रामराज्य का दावा करने वाले उत्तर प्रदेश में अपराध का बवंडर

Written by Amrita pathak | Published on: August 26, 2020
“प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्,” यूपी सरकार बार-बार अपराध की घटनाओं पर पर्दा डालती है, मगर अपराध चिंघाड़ते हुए प्रदेश की सड़कों पर तांडव कर रहा है। उतर प्रदेश में अपराधियों का बोलबाला चरम पर है हालात यह है कि हर दिन प्रदेश के किसी न किसी कोने में रेप, हत्या, लूट या निडर पत्रकारों पर एफ आई आर की धटनाएं सामने आ रही है. पिछले 3 महीनों में 3 पत्रकारों की हत्या और 11 पत्रकारों के ऊपर खबर लिखने के चलते एफआईआर हो चुकी है.



16 अगस्त, 2020: यूपी के लखीमपुर खीरी में 13 साल की एक दलित लड़की का गैंगरेप हुआ और उसकी लाश गन्ने के खेत में मिली है.

24 अगस्त 2020: बागपत में आठवीं की दलित छात्रा का अगवा कर गैंगरेप, सहारा समय के पत्रकार की गोली मारकर हत्या 

23 अगस्त 2020: वाराणसी में गैंगरेप, मुजफ्फ़रपुर में हत्या, उनाव में महिला का शव बरामद, चित्रकूट में मजदुर की हत्या, कौशाम्बी में व्यापारी पर हमला. बरेली में 7 साल के मासूम की हत्या.
 
10 अगस्त, 2020: सुदीक्षा भाटी सुबह औरंगाबाद के पास अपने छोटे भाई के साथ मोटरसाइकिल पर जा रही थी जब उसकी मौत हो गई. लड़की अमेरिका स्थित बाबसन कॉलेज की छात्रा थी और 20 अगस्त को वापस जाने वाली थी.

6 अगस्त, 2020: यूपी के हापुड़ में 6 साल की एक बच्ची को उसके घर के सामने से अगवा कर उसका रेप किया गया. खून से लथपथ वो झाड़ियों में फ़ेंक दी गई. 

जब पूरा प्रदेश राम मंदिर के जश्न में डूबा हुआ था तब अपराधियों द्वारा प्रदेश के किसी कोने ने इस कृत्य को अंजाम दिया जा रहा था. 
5 अगस्त, 2020: बुलंदशहर ज़िले के खुर्जा में 8 साल की एक बच्ची के साथ रेप की कोशिश की गई और जब उसने शोर मचाया तो गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई. उसका शव भी गन्ने के खेत से मिला.

31 जुलाई, 2020: यूपी के मुजफ़्फ़रनगर में आठ साल की एक बच्ची का रेप किया गया और गला घोंटकर हत्या कर दी गई.

यूपी में केवल दो दिनों का अपराध का मीटर है।


(Source: BBC/Twitter)

उतर प्रदेश में महिला, दलित, अल्पसंख्यक सहित सरकार व् सरकारी तंत्र पर सवाल खड़ा करने वाले तमाम लोग असुरक्षित हैं बाबजूद इसके प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ का दावा है कि ''यूपी में न्यूनतम अपराध हैं, सामान्यतः उत्तर प्रदेश में अपराध तीन वर्षों में न्यूनतम हैं. लॉ एंड ऑर्डर बेहतर स्थिति में है और आगे भी बेहतर स्थिति में रहेगी.'' 

यह बीते 15 दिनों की घटनाएँ हैं जो रामराज्य के दावे की स्याह तस्वीर पेश करती है यह मुमकिन है कि लगातार हो रहे घटनाओं में अधिकांश घटनाएँ मीडिया या पुलिस तक नहीं पहुच पा रही हो वर्ना यह सच और भी भयावह रूप ले सकता है. 

रामराज्य की अवधारणा को जमीन पर उतारने के लिए प्रतिबद्ध सरकार रामराज्य में बसने वाली जनता को हर रोज बलात्कारियों व् हत्यारों के हवाले करती नजर आ रही है. सवाल यह है कि क्या यह प्रदेश की जनता में सत्ता का डर पैदा करने की कोशिश है? क्या इस रामराज्य में प्रदेश के दलित, महिला और अल्पसंख्यकों के लिए कोई जगह है? नेशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो सीएम योगी के रामराज्य के दाबों को ख़ारिज करती नजर आ रही है. 

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की इस साल जनवरी में आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. देशभर में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए. यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8% है.
 
राज्य में बंद पड़ी महिला हेल्प लाईन नंबर 
आठ मार्च 2016 को अखिलेश यादव ने एक महत्वकांक्षी प्रोजक्ट वीमेन हेल्पलाइन 181 की शुरुआत की थी. इसे पायलेट प्रोजेक्ट के तहत 11 ज़िलों में लॉन्च किया गया था. जिसे चलाने की जिम्मेदारी मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टेंडिंग के तहत पांच साल तक के लिए एक प्राइवेट कंपनी जीवीके इमर्जेंसी मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट को दिया गया. मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने. साल 2017 के एनसीआरबी के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश 56011 केस के साथ नंबर एक पर पहुंच गया. इसे देखते हुए जून 2018 में योगी सरकार ने इस योजना को 11 ज़िलों से बढ़ा कर 75 ज़िलों तक पहुंचाया.

लेकिन बीते फ़रवरी से राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग ने फंड रोक दिया. जून में इस हेल्पलाइन नंबर को बंद कर दिया गया. 24 जुलाई, 2020 को योगी सरकार ने इस वीमेन हेल्पलाइन नंबर को पुलिस हेल्प लाइन नंबर 112 से जोड़ दिया है जिसका मतलब है कि अब जिस नंबर का इस्तेमाल पुलिस को इमर्जेंसी कॉल के लिए किया जाता है उसी को वीमेन हेल्पलाइन की तरह भी इस्तेमाल किया जाएगा. उतर प्रदेश पुलिस प्रदेश में महिलाओं के साथ बढ़ते रेप, हत्या और जनता के साथ लुट को रोक नहीं पा रही है महिलाओं के सुरक्षा का दायित्व भी पुलिस पर थोपना महिलाओं को लेकर सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये को दिखता है. 

सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा और बचाव के लिए 2017 में एंटी रोमियो दासता बनाया गया जिस दल का काम स्कूल कॉलेज जाने वाली लड़कियों को छेड़खानी से बचाना था लेकिन इनकी वजह से प्रदेश में लोग सुरक्षित होने के बजाए परेशान ही होते रहे. सूबे में बढ़ते मामलों को देखते हुए फिर इस दस्ते को सक्रिय करने की अनुमति योगी आदित्यनाथ द्वारा दी गयी है. 

सनातनी रामराज्य में धार्मिक नफरत और धार्मिक हिंसा की कही जगह नहीं थी लेकिन कलयुगी रामराज्य की नींव ही नफरत व् हिंसा की बुनियाद पर खड़ी हुई है. लगातार बढ़ते अपराध के बवंडर के बीच रामराज्य का दावा धुंधला होता नजर आता है. 
 

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