2014 में 15 लाख का जुमला बहुत लोकप्रिय था लोग अभी भी खाते में आने वाले 15 लाख का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल उस वक्त मोदीजी का कहना था कि विदेशों में भारत का इतना काला धन जमा है कि वापस आ जाए तो हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपए आ जाएंगे, बाबा रामदेव भी उस वक्त काले धन के मुद्दे पर खूब मुखर थे। रामदेव का दावा था कि विदेशों में चार सौ लाख करोड़ रुपए जमा है।
काले धन से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार बनने के ढाई साल बाद नरेंद्र मोदी नोटबंदी कर दी और कहा कि इससे काला धन भी खत्म हो जाएगा। हमे बताया जाता है कि नोटबन्दी सफल है। 2019 के चुनाव परिणाम भी बता रहे हैं कि सारा काला धन खत्म हो गया है देश मे अब कही काला धन बचा ही नही है।
लेकिन पता नहीं मोदी सरकार ने इतना काला धन जो चुनाव प्रचार में रैलियों विज्ञापनों ओर नमो टीवी जैसे अन्य न्यूज़ चैनलों को बांटा है वह कहा से आ गया। भाजपा अगर बेहिसाब काले धन का भोंडा प्रदर्शन कर रही है तो वह सब ठीक है लेकिन बाकी सब ग़लत है। बनारस में जिस दिन मोदी जी ने नामांकन भरा था हम सबने उसे देखा। लेकिन किसी ने यह प्रश्न उठाना जरूरी नहीं समझा कि देश के हर हिस्से से जो इतनी नृत्य मंडलियां बुलाई जा रही हैं वह कहां से आ रही हैं जो ट्रकों से गुलाब की पंखुड़ियों को उड़ाया जा रहा है वह क्या है?
चुनाव आयोग ने पांचवे चरण के आते आते साढ़े तीन हजार करोड़ के काले धन को जब्त कर लिया था और भारत में आम चुनाव कराने में भी करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए का ही खर्च आता है। यानी जितने पैसे में चुनाव आयोग चुनाव कराता है उतने के बराबर मूल्य की जब्ती सिर्फ 5 चरण के चुनाव में हो चुकी थी।
लेकिन कोई पूछ रहा है कि इतना काला धन आया कहां से? क्योंकि गरीब आदमी का एक एक नोट बदल दिया गया था, खैर छोड़िए हमें क्या करना है, 'सफलता के हजार बाप होते है और असफलता अनाथ होती है', और कहा तो ये भी जाता है कि 'जिसकी चलती है उसके जूतों में भी दाल बटती है'।
काले धन से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार बनने के ढाई साल बाद नरेंद्र मोदी नोटबंदी कर दी और कहा कि इससे काला धन भी खत्म हो जाएगा। हमे बताया जाता है कि नोटबन्दी सफल है। 2019 के चुनाव परिणाम भी बता रहे हैं कि सारा काला धन खत्म हो गया है देश मे अब कही काला धन बचा ही नही है।
लेकिन पता नहीं मोदी सरकार ने इतना काला धन जो चुनाव प्रचार में रैलियों विज्ञापनों ओर नमो टीवी जैसे अन्य न्यूज़ चैनलों को बांटा है वह कहा से आ गया। भाजपा अगर बेहिसाब काले धन का भोंडा प्रदर्शन कर रही है तो वह सब ठीक है लेकिन बाकी सब ग़लत है। बनारस में जिस दिन मोदी जी ने नामांकन भरा था हम सबने उसे देखा। लेकिन किसी ने यह प्रश्न उठाना जरूरी नहीं समझा कि देश के हर हिस्से से जो इतनी नृत्य मंडलियां बुलाई जा रही हैं वह कहां से आ रही हैं जो ट्रकों से गुलाब की पंखुड़ियों को उड़ाया जा रहा है वह क्या है?
चुनाव आयोग ने पांचवे चरण के आते आते साढ़े तीन हजार करोड़ के काले धन को जब्त कर लिया था और भारत में आम चुनाव कराने में भी करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए का ही खर्च आता है। यानी जितने पैसे में चुनाव आयोग चुनाव कराता है उतने के बराबर मूल्य की जब्ती सिर्फ 5 चरण के चुनाव में हो चुकी थी।
लेकिन कोई पूछ रहा है कि इतना काला धन आया कहां से? क्योंकि गरीब आदमी का एक एक नोट बदल दिया गया था, खैर छोड़िए हमें क्या करना है, 'सफलता के हजार बाप होते है और असफलता अनाथ होती है', और कहा तो ये भी जाता है कि 'जिसकी चलती है उसके जूतों में भी दाल बटती है'।