''आप मुझे बताइए अगर महंगाई इसी तरह बढ़ती रहे तो गरीब क्या खाएगा। आज प्रधानमंत्री यहां आए थे लेकिन प्रधानमंत्री महंगाई का 'म' तक बोलने को तैयार नहीं हैं। इनका अहंकार इतना है कि महंगाई का 'म' बोलने को तैयार नहीं। आप मरो तो मरो आपका नसीब!, मेरे गरीब के घर में चूल्हा नहीं जलता है। बच्चा रात रात रोता है। मां आंसू पीकर सोती है और देश के नेताओं को गरीब की चिंता तक नहीं है। इसलिए आने वाली 4 तारीख को आप जब वोट डालने जाएं तो घर में रखे गैस सिलेंडर को नमस्कार करके जाइएगा" यह बात हम नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कह रहे हैं। वो भी 2013 में प्रधानमंत्री बनने से पहले।
जी हां, प्रधानमंत्री नरेंद मोदी द्वारा 8 साल पहले 2013 में महंगाई पर दिया गया भाषण, सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। सवाल है कि 8 साल पहले अपने भाषणों में महंगाई को लेकर बोलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज खुद क्यों मौन हैं। 2013 की तुलना में महंगाई आज गुणात्मक तौर से बढ़ी है। जबकि लोगों की इनकम घटी है या फिर स्थिर बनी है। ऐसे में आज उनके (प्रधानमंत्री मोदी के) मुंह से महंगाई का 'म' क्यों नहीं निकल पा रहा है? क्या महंगाई को लेकर तब (2013 में) उनकी चिंता सिर्फ दिखावी और चुनावी थी? या फिर आज उन्हें बच्चों के भूखे रोने व मां के आंसू दिखाई नहीं दे रहे या फिर उनके लिए भी 'आप मरो तो मरो आपका नसीब'!
देखें तो आज महंगाई इस कदर बेलगाम है कि यात्रा, दवा व इलाज ही नहीं, जनता की दाल-रोटी भी छिन गई है। क्या खाएं, क्या पीएं, क्या घूमें, आम आदमी की ज़िंदगी के हर सामान चाहें जीने के लिए दाल, चावल, आटा व तेल हो, दूध-सब्जी हो, यात्रा हो या दवा, इलाज, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं हो, सभी की कीमतें न सिर्फ दिन दूनी रात चौगुनी तेजी से बढ़ी हैं बल्कि अब रोज नए मनमाना रिकार्ड बना रही है और गरीब ही नहीं, माध्यम वर्ग को भी बेहाल कर दिया है। आज देश में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के साथ खाद्य पदार्थों के दाम बेलगाम हैं। पेट्रोल-डीजल 100 रुपये के पार चली गई तो खाद्य तेल डेढ़ गुना महंगा हो गए हैं। आम जनता की आमदनी लगातार गिरती जा रही है, ऊपर से महंगाई की मार ने पूरी तरह से कमर तोड़ दी है। डेढ़ साल से कोरोना से जंग लड़ रहे आम आदमी के लिए अब जीना दूभर हो चुका है। रोटी के साथ दवा-पढ़ाई सभी कुछ मुनाफे की हवस का शिकार हो गया है।
फरवरी 2021 तक महज तीन महीनों में खाद्य तेलों के दाम करीब 50 रुपए प्रति लीटर बढ़ गए हैं। इसी दौरान तमाम खाद्य पदार्थों के दाम में एकदम उछाल आ गया। खुदरा बाजार में खाद्य तेल (सरसों के तेल, रिफाइंड एवं डालडा घी) के दाम पिछले साल की तुलना में करीब डेढ़ गुना बढ़ गए है। ब्रांडेड सरसों का तेल 2020 में 95 से 105 रुपए प्रति लीटर बिक रहा था वह अब 200 रुपए प्रति लीटर की दर से भी अधिक कीमत पर बिक रहा है। इसके साथ ही दालों के दाम भी 20 से 30 फीसद तक बढ़े हैं। दालें तक आम जनता की पहुंच से दूर हो गई। थोक महंगाई दर पिछले एक साल में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है।
यही नहीं, मोदी राज में पेट्रोल डीजल की कीमतें भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर रोजाना इतिहास रच रही हैं तो रसोई गैस, सीएनजी, पीएनजी, एलपीजी की कीमतें भी मनमाने तरीके से रिकार्ड बना रही हैं। यह हाल तब है जब दुनिया में कच्चे तेल की कीमतें काफी नीचे आ चुकी हैं। सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर के दाम भी 1 जुलाई से 1 सितंबर के बीच 3 बार बढ़ाने के साथ 2021 के 8 महीने में 190 रुपए बढ़ चुका है। मार्च 2014 में 410 रुपए का सिलेंडर आज दुगने से ज्यादा कीमत पर मिल रहा है। मई 2020 में 581 रुपए की कीमत वाला रसोई गैस सिलेंडर इस समय करीब 900 रुपये पहुंच गए है। सब्सिडी भी घटते हुए लगभग खत्म कर दी गई है, कई उपभोक्ताओं के खाते में वह भी नहीं जा रही है। पेट्रोल के दाम 111 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गए है। वहीं, डीज़ल भी सेंचुरी लगा चुका है।
एचपीएल की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, 6 अक्टूबर को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल के दाम बढ़कर 102.94 रुपये हो गया, जबकि भोपाल में 111 रुपए हो गया। वहीं, डीज़ल की कीमतें 91.43 रुपये प्रति लीटर है। बस और रेल यात्राएं लगातार महंगी हुई हैं। मोदी युग में यह मनमानेपन पर पहुंच गई। सड़क परिवहन लगातार महंगी होती गई है। महंगे डीजल पेट्रोल ने यात्रा करना भी दूभर कर दिया है। टोल टैक्स आदि की मार अलग। कोरोना समय में रेल सेवाएं बहाल हुईं तो ‘स्पेशल’ ट्रेन के नाम पर ज्यादा किराया वसूली का धंधा शुरू हुआ। सवारी गाड़ियों को एक्सप्रेस व एक्सप्रेस को सुपरफास्ट का दर्जा देकर पॉकेट पर डकैती की गई है। यही नहीं, स्टेशन पुनर्निर्माण के बहाने सरचार्ज के साथ प्लेटफ़ॉर्म टिकट से लेकर खाने-पीने तक में लूट का धंधा तेजी पर है। आम जनता को मिलने वाली बिजली की दरों में लगातार बढ़ोत्तरी और तरह-तरह के सरचार्ज से बिजली बेहद महंगी होती गई है। स्कूल व कॉलेज की फ़ीसें तेजी से बढ़ती जा रही हैं। तकनीकी और मेडिकल की पढ़ाई आम जनता की पहुँच से काफी दूर चली गई है। और तो और, बैंकों में जमा पूंजी पर ब्याज दर एकदम कम कर दी गई है वहीं दूसरी ओर न्यूनतम बैलेंस के नाम पर कटौती, लेनदेन फीस, एसएमएस चार्ज सहित तरह-तरह के सरचार्ज लगाकर आम उपभोक्ता के पॉकेट पर लगातार डकैती बढ़ती गई है। इसके साथ बढ़ती प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों (जीएसटी, बिक्री कर, सीमा शुल्क, रोड टैक्स, सरचार्ज) में भारी बढोत्तरी से ज़िंदगी और दुश्वार बन गई है।
वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक के शब्दों में कहें तो महंगाई कोरोना से भी खतरनाक है। वैदिक कहते हैं कि देश में कोरोना की महामारी घटी तो अब मंहगाई की महामारी से लोगों को जूझना पड़ रहा है। कोरोना घटा तो लोग घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर बाहर जाना चाहते हैं लेकिन जाएं कैसे ? पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर और डीजल के 90 को पार कर गए। कार-मालिकों को सोचना पड़ रहा है कि क्या करें? कार बेच दें और बसों, मेट्रो या आटो रिक्शा से जाया करें लेकिन उनके किराए भी कूद-कूदकर आगे बढ़ते जा रहे हैं। पेट्रोल और डीजल की सीधी मार सिर्फ मध्यम वर्ग पर ही नहीं पड़ रही है, गरीब वर्ग परेशान है। तेल की कीमत बढ़ी तो खाने-पीने की रोजमर्रा की चीजों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं। सब्जियां, फलों के दाम बिक रही हैं और फल ग्राहकों की पहुंच के बाहर हो रहे हैं। दुकानदार हाथ मल रहे हैं कि उनके फल अब बहुत कम बिकते हैं और पड़े-पड़े सड़ जाते हैं। लोगों ने सब्जियां और फल खाना कम कर दिया लेकिन दालों के भाव भी दमघोटू हो गए हैं।
कहा- आम आदमी की जिंदगी पहले ही दूभर थी लेकिन कोरोना ने उसे और दर्दनाक बना दिया है। सरकारी नौकरों, सांसदों और मंत्रियों के वेतन चाहे ज्यों के त्यों रहे हों लेकिन गैर-सरकारी कर्मचारियों, मजदूरों, घरेलू नौकरों की आमदनी तो लगभग आधी हो गई है। मुनाफाखोर मौज काट रहे हैं। यदि सरकार मंहगाई पर काबू नहीं करती तो ये मुनाफाखोर लोग उसे ले डूबेंगे। मंहगाई की मार कोरोना की मार से ज्यादा खतरनाक सिद्ध होगी। कोरोना को तो भगवान का प्रकोप मानकर लोगों ने किसी तरह सह लिया लेकिन मंहगाई का गुस्सा मुनाफाखोरों पर तो उतरेगा ही, जनता सरकार को भी नहीं बख्शेगी।
उधर, कांग्रेस ने डीजल-पेट्रोल, रसोई गैस और खाद्य तेलों आदि के बढते दामों पर सरकार को घेरा है। कांग्रेस नेत्री अलका लांबा ने कहा कि नवरात्रि के त्यौहार की शुरुआत पर, भाजपा सरकार ने लोगों को गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाकर तोहफा दे दिया। कहा उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर सरकार चाहती क्या है? अलका लांबा ने प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर भी तंज कसा जिसमें उन्होंने लोगों से दीये जलाने की अपील की थी। लांबा ने कहा कि प्रधानमंत्री लोगों को दीये जलाने का होमवर्क देते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि दीयों में डालने वाला तेल 220 रुपये लीटर हो गया है।
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जी हां, प्रधानमंत्री नरेंद मोदी द्वारा 8 साल पहले 2013 में महंगाई पर दिया गया भाषण, सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। सवाल है कि 8 साल पहले अपने भाषणों में महंगाई को लेकर बोलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज खुद क्यों मौन हैं। 2013 की तुलना में महंगाई आज गुणात्मक तौर से बढ़ी है। जबकि लोगों की इनकम घटी है या फिर स्थिर बनी है। ऐसे में आज उनके (प्रधानमंत्री मोदी के) मुंह से महंगाई का 'म' क्यों नहीं निकल पा रहा है? क्या महंगाई को लेकर तब (2013 में) उनकी चिंता सिर्फ दिखावी और चुनावी थी? या फिर आज उन्हें बच्चों के भूखे रोने व मां के आंसू दिखाई नहीं दे रहे या फिर उनके लिए भी 'आप मरो तो मरो आपका नसीब'!
देखें तो आज महंगाई इस कदर बेलगाम है कि यात्रा, दवा व इलाज ही नहीं, जनता की दाल-रोटी भी छिन गई है। क्या खाएं, क्या पीएं, क्या घूमें, आम आदमी की ज़िंदगी के हर सामान चाहें जीने के लिए दाल, चावल, आटा व तेल हो, दूध-सब्जी हो, यात्रा हो या दवा, इलाज, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं हो, सभी की कीमतें न सिर्फ दिन दूनी रात चौगुनी तेजी से बढ़ी हैं बल्कि अब रोज नए मनमाना रिकार्ड बना रही है और गरीब ही नहीं, माध्यम वर्ग को भी बेहाल कर दिया है। आज देश में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के साथ खाद्य पदार्थों के दाम बेलगाम हैं। पेट्रोल-डीजल 100 रुपये के पार चली गई तो खाद्य तेल डेढ़ गुना महंगा हो गए हैं। आम जनता की आमदनी लगातार गिरती जा रही है, ऊपर से महंगाई की मार ने पूरी तरह से कमर तोड़ दी है। डेढ़ साल से कोरोना से जंग लड़ रहे आम आदमी के लिए अब जीना दूभर हो चुका है। रोटी के साथ दवा-पढ़ाई सभी कुछ मुनाफे की हवस का शिकार हो गया है।
फरवरी 2021 तक महज तीन महीनों में खाद्य तेलों के दाम करीब 50 रुपए प्रति लीटर बढ़ गए हैं। इसी दौरान तमाम खाद्य पदार्थों के दाम में एकदम उछाल आ गया। खुदरा बाजार में खाद्य तेल (सरसों के तेल, रिफाइंड एवं डालडा घी) के दाम पिछले साल की तुलना में करीब डेढ़ गुना बढ़ गए है। ब्रांडेड सरसों का तेल 2020 में 95 से 105 रुपए प्रति लीटर बिक रहा था वह अब 200 रुपए प्रति लीटर की दर से भी अधिक कीमत पर बिक रहा है। इसके साथ ही दालों के दाम भी 20 से 30 फीसद तक बढ़े हैं। दालें तक आम जनता की पहुंच से दूर हो गई। थोक महंगाई दर पिछले एक साल में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है।
यही नहीं, मोदी राज में पेट्रोल डीजल की कीमतें भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर रोजाना इतिहास रच रही हैं तो रसोई गैस, सीएनजी, पीएनजी, एलपीजी की कीमतें भी मनमाने तरीके से रिकार्ड बना रही हैं। यह हाल तब है जब दुनिया में कच्चे तेल की कीमतें काफी नीचे आ चुकी हैं। सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर के दाम भी 1 जुलाई से 1 सितंबर के बीच 3 बार बढ़ाने के साथ 2021 के 8 महीने में 190 रुपए बढ़ चुका है। मार्च 2014 में 410 रुपए का सिलेंडर आज दुगने से ज्यादा कीमत पर मिल रहा है। मई 2020 में 581 रुपए की कीमत वाला रसोई गैस सिलेंडर इस समय करीब 900 रुपये पहुंच गए है। सब्सिडी भी घटते हुए लगभग खत्म कर दी गई है, कई उपभोक्ताओं के खाते में वह भी नहीं जा रही है। पेट्रोल के दाम 111 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गए है। वहीं, डीज़ल भी सेंचुरी लगा चुका है।
एचपीएल की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, 6 अक्टूबर को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल के दाम बढ़कर 102.94 रुपये हो गया, जबकि भोपाल में 111 रुपए हो गया। वहीं, डीज़ल की कीमतें 91.43 रुपये प्रति लीटर है। बस और रेल यात्राएं लगातार महंगी हुई हैं। मोदी युग में यह मनमानेपन पर पहुंच गई। सड़क परिवहन लगातार महंगी होती गई है। महंगे डीजल पेट्रोल ने यात्रा करना भी दूभर कर दिया है। टोल टैक्स आदि की मार अलग। कोरोना समय में रेल सेवाएं बहाल हुईं तो ‘स्पेशल’ ट्रेन के नाम पर ज्यादा किराया वसूली का धंधा शुरू हुआ। सवारी गाड़ियों को एक्सप्रेस व एक्सप्रेस को सुपरफास्ट का दर्जा देकर पॉकेट पर डकैती की गई है। यही नहीं, स्टेशन पुनर्निर्माण के बहाने सरचार्ज के साथ प्लेटफ़ॉर्म टिकट से लेकर खाने-पीने तक में लूट का धंधा तेजी पर है। आम जनता को मिलने वाली बिजली की दरों में लगातार बढ़ोत्तरी और तरह-तरह के सरचार्ज से बिजली बेहद महंगी होती गई है। स्कूल व कॉलेज की फ़ीसें तेजी से बढ़ती जा रही हैं। तकनीकी और मेडिकल की पढ़ाई आम जनता की पहुँच से काफी दूर चली गई है। और तो और, बैंकों में जमा पूंजी पर ब्याज दर एकदम कम कर दी गई है वहीं दूसरी ओर न्यूनतम बैलेंस के नाम पर कटौती, लेनदेन फीस, एसएमएस चार्ज सहित तरह-तरह के सरचार्ज लगाकर आम उपभोक्ता के पॉकेट पर लगातार डकैती बढ़ती गई है। इसके साथ बढ़ती प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों (जीएसटी, बिक्री कर, सीमा शुल्क, रोड टैक्स, सरचार्ज) में भारी बढोत्तरी से ज़िंदगी और दुश्वार बन गई है।
वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक के शब्दों में कहें तो महंगाई कोरोना से भी खतरनाक है। वैदिक कहते हैं कि देश में कोरोना की महामारी घटी तो अब मंहगाई की महामारी से लोगों को जूझना पड़ रहा है। कोरोना घटा तो लोग घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर बाहर जाना चाहते हैं लेकिन जाएं कैसे ? पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर और डीजल के 90 को पार कर गए। कार-मालिकों को सोचना पड़ रहा है कि क्या करें? कार बेच दें और बसों, मेट्रो या आटो रिक्शा से जाया करें लेकिन उनके किराए भी कूद-कूदकर आगे बढ़ते जा रहे हैं। पेट्रोल और डीजल की सीधी मार सिर्फ मध्यम वर्ग पर ही नहीं पड़ रही है, गरीब वर्ग परेशान है। तेल की कीमत बढ़ी तो खाने-पीने की रोजमर्रा की चीजों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं। सब्जियां, फलों के दाम बिक रही हैं और फल ग्राहकों की पहुंच के बाहर हो रहे हैं। दुकानदार हाथ मल रहे हैं कि उनके फल अब बहुत कम बिकते हैं और पड़े-पड़े सड़ जाते हैं। लोगों ने सब्जियां और फल खाना कम कर दिया लेकिन दालों के भाव भी दमघोटू हो गए हैं।
कहा- आम आदमी की जिंदगी पहले ही दूभर थी लेकिन कोरोना ने उसे और दर्दनाक बना दिया है। सरकारी नौकरों, सांसदों और मंत्रियों के वेतन चाहे ज्यों के त्यों रहे हों लेकिन गैर-सरकारी कर्मचारियों, मजदूरों, घरेलू नौकरों की आमदनी तो लगभग आधी हो गई है। मुनाफाखोर मौज काट रहे हैं। यदि सरकार मंहगाई पर काबू नहीं करती तो ये मुनाफाखोर लोग उसे ले डूबेंगे। मंहगाई की मार कोरोना की मार से ज्यादा खतरनाक सिद्ध होगी। कोरोना को तो भगवान का प्रकोप मानकर लोगों ने किसी तरह सह लिया लेकिन मंहगाई का गुस्सा मुनाफाखोरों पर तो उतरेगा ही, जनता सरकार को भी नहीं बख्शेगी।
उधर, कांग्रेस ने डीजल-पेट्रोल, रसोई गैस और खाद्य तेलों आदि के बढते दामों पर सरकार को घेरा है। कांग्रेस नेत्री अलका लांबा ने कहा कि नवरात्रि के त्यौहार की शुरुआत पर, भाजपा सरकार ने लोगों को गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाकर तोहफा दे दिया। कहा उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर सरकार चाहती क्या है? अलका लांबा ने प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर भी तंज कसा जिसमें उन्होंने लोगों से दीये जलाने की अपील की थी। लांबा ने कहा कि प्रधानमंत्री लोगों को दीये जलाने का होमवर्क देते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि दीयों में डालने वाला तेल 220 रुपये लीटर हो गया है।
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