जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्र पिछले एक सप्ताह से हॉस्टल फीस में वृद्धि, आने-जाने के समय, प्रोटेस्ट फाइन को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि हॉस्टल नियमावली के मसौदे के अनुसार यूनिवर्सिटी प्रशासन जेएनयू को जेल बनाना चाहता है।
छात्रों का कहना कि हॉस्टल मेस बिल में मनमाने ढंग से बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा इंटर हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन से जेएनयू छात्र संगठन को पूरी तरह से बाहर करने का प्रयास किया जा रहा है। छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर यूनिवर्सिटी में सीआरपीएफ के जवानों को तैनात कर दिया गया है।
इससे पहले जेएनयू प्रशासन की तरफ से शनिवार को प्रेस रिलीज जारी कर इंटर हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन की मीटिंग के बारे में जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि मीटिंग के दौरान हॉस्टल मैन्युअल को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। प्रशासन की तरफ से यह भी बताया गया कि हॉस्टल में आनेजाने को लेकर कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
इसके अलावा जहां तक ड्रेस कोड का सवाल है उसका नियम पिछले 14 साल से बना हुआ है। इससे संबंधित नियमों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। इस संबंध में जो कुछ भी बातें कहीं जा रही हैं वे मात्र अफवाह है। मालूम हो कि प्रशासन ने सिंगल रूम का किराया 20 रुपये प्रतिमहीने से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति महीना कर दिया था। वहीं, डबल सीटर रूप का किराया भी बढ़ाकर 300 रुपये प्रति महीना कर दिया गया था। इससे पहले डबल सीटर रूम का किराया 10 रुपये प्रति महीना था।
नए नियमों के अनुसार छात्रों को सर्विस चार्ज के रूप में हर महीने 1700 रुपये भुगतान करना होगा।इसके अतिरिक्त एडमिशन के समय सिक्योरिटी की रकम को भी 5500 से बढ़ाकर 12000 रुपये कर दिया गया है। इससे पहले 2 नवंबर को यूनिवर्सिटी की तरफ से कर्फ्यू लगाने संबंधी खबरों को लेकर सफाई दी गई थी।
जेएनयू ने कहा था कि कर्फ्यू का कोई समय नहीं है। प्रशासन ने छात्रों से भ्रम में नहीं पड़ने की अपील की थी। यूनिवर्सिटी का कहना था कि इससे कैंपस का माहौल खराब होता है। साथ ही स्टूडेंट्स कम्यूनिटी की छवि भी धूमिल होती है।
शुभोजित, रिएजनल डेवलपमेंट स्टडीज में पीएचडी के छात्र हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि विश्वविद्यालय में अधिकतम छात्र निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों से आते हैं। उनके लिए लगातार महंगी होती शिक्षा हासिल करना आसान नहीं होगा।
उन्होंने कहा, 'मैंने विश्वविद्यालय की पिछले वर्षों की वार्षिक रिपोर्ट देखी। एक रिपोर्ट में, विश्वविद्यालय ने स्वीकार किया है कि लगभग 60% छात्र प्रतिवर्ष 1 लाख रुपये से कम आय वाले परिवारों से हैं। इस स्थिति में प्रशासन छात्रों को प्रति माह लगभग 4,200 रुपये का भुगतान करना होता है। यदि हम इसे 12 से गुणा करते हैं, तो हम पाते हैं कि एक छात्र को प्रति वर्ष 50,400 रुपये का भुगतान करना होगा। क्या यह परिवार इस राशि को वहन कर सकते हैं?'
वहीं, एक अन्य छात्र ने कहा, 'मेरे पिता पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले में एक साप्ताहिक हाट (बाजार) में कपड़े बेचते हैं और हमारे परिवार का गुजार करने के लिए मुश्किल से 500-700 रुपये कमाते हैं। मैं इस आश्वासन के साथ विश्वविद्यालय आया था कि मैं उनसे अपनी पढ़ाई के लिए पैसे नहीं मांगूगा। यानि छात्रवृत्ति के सहारे अपनी पढ़ाई पूरी करूँगा। अब, इस बढ़े फीस के बाद मैं अपनी पढ़ाई कैसे जारी रखूंगा?'
लेकिन छात्रों का संघर्ष केवल फीस वृद्धि तक ही सीमित नहीं है। नए दिशानिर्देशों के अनुसार 11:00 बजे के बाद किसी भी छात्र को हॉस्टल से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
इसी तरह, यह पुरुषों के छात्रावासों में महिला छात्रों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगाता है। क्लॉज 2.5.5 में कहा गया है, "पुरुष छात्रों या मेहमानों सहित पुरुष को लड़कियों/ महिला छात्रावासों में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय इसके की बोनफाइड पुरुष मेहमानों को गर्ल्स हॉस्टल के डाइनिंग हॉल में मेस वार्डन द्वारा अनुमति दी जा सकती है। इसी तरह, महिला छात्रों को मेन्स हॉस्टल के डाइनिंग हॉल में अनुमति नहीं दी जा सकती है।'
इन बदलावों पर टिप्पणी करते हुए जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा कि परिवर्तन विश्वविद्यालय के चरित्र को बदल देगा। उन्होंने कहा, 'जेएनयू को अब निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। इसका खामियाजा अनुसूचित जाति (अनुसूचित जाति), अनुसूचित जनजाति (अनुसूचित जनजाति) और ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) समुदायों के छात्रों के अलावा अन्य लोग पर भी पड़ेगा। उदाहरण के लिए, वर्तमान हॉस्टल मैनुअल की धारा 2.2.5, जिसमें आरक्षण की संवैधानिक रूप से अनिवार्य योजना शामिल है, साथ ही अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्राथमिकता वाले छात्रावास आवंटन की नीति पूरी तरह से खत्म कर दी गई हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'विश्वविद्यालय नियामवली के III, IV, V, VI, VII, X, और XI जिसमें ओबीसी और शारीरिक रूप से विकलांग / नेत्रहीन विकलांग छात्रों के लिए आरक्षण नीति के आवेदन का विशिष्ट विवरण है, उन्हें पूरी तरह से हटा दिया गया है। अभी, ये छात्र कहां जाएंगे क्योंकि कैंपस पहले से ही हॉस्टल की कमी से जूझ रहा है। जाहिर है, प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है।'
छात्रों का कहना कि हॉस्टल मेस बिल में मनमाने ढंग से बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा इंटर हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन से जेएनयू छात्र संगठन को पूरी तरह से बाहर करने का प्रयास किया जा रहा है। छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर यूनिवर्सिटी में सीआरपीएफ के जवानों को तैनात कर दिया गया है।
इससे पहले जेएनयू प्रशासन की तरफ से शनिवार को प्रेस रिलीज जारी कर इंटर हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन की मीटिंग के बारे में जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि मीटिंग के दौरान हॉस्टल मैन्युअल को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। प्रशासन की तरफ से यह भी बताया गया कि हॉस्टल में आनेजाने को लेकर कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
इसके अलावा जहां तक ड्रेस कोड का सवाल है उसका नियम पिछले 14 साल से बना हुआ है। इससे संबंधित नियमों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। इस संबंध में जो कुछ भी बातें कहीं जा रही हैं वे मात्र अफवाह है। मालूम हो कि प्रशासन ने सिंगल रूम का किराया 20 रुपये प्रतिमहीने से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति महीना कर दिया था। वहीं, डबल सीटर रूप का किराया भी बढ़ाकर 300 रुपये प्रति महीना कर दिया गया था। इससे पहले डबल सीटर रूम का किराया 10 रुपये प्रति महीना था।
नए नियमों के अनुसार छात्रों को सर्विस चार्ज के रूप में हर महीने 1700 रुपये भुगतान करना होगा।इसके अतिरिक्त एडमिशन के समय सिक्योरिटी की रकम को भी 5500 से बढ़ाकर 12000 रुपये कर दिया गया है। इससे पहले 2 नवंबर को यूनिवर्सिटी की तरफ से कर्फ्यू लगाने संबंधी खबरों को लेकर सफाई दी गई थी।
जेएनयू ने कहा था कि कर्फ्यू का कोई समय नहीं है। प्रशासन ने छात्रों से भ्रम में नहीं पड़ने की अपील की थी। यूनिवर्सिटी का कहना था कि इससे कैंपस का माहौल खराब होता है। साथ ही स्टूडेंट्स कम्यूनिटी की छवि भी धूमिल होती है।
शुभोजित, रिएजनल डेवलपमेंट स्टडीज में पीएचडी के छात्र हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि विश्वविद्यालय में अधिकतम छात्र निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों से आते हैं। उनके लिए लगातार महंगी होती शिक्षा हासिल करना आसान नहीं होगा।
उन्होंने कहा, 'मैंने विश्वविद्यालय की पिछले वर्षों की वार्षिक रिपोर्ट देखी। एक रिपोर्ट में, विश्वविद्यालय ने स्वीकार किया है कि लगभग 60% छात्र प्रतिवर्ष 1 लाख रुपये से कम आय वाले परिवारों से हैं। इस स्थिति में प्रशासन छात्रों को प्रति माह लगभग 4,200 रुपये का भुगतान करना होता है। यदि हम इसे 12 से गुणा करते हैं, तो हम पाते हैं कि एक छात्र को प्रति वर्ष 50,400 रुपये का भुगतान करना होगा। क्या यह परिवार इस राशि को वहन कर सकते हैं?'
वहीं, एक अन्य छात्र ने कहा, 'मेरे पिता पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले में एक साप्ताहिक हाट (बाजार) में कपड़े बेचते हैं और हमारे परिवार का गुजार करने के लिए मुश्किल से 500-700 रुपये कमाते हैं। मैं इस आश्वासन के साथ विश्वविद्यालय आया था कि मैं उनसे अपनी पढ़ाई के लिए पैसे नहीं मांगूगा। यानि छात्रवृत्ति के सहारे अपनी पढ़ाई पूरी करूँगा। अब, इस बढ़े फीस के बाद मैं अपनी पढ़ाई कैसे जारी रखूंगा?'
लेकिन छात्रों का संघर्ष केवल फीस वृद्धि तक ही सीमित नहीं है। नए दिशानिर्देशों के अनुसार 11:00 बजे के बाद किसी भी छात्र को हॉस्टल से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
इसी तरह, यह पुरुषों के छात्रावासों में महिला छात्रों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगाता है। क्लॉज 2.5.5 में कहा गया है, "पुरुष छात्रों या मेहमानों सहित पुरुष को लड़कियों/ महिला छात्रावासों में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय इसके की बोनफाइड पुरुष मेहमानों को गर्ल्स हॉस्टल के डाइनिंग हॉल में मेस वार्डन द्वारा अनुमति दी जा सकती है। इसी तरह, महिला छात्रों को मेन्स हॉस्टल के डाइनिंग हॉल में अनुमति नहीं दी जा सकती है।'
इन बदलावों पर टिप्पणी करते हुए जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा कि परिवर्तन विश्वविद्यालय के चरित्र को बदल देगा। उन्होंने कहा, 'जेएनयू को अब निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। इसका खामियाजा अनुसूचित जाति (अनुसूचित जाति), अनुसूचित जनजाति (अनुसूचित जनजाति) और ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) समुदायों के छात्रों के अलावा अन्य लोग पर भी पड़ेगा। उदाहरण के लिए, वर्तमान हॉस्टल मैनुअल की धारा 2.2.5, जिसमें आरक्षण की संवैधानिक रूप से अनिवार्य योजना शामिल है, साथ ही अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्राथमिकता वाले छात्रावास आवंटन की नीति पूरी तरह से खत्म कर दी गई हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'विश्वविद्यालय नियामवली के III, IV, V, VI, VII, X, और XI जिसमें ओबीसी और शारीरिक रूप से विकलांग / नेत्रहीन विकलांग छात्रों के लिए आरक्षण नीति के आवेदन का विशिष्ट विवरण है, उन्हें पूरी तरह से हटा दिया गया है। अभी, ये छात्र कहां जाएंगे क्योंकि कैंपस पहले से ही हॉस्टल की कमी से जूझ रहा है। जाहिर है, प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है।'