सुप्रीम कोर्ट ने जातीय हिंसा में मणिपुर के सीएम की भूमिका का आरोप लगाने वाली ऑडियो रिकॉर्डिंग पर फोरेंसिक रिपोर्ट मांगी

Written by sabrang india | Published on: February 4, 2025
सुप्रीम कोर्ट लीक हुए ऑडियो टेप पर फोरेंसिक रिपोर्ट की समीक्षा करेगा, जिसमें मणिपुर के सीएम ने कथित तौर पर मैतेई समूह को हथियार देने की बात स्वीकार की है। अदालत ने 24 मार्च को अगली सुनवाई से पहले सीएफएसएल रिपोर्ट को सीलबंद तरीके से पेश करने का आदेश दिया है।



सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 3 फरवरी को कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग की जांच करने वाली फोरेंसिक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया, जिसमें कथित तौर पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह राज्य की जातीय हिंसा में अपनी संलिप्तता का सुझाव देते हुए सुनाई दे रहे हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया, जिसमें रिकॉर्डिंग की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी। फोरेंसिक रिपोर्ट तैयार होने के बाद उसे सीलबंद लिफाफे में पेश किया जाएगा, तथा मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च, 2025 से होगी।

(लीक हुए ऑडियो पर डिटेल रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है)

ऑडियो की प्रामाणिकता और उसके निहितार्थों पर विवाद

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि रिकॉर्डिंग का पहले एक निजी फोरेंसिक लैब, ट्रुथ लैब्स द्वारा विश्लेषण किया गया था, जिसने 93% से अधिक निश्चितता के साथ निष्कर्ष निकाला था कि टेप में आवाज मुख्यमंत्री की है। भूषण के अनुसार, रिकॉर्डिंग में कथित तौर पर बिरेन सिंह ने स्वीकार किया है कि उन्होंने मैतेई समूहों को राज्य के शस्त्रागार लूटने की अनुमति दी थी और कानूनी परिणामों से उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बंद कमरे में की गई बैठक में दिए गए इन बयानों को गुप्त रूप से रिकॉर्ड किया गया था और बाद में लीक कर दिया गया था, जिससे सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने और उकसाने का गंभीर मामला उजागर हुआ।

जवाब में मणिपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने आपत्तियां जताई जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता को सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए। एसजी ने पीठ को आगे बताया कि मामले के संबंध में पहले ही एक प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और जांच चल रही है। अधिकारियों ने उन ट्विटर अकाउंट से भी संपर्क किया था जिन्होंने ऑडियो क्लिप अपलोड किए थे ताकि उनकी प्रामाणिकता को सत्यापित किया जा सके और टेप को जांच के लिए केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) भेजा गया था। इसके अलावा एसजी ने याचिकाकर्ता के इरादों की आलोचना करते हुए तर्क दिया कि संगठन ने "अलगाववादी मानसिकता" को बढ़ावा दिया है और 2023 और 2024 में जातीय संघर्षों के बाद सामान्य स्थिति बहाल करने के राज्य के प्रयासों के बावजूद "मामले को तूल देने" का प्रयास कर रहा है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, एसजी मेहता ने कहा, “याचिकाकर्ता का झुकाव वैचारिक है.. अलगाववादी किस्म का.. तीन जजों की समिति की रिपोर्ट है.. सिर्फ मामले को तूल देने के लिए (ऐसी याचिकाएं दायर की जाती हैं)।"

न्यायिक कार्यवाही और भविष्य की कार्रवाई

सीजेआई खन्ना ने रिकॉर्डिंग की सत्यता पर टिप्पणी करने से परहेज करते हुए फोरेंसिक जांच की स्थिति के बारे में पूछताछ की और कहा कि एफएसएल रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर पेश की जाए।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, "राज्य (मणिपुर) अब (2023 और 2024 में जातीय संघर्षों के बाद) पीछे लौट रहा है। हमें यह भी देखना होगा कि इस मामले की सुनवाई इस न्यायालय को करनी चाहिए या उच्च न्यायालय को।"

पीठ ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई से पहले रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दाखिल किया जाए। न्यायालय ने अधिकार क्षेत्र के संबंध में एसजी द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्ति पर कुछ नहीं कहा, जिसका मतलब था कि इसे उचित समय पर निपटाया जाएगा।

सीजेआई खन्ना ने पूछा, "मैंने रिकॉर्डिंग की सामग्री और सत्यता पर ध्यान नहीं दिया है, एसएफएल रिपोर्ट कब आएगी?"

कार्यवाही के दौरान, न्यायमूर्ति संजय कुमार ने खुलासा किया कि वे पहले मणिपुर के मुख्यमंत्री द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होने पर आयोजित रात्रिभोज में शामिल हुए थे। उन्होंने याचिकाकर्ता को मामले में उनकी भागीदारी के बारे में कोई भी चिंता व्यक्त करने के लिए खुले तौर पर आमंत्रित किया। हालांकि, भूषण ने कहा कि याचिकाकर्ता को न्यायमूर्ति कुमार द्वारा मामले की सुनवाई जारी रखने पर कोई आपत्ति नहीं है।

इससे पहले, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से रिकॉर्डिंग की प्रामाणिकता को प्रमाणित करने वाली सामग्री प्रस्तुत करने को कहा था, जिसके बाद ट्रुथ लैब्स की रिपोर्ट पेश की गई थी। अब सर्वोच्च न्यायालय सीएफएसएल से फोरेंसिक जांच का इंतजार कर रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च 2025 को निर्धारित की गई है, जहां न्यायालय द्वारा रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेने की उम्मीद है।

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