मुख्यमंत्री रमन सिंह ने चुनावी साल में मजदूरों और स्कूली छात्राओं को साइकिलें बाँटकर लुभाने का मंसूबा बनाया था, वह लापरवाही के चलते केवल सरकारी धन की बर्बादी का नमूना बनकर रह गया है।
मुख्यमंत्री श्रम शक्ति योजना के तहत मजदूरों और जरूरतमंदों को मुफ्त साइकिलें बाँटनी थी, और इसके लिए हजारों साइकिलें खरीदी भी गईं, लेकिन सरकार की सुस्ती के चलते इनका वितरण नहीं हो सका।
(Courtesy: Wefornewshindi.com)
जशपुर जिले में ऐसी ही हजारों साइकिलें महीनों से खुले मैदान में पड़ी हैं और जंग खाते हुए कबाड़ होती जा रही है।
एएनआई के हवाले से जनसत्ता में छपी खबर में बताया गया है कि आदिवासी बहुल जशपुर जिले में वितरण के लिए 7 हजार 800 साइकिलों की खरीद हुई थी, लेकिन इनमें से केवल 3600 का वितरण हुआ है, और बाकी 4 हजार 200 साइकिलें खुले में पड़ी कबाड़ होती जा रही हैं।
इन साइकिलों को बाँटने का काम श्रम विभाग की थी, लेकिन अफसरों ने ये साइकिलें लाइवलीहुड कॉलेज परिसर में रखवा दीं और भूल गए। बारिश में खुले में पड़ी इन साइकिलों में जंग लग चुका है और कबाड़ होती जा रही हैं। वास्तव में अब ये साइकिलें किसी को देने लायक बची ही नहीं हैं।
पूरे मामले को कांग्रेस ने सस्ती लोकप्रियता पाने की योजना के नाम पर धन की बर्बादी बताया है। सरकारी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी के सामने जब ये मामला लाया गया तो उन्होंने जांच का आश्वासन दिया है।
मुख्यमंत्री श्रम शक्ति योजना के तहत मजदूरों और जरूरतमंदों को मुफ्त साइकिलें बाँटनी थी, और इसके लिए हजारों साइकिलें खरीदी भी गईं, लेकिन सरकार की सुस्ती के चलते इनका वितरण नहीं हो सका।
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जशपुर जिले में ऐसी ही हजारों साइकिलें महीनों से खुले मैदान में पड़ी हैं और जंग खाते हुए कबाड़ होती जा रही है।
एएनआई के हवाले से जनसत्ता में छपी खबर में बताया गया है कि आदिवासी बहुल जशपुर जिले में वितरण के लिए 7 हजार 800 साइकिलों की खरीद हुई थी, लेकिन इनमें से केवल 3600 का वितरण हुआ है, और बाकी 4 हजार 200 साइकिलें खुले में पड़ी कबाड़ होती जा रही हैं।
इन साइकिलों को बाँटने का काम श्रम विभाग की थी, लेकिन अफसरों ने ये साइकिलें लाइवलीहुड कॉलेज परिसर में रखवा दीं और भूल गए। बारिश में खुले में पड़ी इन साइकिलों में जंग लग चुका है और कबाड़ होती जा रही हैं। वास्तव में अब ये साइकिलें किसी को देने लायक बची ही नहीं हैं।
पूरे मामले को कांग्रेस ने सस्ती लोकप्रियता पाने की योजना के नाम पर धन की बर्बादी बताया है। सरकारी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी के सामने जब ये मामला लाया गया तो उन्होंने जांच का आश्वासन दिया है।