महाराष्ट्र के कोल्हापुर में उस समय सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया जब रविवार, 14 जुलाई को लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर स्थानीय लोगों के घरों पर हमला किया, एक मस्जिद में तोड़फोड़ की और ऐतिहासिक विशालगढ़ किले की तलहटी में अवैध अतिक्रमण हटाने की मांग करते हुए ग्रामीणों की पिटाई की।
दरअसल, पूर्व राज्यसभा सांसद संभाजी राजे ने अपने समर्थकों से अवैध अतिक्रमणों पर अधिकारियों की निष्क्रियता के विरोध में किले तक मार्च का आह्वान किया था, जिसके बाद हिंसा शुरू हो गई। विशालगढ़ किला कोल्हापुर जिले के शाहूवाड़ी में स्थित है, जो कोल्हापुर शहर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र में किलों के जीर्णोद्धार के लिए जाने जाने वाले संभाजी राजे कोल्हापुर राजघराने के उत्तराधिकारी हैं। वह मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें वंशज और कोल्हापुर के राजर्षि छत्रपति शाहू के परपोते हैं।
रविवार सुबह को संभाजी राजे के किले में पहुंचने से पहले ही हिंसा शुरू हो गई थी। कोल्हापुर पुलिस ने अब तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि 500 लोगों के खिलाफ चार FIR दर्ज की गई हैं।
राजनीतिक दबाव, हिंदुत्व समूहों द्वारा महाआरती: हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?
'विशालगढ़ अतिक्रमण विरोधी आंदोलन' के नाम पर कोल्हापुर में संभाजी राजे छत्रपति और उनके समर्थक पिछले एक साल से विशालगढ़ किले पर अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं।
अतिक्रमण के मुखर आलोचक रहे संभाजी राजे ने पिछले सप्ताह किले पर विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया था। हालांकि, इसके लिए कोई आधिकारिक अनुमति नहीं मिली थी, इसके बावजूद उनके समर्थक और हिंदूवादी संगठनों के सदस्य शनिवार रात से ही किले पर जुटने लगे।
रविवार सुबह को कुछ उपद्रवियों द्वारा किले पर स्थित रहमान मलिक दरगाह पर कथित रूप से पथराव किए जाने के बाद हिंसा भड़क गई, जिसमें कुछ स्थानीय लोग और पुलिसकर्मी घायल हो गए। कुछ उपद्रवियों ने कथित तौर पर मस्जिद के बाहर 'जय श्री राम' और कुछ आपत्तिजनक नारे भी लगाए।
कथित तौर पर कुछ स्थानीय लोगों ने जवाबी कार्रवाई की, जिसके बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। मामला बढ़ता देख, पुलिस ने किले को घेर लिया और प्रवेश पर रोक लगा दी, जिसके बाद भीड़ ने कथित तौर पर किले की तलहटी में स्थित गजपुर गांव में दुकानों और घरों पर हमला कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि गजपुर में कई घरों में कथित तौर पर आग लगा दी गई, जबकि कई घरों और दुकानों में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई। हिंसा में कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और उन्हें किले से नीचे फेंका गया। घटनास्थल से प्राप्त वीडियो में एक उपद्रवी को मस्जिद के ऊपर देखा जा सकता है, जो नारे लगाते हुए गुंबदनुमा ढांचे को तोड़ने की कोशिश कर रहा है।
पुलिस ने बताया कि हिंसा में स्थानीय निवासियों के साथ-साथ कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा किले में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने के आश्वासन के बाद संभाजी राजे ने अपना विरोध-प्रदर्शन खत्म किया।
झड़प के दौरान पत्रकारों पर हमला
घटना की रिपोर्टिंग कर रहे कई स्थानीय पत्रकारों ने आरोप लगाया कि भीड़ में शामिल लोगों ने उन्हें घटना की रिपोर्टिंग से रोकने की कोशिश की और चाकू और लाठियों के बल पर धमकाया।
कई पत्रकारों ने दावा किया कि उनके उपकरण, मोबाइल फोन और बूम माइक को बदमाशों ने तलवारों और चाकुओं के दम पर छीन लिया। कुछ ने यह भी दावा किया कि उन्हें डराने के लिए उनके वाहनों का पीछा किया गया ताकि वे इलाके में न आएं।
कोल्हापुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष शीतल धनवाड़े ने सोमवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इस संबंध में पुलिस और अधिकारियों को एक अंडरटेकिंग दिया जाएगा।
अगर मैं दोषी हूं तो मुझे गिरफ्तार करें: संभाजी राजे छत्रपति
इस बीच, इस मुद्दे पर राजनीति गरमाई हुई है और विपक्षी दलों ने संभाजी राजे के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी- शरदचंद्र पवार (NCPSP) प्रमुख शरद पवार, कोल्हापुर के सांसद शाहू महाराज, NCPSP जिला अध्यक्ष वीबी पाटिल और जिला कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक सतेज पाटिल ने मामले को लेकर एक बैठक की है।
पाटिल ने कहा, "संभाजी राजे जैसे किसी व्यक्ति को अशांति के लिए अधिकारियों को दोषी ठहराते समय सावधानी बरतनी चाहिए थी।"
अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई:
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी के बाद गांव में पुलिस बल की तैनाती है और इलाके में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। पुलिस घटनाओं पर एफआईआर दर्ज कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोल्हापुर पुलिस ने सोमवार को पूर्व राज्यसभा सदस्य छत्रपति संभाजी राजे समेत 500 से ज्यादा लोगों के खिलाफ चार एफआईआर दर्ज कीं। अब तक कोल्हापुर पुलिस ने कुल 21 लोगों को गिरफ्तार किया था.
यहां यह बताना भी जरूरी है कि सीएम एकनाथ शिंदे के इस आश्वासन के बाद कि किले में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, संभाजी राजे ने अपना विरोध बंद कर दिया। यह भी बताया गया है कि हिंसक घटना के बाद रविवार रात कोल्हापुर पहुंचे सीएम शिंदे के आदेश पर अधिकारियों ने सोमवार को लगभग 35 अवैध दुकानों को तोड़ दिया।
संभाजी राजे, जिन्हें अशांति का कारण माना जाता है, ने स्थिति नियंत्रण से बाहर होने की आशंका के बावजूद पर्याप्त उपाय नहीं करने के लिए स्थानीय अधिकारियों और पुलिस को दोषी ठहराया। वह स्थानीय पुलिस स्टेशन में भी पहुंचे और अधिकारियों से आग्रह किया कि 'शिवाजी भक्तों' के बजाय उन पर मामला दर्ज किया जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संभाजी राजे ने कहा, “कई शिवभक्तों पर मामला दर्ज किया गया है। पुलिस को उन्हें परेशान करने के बजाय मुझ पर मामला दर्ज करना चाहिए।' मैं उनसे पूछता रहा कि क्या मुझ पर मामला दर्ज किया गया है, लेकिन उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया।'' इसके अलावा, संभाजी राजे ने दावा किया कि उनके आंदोलन के पीछे कोई सांप्रदायिक एजेंडा नहीं था, लेकिन निहित स्वार्थ वाले कुछ लोग इसे ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
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दरअसल, पूर्व राज्यसभा सांसद संभाजी राजे ने अपने समर्थकों से अवैध अतिक्रमणों पर अधिकारियों की निष्क्रियता के विरोध में किले तक मार्च का आह्वान किया था, जिसके बाद हिंसा शुरू हो गई। विशालगढ़ किला कोल्हापुर जिले के शाहूवाड़ी में स्थित है, जो कोल्हापुर शहर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र में किलों के जीर्णोद्धार के लिए जाने जाने वाले संभाजी राजे कोल्हापुर राजघराने के उत्तराधिकारी हैं। वह मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें वंशज और कोल्हापुर के राजर्षि छत्रपति शाहू के परपोते हैं।
रविवार सुबह को संभाजी राजे के किले में पहुंचने से पहले ही हिंसा शुरू हो गई थी। कोल्हापुर पुलिस ने अब तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि 500 लोगों के खिलाफ चार FIR दर्ज की गई हैं।
राजनीतिक दबाव, हिंदुत्व समूहों द्वारा महाआरती: हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?
'विशालगढ़ अतिक्रमण विरोधी आंदोलन' के नाम पर कोल्हापुर में संभाजी राजे छत्रपति और उनके समर्थक पिछले एक साल से विशालगढ़ किले पर अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं।
अतिक्रमण के मुखर आलोचक रहे संभाजी राजे ने पिछले सप्ताह किले पर विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया था। हालांकि, इसके लिए कोई आधिकारिक अनुमति नहीं मिली थी, इसके बावजूद उनके समर्थक और हिंदूवादी संगठनों के सदस्य शनिवार रात से ही किले पर जुटने लगे।
रविवार सुबह को कुछ उपद्रवियों द्वारा किले पर स्थित रहमान मलिक दरगाह पर कथित रूप से पथराव किए जाने के बाद हिंसा भड़क गई, जिसमें कुछ स्थानीय लोग और पुलिसकर्मी घायल हो गए। कुछ उपद्रवियों ने कथित तौर पर मस्जिद के बाहर 'जय श्री राम' और कुछ आपत्तिजनक नारे भी लगाए।
कथित तौर पर कुछ स्थानीय लोगों ने जवाबी कार्रवाई की, जिसके बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। मामला बढ़ता देख, पुलिस ने किले को घेर लिया और प्रवेश पर रोक लगा दी, जिसके बाद भीड़ ने कथित तौर पर किले की तलहटी में स्थित गजपुर गांव में दुकानों और घरों पर हमला कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि गजपुर में कई घरों में कथित तौर पर आग लगा दी गई, जबकि कई घरों और दुकानों में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई। हिंसा में कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और उन्हें किले से नीचे फेंका गया। घटनास्थल से प्राप्त वीडियो में एक उपद्रवी को मस्जिद के ऊपर देखा जा सकता है, जो नारे लगाते हुए गुंबदनुमा ढांचे को तोड़ने की कोशिश कर रहा है।
पुलिस ने बताया कि हिंसा में स्थानीय निवासियों के साथ-साथ कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा किले में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने के आश्वासन के बाद संभाजी राजे ने अपना विरोध-प्रदर्शन खत्म किया।
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कई पत्रकारों ने दावा किया कि उनके उपकरण, मोबाइल फोन और बूम माइक को बदमाशों ने तलवारों और चाकुओं के दम पर छीन लिया। कुछ ने यह भी दावा किया कि उन्हें डराने के लिए उनके वाहनों का पीछा किया गया ताकि वे इलाके में न आएं।
कोल्हापुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष शीतल धनवाड़े ने सोमवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इस संबंध में पुलिस और अधिकारियों को एक अंडरटेकिंग दिया जाएगा।
अगर मैं दोषी हूं तो मुझे गिरफ्तार करें: संभाजी राजे छत्रपति
इस बीच, इस मुद्दे पर राजनीति गरमाई हुई है और विपक्षी दलों ने संभाजी राजे के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी- शरदचंद्र पवार (NCPSP) प्रमुख शरद पवार, कोल्हापुर के सांसद शाहू महाराज, NCPSP जिला अध्यक्ष वीबी पाटिल और जिला कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक सतेज पाटिल ने मामले को लेकर एक बैठक की है।
पाटिल ने कहा, "संभाजी राजे जैसे किसी व्यक्ति को अशांति के लिए अधिकारियों को दोषी ठहराते समय सावधानी बरतनी चाहिए थी।"
अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई:
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी के बाद गांव में पुलिस बल की तैनाती है और इलाके में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। पुलिस घटनाओं पर एफआईआर दर्ज कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोल्हापुर पुलिस ने सोमवार को पूर्व राज्यसभा सदस्य छत्रपति संभाजी राजे समेत 500 से ज्यादा लोगों के खिलाफ चार एफआईआर दर्ज कीं। अब तक कोल्हापुर पुलिस ने कुल 21 लोगों को गिरफ्तार किया था.
यहां यह बताना भी जरूरी है कि सीएम एकनाथ शिंदे के इस आश्वासन के बाद कि किले में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, संभाजी राजे ने अपना विरोध बंद कर दिया। यह भी बताया गया है कि हिंसक घटना के बाद रविवार रात कोल्हापुर पहुंचे सीएम शिंदे के आदेश पर अधिकारियों ने सोमवार को लगभग 35 अवैध दुकानों को तोड़ दिया।
संभाजी राजे, जिन्हें अशांति का कारण माना जाता है, ने स्थिति नियंत्रण से बाहर होने की आशंका के बावजूद पर्याप्त उपाय नहीं करने के लिए स्थानीय अधिकारियों और पुलिस को दोषी ठहराया। वह स्थानीय पुलिस स्टेशन में भी पहुंचे और अधिकारियों से आग्रह किया कि 'शिवाजी भक्तों' के बजाय उन पर मामला दर्ज किया जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संभाजी राजे ने कहा, “कई शिवभक्तों पर मामला दर्ज किया गया है। पुलिस को उन्हें परेशान करने के बजाय मुझ पर मामला दर्ज करना चाहिए।' मैं उनसे पूछता रहा कि क्या मुझ पर मामला दर्ज किया गया है, लेकिन उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया।'' इसके अलावा, संभाजी राजे ने दावा किया कि उनके आंदोलन के पीछे कोई सांप्रदायिक एजेंडा नहीं था, लेकिन निहित स्वार्थ वाले कुछ लोग इसे ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
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