फोटो साभार: हिंदुस्तान टाइम्स
सोशल मीडिया एक्स पर एक सार्वजनिक बयान जारी करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हिमाचल प्रदेश के मंडी से अपने निर्वाचित सांसद द्वारा एक बार फिर की गई अभद्र भाषा से खुद को अलग कर लिया है। कंगना ने कहा था कि “लाशें पेड़ों से लटकी हुई थीं,” किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान बलात्कार हुए!
ऐसा पहली बार नहीं है जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद कंगना रनौत ने विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा था कि अगर सरकार ने सख़्त क़दम नहीं उठाए होते तो किसानों के विरोध प्रदर्शन से बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा हो सकती थी।
रनौत द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो में उन्होंने आरोप लगाया कि अब रद्द किए गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान “लाशें लटकी हुई देखी गईं और बलात्कार हो रहे थे”। सोशल मीडिया यूजर्स ने उनके बयान की निंदा करते हुए कहा कि उनका ये बयान कृषक समुदाय और विशेष रूप से सिखों के लिए बेहद अपमानजनक और यह सिखों को बदनाम करने और उन्हें देश के अन्य हिस्सों में नफ़रत के लिए निशाना बनाने की एक भयावह साजिश का हिस्सा है। समुदायों के बीच नफ़रत को बढ़ावा देने के लिए उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने ये मांग की।
पूरी गर्मजोशी से लड़े गए संसदीय चुनाव में जीत मिलने के दो दिन बाद 6 जून, 2024 को भाजपा-आरएसएस सत्ता की पसंदीदा अभिनेत्री कंगना रनौत को उस समय झटका लगा जब उन्हें 2020-21 के किसान विरोध पर उनकी टिप्पणियों को लेकर चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक जवान ने कथित तौर पर थप्पड़ मार दिया। ऐसे समय में जब लोगों का एक वर्ग प्रदर्शनकारियों को ख़ालिस्तानी समर्थक बताने में जुटा था इस क्या इस अभिनेत्री ने भी कुछ बयान दिए। इस दौरान कृषक समाज विशेष कर सिख समाज के लोग नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे थे।
इससे पहले साल 2020 में रनौत ने कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाली पंजाब की एक महिला किसान की गलत पहचान की थी और उसे बिलकिस बानो कहा था जो कि एक बुजुर्ग महिला थी। वह पहले शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध का चेहरा बन गई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि महिला 100 रुपये में उपलब्ध है, उन्हें विरोध प्रदर्शन के लिए लिया जा सकता है।
भाजपा का बयान
उनके अपमानजनक बयानों से पैदा हुए सोशल मीडिया और राजनीतिक तूफान ने भाजपा को सार्वजनिक रूप से उन्हें फटकार लगाने के लिए मजबूर किया। “किसान आंदोलन के संदर्भ में भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा दिया गया बयान पार्टी की राय नहीं है। भाजपा कंगना रनौत के बयान से असहमति व्यक्त करती है। पार्टी की ओर से कंगना रनौत को पार्टी की नीतिगत मुद्दों पर बयान देने की न तो अनुमति है और न ही अधिकृत हैं। भाजपा की ओर से कंगना रनौत को भविष्य में ऐसा कोई बयान न देने की हिदायत दी गई है। भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ तथा सामाजिक समरसता के सिद्धांतों पर चलने के लिए कृतसंकल्प है।"
संयुक्त किसान मोर्चा ने कंगना की निंदा की
एसकेएम ने भी भाजपा सांसद कंगना रनौत की “शर्मनाक और झूठे बयान” की निंदा की है। 300 से अधिक किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस संगठन ने यह भी मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अपनी पार्टी की सांसद द्वारा की गई निंदनीय और झूठी टिप्पणियों के लिए किसानों से माफ़ी मांगें और साथ ही रनौत से भी बिना शर्त माफ़ी मांगवाएं। एसकेएम का कहना है कि ऐसा न होने पर किसान उनके सार्वजनिक बहिष्कार का आह्वान करने के लिए मजबूर होंगे।
रविवार 25 अगस्त को जारी एक बयान में एसकेएम ने एक साक्षात्कार में भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा की गई चौंकाने वाली अपमानजनक और तथ्यात्मक रूप से ग़लत टिप्पणियों पर चर्चा किया है। इसमें कहा है कि “यह बेहद दुखद है कि किसानों को बुरा-भला कहने वाली यह सांसद अब भारतीय किसानों को हत्यारा, बलात्कारी, साजिशकर्ता और देशद्रोही कह रही हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि यह सांसद इस तरह की बातें कर रही हैं, क्योंकि दिल्ली की सीमाओं पर एसकेएम के नेतृत्व में ऐतिहासिक कॉरपोरेट विरोधी किसान आंदोलन का अपमान और बदनामी करना भाजपा की लंबे समय से नीति रही है। अपमान और जानबूझकर उकसावे के बावजूद एसकेएम ने हमेशा यह तय किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के किसान विरोधी क़ानूनों और कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के ख़िलाफ़ किसानों का विरोध शांतिपूर्ण, वैधानिक और भारत के संविधान में शामिल मौलिक अधिकारों के अनुसार हो।"
Related
असम के मुख्यमंत्री ने असम के जिलों की तुलना बांग्लादेश से की; कुछ जिलों को ‘छोटा बांग्लादेश’ कहा
हेट बस्टर: झारखंड में डेमोग्राफी बदलाव- भाजपा की राजनीति बनाम आंकड़े और सच्चाई