'बीजेपी को सबक सिखाओ-देश बचाओ' नारे के साथ चुनावी राज्यों में 'भाजपा हराओ' अभियान चलाएगा SKM

Written by Navnish Kumar | Published on: October 23, 2023
लगभग 500 किसान संगठनों के एक छत्र संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की आम सभा में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ प्रचार अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया। बैठक में किसान नेताओं को न्यूज़क्लिक मामले से जोड़कर गिरफ्तार करने की कथित साजिश के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन का भी निर्णय लिया गया। इसके लिए 'कॉर्पोरेट हटाओ, बीजेपी को सबक सिखाओ और देश बचाओ' का नारा दिया गया है। SKM ने कहा कि बीजेपी ने ऐतिहासिक किसान आंदोलन के लिए न्यूज़क्लिक के खिलाफ एफआईआर में निराधार और झूठे आरोप लगाए हैं। एफआईआर में किसानों के आंदोलन को राष्ट्र-विरोधी, विदेशी और आतंकवादी ताकतों द्वारा वित्त पोषित बताया गया है।" 



'द हिंदू' की एक रिपोर्ट के अनुसार, SKM नेताओं ने 20 अक्टूबर को आहूत बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि वे भाजपा उम्मीदवारों को हराने के लिए इन नारों के साथ सभी चुनावी राज्यों में प्रचार करेंगे। उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर केंद्र ने 2 साल पहले तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को वापस लेने के समय किसानों से किए वादों को नजरअंदाज करना जारी रखा तो विरोध प्रदर्शन मजबूत होगा।

SKM 'कॉर्पोरेट हटाओ, बीजेपी को सबक सिखाओ और देश बचाओ' के नारे के साथ चुनावी प्रचार में उतरेगा। इसके साथ ही मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 26-28 नवंबर 2023 को राज्यों की राजधानियों में राजभवनों के सामने 72 घंटे का धरना देने का भी ऐलान किया है। जनचौक में छपी रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि “किसानों का आंदोलन एक प्रतिबद्ध, देशभक्तिपूर्ण आंदोलन था, जो 1857 और विदेशी लूट के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन से समानता रखता था। इसने कृषि से सरकारी समर्थन वापस लेने और अडानी, अंबानी, टाटा, कारगिल, पेप्सी, वॉलमार्ट, बायर, अमेज़न और अन्य के नेतृत्व वाले निगमों को खेती, मंडियों और खाद्य वितरण को सौंपने के लिए 3 कृषि कानूनों की नापाक योजना को सही ढंग से पढ़ा।”

किसान मोर्चा ने कहा कि “देश पर 3 कृषि कानून थोपे गए, अनुबंध कानूनी रूप से किसानों को वो उगाने के लिए बाध्य करता है जो कॉरपोरेट खरीदेगा, उन्हें महंगे इनपुट (बीज, उर्वरक, कीटनाशक, ईंधन, सिंचाई, प्रौद्योगिकी, सेवाएं) खरीदने और अपनी फसल बेचने के लिए अनुबंधित किया जाएगा। जबकि मंडी अधिनियम ने बड़ी कंपनियों के गठजोड़ को ऑनलाइन नेटवर्किंग और निजी साइलो के साथ सबसे कम कीमत पर फसल व्यापार पर हावी होने की अनुमति देने के लिए सरकारी संचालन, सरकारी खरीद और मूल्य निर्धारण (MSP) पर रोक लगा दी। वहीं आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम जमाखोरों और कालाबाजारियों को आजादी देता है।”

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि “भारत के किसान इस छल से जूझ रहे हैं। उन्होंने आरएसएस-भाजपा की भारत के लोगों को खाद्य सुरक्षा से वंचित करने, किसानों को कंगाल बनाने, निगमों के अनुकूल फसल पैटर्न बदलने और भारत के खाद्य प्रसंस्करण बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मुक्त प्रवेश की अनुमति देने की कॉर्पोरेट योजना का पर्दाफाश किया। कहा कि वे एक होकर, अशांत सागर में लहर की तरह उठे, दिल्ली को घेर लिया और जिद्दी मोदी सरकार को झुकने के लिए मजबूर कर दिया। इस प्रक्रिया में किसानों ने पानी की बौछारों, आंसू गैस के गोले, बड़े कंटेनरों से सड़क अवरुद्ध करने, गहरे सड़क कटाव, लाठीचार्ज, ठंड और गर्म मौसम का सामना किया। 13 महीनों में उन्होंने 732 शहीदों का बलिदान दिया।”

किसान मोर्चा ने कहा कि “उन्होंने भारत के सबसे असहाय और वंचित वर्गों के साथ-साथ मीडिया और अदालतों में न्याय के लिए आवाज उठाई। यह साम्राज्यवादी शोषकों के हितों की पूर्ति करने वाली फासीवादी सरकार के दमन के सामने उच्चतम गुणवत्ता का देशभक्तिपूर्ण आंदोलन था।” संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि “भारतीय किसान 1.4 अरब लोगों को खाना खिलाते हैं। वे 68.6% आबादी को जीविका और काम प्रदान करते हैं।”

मोर्चा ने कहा कि कृषि बुनियादी ढांचे में सरकारी निवेश, लाभदायक खेती को बढ़ावा, गांव के गरीबों के जीवन का विकास और किसान-मजदूर सहकारी समितियों के सामूहिक स्वामित्व और नियंत्रण के तहत आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण, विपणन और उपभोक्ता नेटवर्क की सुविधा और सुरक्षा लोगों की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी। यह भारत के साथ-साथ भारत के लोगों को भी समृद्ध बनाएगा। लेकिन कॉर्पोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सेवा में, मोदी सरकार ने किसानों पर एक और हमला किया है।” किसान मोर्चा ने कहा कि “मोदी सरकार ने एक अलोकतांत्रिक कानून, यूएपीए का उपयोग किया है, जो सरकार को नागरिकों पर आतंकवादी होने का आरोप लगाने की अनुमति देता है, इसलिए यह स्पष्ट रूप से राष्ट्रविरोधी है, दशकों तक उस आरोप को साबित किए बिना, यहां तक ​​कि जमानत से भी इनकार कर दिया जाता है।

मोदी सरकार ने किसान आंदोलन के समर्थन में लिखने वाले न्यूज़क्लिक मीडिया हाउस पर आरोप लगाने के लिए यूएपीए का इस्तेमाल किया है। न्यूज़क्लिक ने केवल वही कर्तव्य निभाया जो एक सच्चे मीडिया को करना चाहिए- सच्चाई की रिपोर्ट करना, किसानों की समस्याओं और एकजुट संघर्ष के बारे में रिपोर्ट करना।

भाजपा सरकार हास्यास्पद एफआईआर का इस्तेमाल यह अफवाह फैलाने के लिए कर रही है कि किसानों का आंदोलन जन-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी और न्यूज़क्लिक के माध्यम से आतंकवादी फंडिंग द्वारा समर्थित है जो तथ्यात्मक रूप से गलत है और आंदोलन को खराब छवि में चित्रित करने और हमारे देश के किसानों के हाथों मिली अपमानजनक हार का बदला लेने के लिए शरारतपूर्ण ढंग से डाला गया है।”

मोर्चा नेताओं ने कहा कि “मोदी सरकार 3 काले कानूनों को वापस लेने के बाद, अब फिर से किसान आंदोलन पर विदेशी वित्त पोषित और आतंकवादी ताकतों द्वारा प्रायोजित होने का झूठा आरोप लगाने की कोशिश कर रही है। यह सब तब है जब आरएसएस और भाजपा कृषि में एफडीआई, विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों, बड़े निगमों को बढ़ावा दे रहे हैं। वे भारतीय किसानों की निंदा करने और उन्हें बर्बाद करने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध हैं।” SKM एक मजबूत भारत के निर्माण के लिए किसानों की अर्थव्यवस्था को बचाने, विदेशी लूट को रोकने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नवंबर में व्यापक विरोध कार्यक्रम 

नई दिल्ली में आयोजित आमसभा ने गहरी पीड़ा और विरोध व्यक्त किया और मोदी सरकार को झूठी न्यूज़क्लिक एफआईआर को तुरंत वापस लेने की चेतावनी दी और पत्रकार प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती की तत्काल रिहाई की मांग की। इसके लिए SKM 1 से 5 नवंबर 2023 तक झूठी एफआईआर और मोदी सरकार के खिलाफ ग्राम स्तर पर अभियान चलाएगा। एफआईआर के मकसद को समझाते हुए और कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मदद के लिए मोदी सरकार को किसानों की अर्थव्यवस्था का गला घोंटने से रोकने के लिए किसानों को एकजुट करने के लिए गांवों में घर-घर जाकर पर्चे बांटे जाएंगे।

6 नवंबर को अखिल भारतीय विरोध दिवस के रूप में मनाया जाएगा और झूठी एफआईआर की प्रतियां तहसील और जिला मुख्यालयों पर जलाई जाएंगी। इसके साथ ही 26-28 नवंबर 2023 को राज्यों की राजधानियों में सभी राजभवनों के सामने 72 घंटे का दिन रात धरना संघर्ष किसानों की भारी भागीदारी के साथ आयोजित किया जाएगा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच के बैनर तले देश भर के श्रमिक भी इस संघर्ष में शामिल होंगे।

गन्ना भुगतान व बिजली बिलों आदि मुद्दों पर मुजफ्फरनगर में भाकियू ने एसएसपी दफ्तर घेरा 

गन्ना भुगतान और बिजली बिलों आदि को लेकर भाकियू के धरना प्रदर्शन में आज मुजफ्फरनगर एसएसपी दफ्तर पर किसानों का जमावड़ा लगा है। सुबह से ही महावीर चौक पर भाकियू कार्यालय पर किसान एकत्र हो रखे हैं। इसके साथ ही ट्रैक्टर ट्रॉलियों में किसान जीआईसी मैदान और एसएसपी ऑफिस पर पहुंच रहे हैं जिसे लेकर प्रशासन ने जहां रूट डायवर्ट कर दिए हैं वहीं शहर के मुख्य चौराहे मीनाक्षी चौक, महावीर चौक, प्रकाश चौक, शिव चौक, एसडी तिराहे पर पुलिस सुबह से ही तैनात है।

फर्जी मुकदमे और विद्युत निगम से पीड़ित हैं किसान : टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि जिले का किसान फर्जी मुकदमों और विद्युत निगम से पीड़ित है। विद्युत निगम परेशान कर रहा है। किसान दिवस को धीरे-धीरे बंद कर दिया गया। हर महीने के तीसरे बुधवार को किसान दिवस होना चाहिए, उससे जिला स्तर पर ही काफी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

रविवार को सर्कुलर रोड स्थित आवास पर भाकियू प्रवक्ता ने कहा कि सोमवार को एसएसपी कार्यालय पर आंदोलन होगा। इसको लेकर जिलेभर से बड़ी संख्या में किसानों के पहुंचने की संभावना है। किसान अपने ट्रैक्टर के माध्यम से एसएसपी कार्यालय का घेराव करेंगे। भाकियू प्रवक्ता ने कहा कि पिछले पांच माह से गन्ना भुगतान को लेकर बुढ़ाना की भैंसाना मिल पर धरना प्रदर्शन चल रहा है। इसके अलावा चौदह दिन से डीसीओ कार्यालय पर भी धरना चल रहा है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकाला गया। अगर पहले क्रय केंद्र लगना होता था, तो उसे जिले स्तर के अधिकारी ही लगा दिया करते थे। आज अगर रास्ते की समस्या के कारण कहीं पर क्रय केंद्र लगना है, तो वह लखनऊ से होगा। दस साल पुराने ट्रैक्टर की भी बड़ी समस्या हैं। उन्होंने कहा कि इन्ही सब मुद्दों को लेकर सोमवार को एसएसपी कार्यालय पर आंदोलन होगा।

डीसीओ को धरने में बैठाकर मांगा जवाब 

भारतीय किसान यूनियन का जिला गन्ना अधिकारी कार्यालय पर 14वें दिन भी धरना जारी रहा। भाकियू पदाधिकारियों ने डीसीओ संजय सिसोदिया को धरने के बीच बैठाकर गन्ना भुगतान को लेकर जवाब मांगा। भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत भी इसमें शामिल होंगे। भाकियू जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा ने कहा कि धरने के 14वें दिन डीसीओ संजय सिसोदिया अपने कार्यालय पर पहुंचे थे। तभी उन्हें धरने में किसानों के बीच बैठाकर जवाब मांगा गया। उन्होंने कहा कि डीसीओ ने किसानों के किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दिया। लखनऊ में समस्या रखने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ दिया। करीब एक घंटे तक डीसीओ को धरने के बीच बैठाए रखा। उन्होंने कहा कि सोमवार को बड़ी संख्या में किसान आंदोलन में शामिल होंगे। इसको लेकर कार्यकर्ताओं से भी अधिक संख्या में पहुंचने के आह्वान किया गया है।

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