2012 -13 में कोई बारहवीं पास युवा हमसे पूछता था कि किस क्षेत्र में नौकरियों में बढ़ोतरी होने की संभावना अधिक है, किस तरफ जाना चाहिए तो हम उसे कहते थे कि बैंकिंग क्षेत्र में नए रिक्रूटमेंट होने की संभावनाएं सबसे अधिक है।
लेकिन हम गलत साबित हुए मोदी सरकार ने अपनी नीतियों में परिवर्तन कर दिया उसने बड़े बैंको का विलय कर दिया और बैंकों में नई भर्ती बेहद कम हो गई।
सबसे पहले स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपने छह सहयोगी बैंकों (Associated banks) और भारतीय महिला बैंक का अपने मे विलय कर लिया। उस समय यह कहा गया कि इस नीति से स्टेट बैंक विश्व के 10 सबसे बड़े बैंको में शामिल हो जाएगा लेकिन बाद में पता लगा कि इतनी संपत्ति, ग्राहक और शाखाओं के बावजूद देश का यह सब से बड़ा बैंक दुनिया के शीर्ष 30 बैंकों में भी शामिल नहीं हो पाया है।
अब आ जाइये नौकरी पर......कुछ समय बाद पता चला कि स्टेट बैंक में विलय होने वाले बैंको की शाखाओं में काम करने वाले करीब 11,382 लोग सेवानिवृत्त (Retired) हुए हैं और सिर्फ 798 लोगों की नए कर्मचारियों को नौकरी मिल पायी।
कुछ दिन पहले खबर आयी हैं कि बैंक आफ बड़ौदा में देना बैंक और विजया बैंक का जो दूसरा बड़ा विलय किया गया है, उससे देश भर में 800 से 900 शाखाओं को बंद करने पर विचार किया जा रहा है। यानी नई नौकरी की बात तो आप भूल ही जाओ, इन शाखाओं में काम करने वाले कर्मचारियों को अपनी नौकरी बचाने के लाले पड़ने वाले हैं।
वैसे खबर आई है कि मोदी सरकार-2 के अंतर्गत कुछ और बैंकों का विलय करके बड़े पांच बैंकों का विकास किया जा सकता है।
इस कड़ी में बैंक ऑफ बड़ौदा में हुए 2 बैंको के विलय के बाद पंजाब नेशनल बैंक में जल्द ही तीन छोटे बैंकों को विलय किया जाना है। सूत्रों के मुताबिक, पीएनबी अगले तीन महीने में 3 छोटे सरकारी बैंकों का विलय कर सकता है। इन बैंकों में ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC), आंध्रा बैंक (Andhra Bank) और इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank) शामिल है।
आखिरकार इन बैंको के विलय की जरूरत क्या पड़ गयी सरकार को........इस बारे में ऑल इंडिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के महासचिव सीएच वैंकटचलम बताते हैं कि बड़े बैंकों के पूंजी अधिक होगी और वो बड़े लोन देंगे। अब ये मत पूछिएगा कि बड़े लोन की किसको जरूरत पड़ती हैं?
लेकिन हम गलत साबित हुए मोदी सरकार ने अपनी नीतियों में परिवर्तन कर दिया उसने बड़े बैंको का विलय कर दिया और बैंकों में नई भर्ती बेहद कम हो गई।
सबसे पहले स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपने छह सहयोगी बैंकों (Associated banks) और भारतीय महिला बैंक का अपने मे विलय कर लिया। उस समय यह कहा गया कि इस नीति से स्टेट बैंक विश्व के 10 सबसे बड़े बैंको में शामिल हो जाएगा लेकिन बाद में पता लगा कि इतनी संपत्ति, ग्राहक और शाखाओं के बावजूद देश का यह सब से बड़ा बैंक दुनिया के शीर्ष 30 बैंकों में भी शामिल नहीं हो पाया है।
अब आ जाइये नौकरी पर......कुछ समय बाद पता चला कि स्टेट बैंक में विलय होने वाले बैंको की शाखाओं में काम करने वाले करीब 11,382 लोग सेवानिवृत्त (Retired) हुए हैं और सिर्फ 798 लोगों की नए कर्मचारियों को नौकरी मिल पायी।
कुछ दिन पहले खबर आयी हैं कि बैंक आफ बड़ौदा में देना बैंक और विजया बैंक का जो दूसरा बड़ा विलय किया गया है, उससे देश भर में 800 से 900 शाखाओं को बंद करने पर विचार किया जा रहा है। यानी नई नौकरी की बात तो आप भूल ही जाओ, इन शाखाओं में काम करने वाले कर्मचारियों को अपनी नौकरी बचाने के लाले पड़ने वाले हैं।
वैसे खबर आई है कि मोदी सरकार-2 के अंतर्गत कुछ और बैंकों का विलय करके बड़े पांच बैंकों का विकास किया जा सकता है।
इस कड़ी में बैंक ऑफ बड़ौदा में हुए 2 बैंको के विलय के बाद पंजाब नेशनल बैंक में जल्द ही तीन छोटे बैंकों को विलय किया जाना है। सूत्रों के मुताबिक, पीएनबी अगले तीन महीने में 3 छोटे सरकारी बैंकों का विलय कर सकता है। इन बैंकों में ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC), आंध्रा बैंक (Andhra Bank) और इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank) शामिल है।
आखिरकार इन बैंको के विलय की जरूरत क्या पड़ गयी सरकार को........इस बारे में ऑल इंडिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के महासचिव सीएच वैंकटचलम बताते हैं कि बड़े बैंकों के पूंजी अधिक होगी और वो बड़े लोन देंगे। अब ये मत पूछिएगा कि बड़े लोन की किसको जरूरत पड़ती हैं?