आज हम आपको एक ऐसे फोटोग्राफर से मिलवाने जा रहे है, जिसने अपना कैमरा छोड़ बम धमाके में घायल हुए एक बच्चे को बचाया। लेकिन वो दूसरे बच्चे को नही बच्चा सका जिसकी मौत हो चुकी थी, जिसे देख वो फूट-फूट कर रोने लगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला 16 अप्रैल का है। जब अलेप्पो का एक्टिविस्ट और विडियोग्राफर सीरिया में एक आत्मघाती हमले के दौरान फंस गया। इस हमले में 126 लोगों समेत कई बच्चों की जानें चली गईं, जिनमें 80 से ज्यादा छोटे-छोटे बच्चे थे।
फोटोग्राफर के मुताबिक जब आसपास के गांवों से शरणार्थियों को लेकर आ रही बसों का एक काफिला कुछ देर के लिए अलेप्पो के निकट विद्रोहियों के कब्जे वाले राशिदीन कस्बे में रुका। उसी वक्त एक व्यक्ति ने उसी वक्त छोटे-छोटे बच्चों को चिप्स के पैकेटों का लालच देकर अपनी तरफ बुलाया और तभी एक बम फट गया।
इस दौरान फोटोग्राफर अब्द अल्कादर हबक पास ही अपने काम में जुटे हुए थे और कुछ देर के लिए वह भी बेहोश हो गए थे। उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि वो समय बेहद भयावह था।

ऐसे समय में मैंने अपने साथियों के साथ फैसला किया कि हम लोग अपने कैमरे एक तरफ रख देते हैं और घायलों को बचाना शुरू कर देते हैं। उन्होंने बताया कि जिस पहले बच्चे के पास वह पहुंचे, वह मर चुका था। तभी वह दूसरे बच्चे के पास गए जो मुश्किल से सांस ले पा रहा था।

उन्होंने उसे उठाया और एम्बुलेंस तक पहुंचाया। मोहम्मद अलगरेब ने सीएनएन समाचार चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि कुछ जख्मी लोगों की मदद की, पर बाद में उन्होंने तस्वीरें खींचना शुरू कर दिया था।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला 16 अप्रैल का है। जब अलेप्पो का एक्टिविस्ट और विडियोग्राफर सीरिया में एक आत्मघाती हमले के दौरान फंस गया। इस हमले में 126 लोगों समेत कई बच्चों की जानें चली गईं, जिनमें 80 से ज्यादा छोटे-छोटे बच्चे थे।

इस दौरान फोटोग्राफर अब्द अल्कादर हबक पास ही अपने काम में जुटे हुए थे और कुछ देर के लिए वह भी बेहोश हो गए थे। उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि वो समय बेहद भयावह था।

ऐसे समय में मैंने अपने साथियों के साथ फैसला किया कि हम लोग अपने कैमरे एक तरफ रख देते हैं और घायलों को बचाना शुरू कर देते हैं। उन्होंने बताया कि जिस पहले बच्चे के पास वह पहुंचे, वह मर चुका था। तभी वह दूसरे बच्चे के पास गए जो मुश्किल से सांस ले पा रहा था।

