लगते ही जांच शुरू की जाएगी तथा उचित कार्रवाई होगी।'
कम लोगो को पता है की मोदी सरकार बनते ही विदेश पैसे भेजने वाले पैसे की सीमा को बढ़ा दिया गया जिससे देश से बाहर कालाधन हवाला के जरिए भेजने मे काफी तेजी आई है।
Courtesy: National Dastak