न्यूज़क्लिक पर FIR के जरिये मोदी सरकार का किसान आंदोलन पर हमला, SKM का देशव्यापी विरोध का ऐलान

Written by Navnish Kumar | Published on: October 9, 2023
"संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने ऐलान किया है कि वह बीजेपी- आरएसएस के नेतृत्व वाली मोदी सरकार द्वारा न्यूज़क्लिक पर एफआईआर के माध्यम से किसान आंदोलन पर नए सिरे से हमले को लेकर हैरत में हैं और इसके ख़िलाफ़ वह देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगा।"



संयुक्त किसान मोर्चा के मीडिया सेल द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा न्यूज़क्लिक मीडिया हाउस और कई पत्रकारों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में एसकेएम के नेतृत्व में दिल्ली में हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन के खिलाफ लगाए अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण आरोपों के बारे में जानकर अचंभित है।

एसकेएम के बयान को हम यहां ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रहे हैं। बयान के अनुसार—

SKM किसान आंदोलन के खिलाफ एफआईआर में लगाए गए सभी आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करता है— ये आरोप झूठे और प्रेरित (प्रायोजित) हैं— और स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड पर रखता है कि:
 
1) SKM एफआईआर में स्पष्ट रूप से झूठे और द्वेषपूर्ण आरोपों को खारिज करता है कि, किसान आंदोलन “अवैध विदेशी फंडिंग के माध्यम से देश में समुदायों के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं को बाधित करने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और नष्ट करने, भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाने और आंतरिक कानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा करने” के लिए था। देश के अन्नदाता किसानों ने भाजपा सरकार के किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक कानूनों और नीतियों के खिलाफ एसकेएम के नेतृत्व में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया गया। किसानों द्वारा किसी प्रकार की आपूर्ति बाधित नहीं की गई। किसानों द्वारा किसी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाया गया। किसानों द्वारा अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया गया। किसानों द्वारा कोई कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न नहीं की गयी। यह केंद्र सरकार ही है जिसने किसानों को देश की राजधानी तक पहुंचने के उनके लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने से हिंसक तरीके से रोकने के लिए कंटीले तार लगाकर, पानी की बौछारों से, लाठीचार्ज करके और सड़कें खोदकर, देश के लोगों और किसानों को भारी असुविधा पहुँचाई। किसानों को विरोध में 13 महीनों तक, चिलचिलाती गर्मी, मूसलाधार बारिश और जमा देने वाली सर्दियों की ठंड में बैठना पड़ा। 

यह केंद्र सरकार और BJP-RSS ही है जिसने लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलकर कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा की, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई। इस हमले के पीछे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और उनके बेटे का हाथ था। आज तक प्रधानमंत्री ने दोषी मंत्री को नहीं हटाया और न ही दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की। मोदी सरकार के दमन का मुकाबला करने के लिए लखीमपुर खीरी के किसानों सहित 735 किसानों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। यह केंद्र सरकार ही है जिसने कानून-व्यवस्था की समस्याएं पैदा कीं। यह केंद्र सरकार ही है जिसने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट किया। यह केंद्र सरकार ही है जिसने देश के लोगों की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को नष्ट करते हुए खाद्य उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला पर कब्ज़ा करने के लिए मित्र पूंजीपतियों के साथ साजिश रची। पीएम मोदी को पीएम केयर फंड में और गौतम अडानी को अपने कारोबार में चीन से फंड मिला है। किसान आंदोलन भारी कठिनाई को पार करते हुए और बलिदान के कारण सफल हुआ। यह आरोप लगाकर कि आंदोलन विदेशी वित्त पोषित था और आतंकवादी कृत्य था, इस बलिदान को नीचा दिखाना सरकार के अहंकार, अज्ञानता और जन-विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।

2) SKM भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा भारतीय खेती को विदेशी शोषकों सहित बड़े कॉर्पोरेटों को सौंपने के प्रयास के खिलाफ अत्यधिक देशभक्तिपूर्ण और ऐतिहासिक किसान आंदोलन के महत्व को कम करने के साजिश की कड़ी निंदा करता है। यहां उल्लेख करना उचित है कि तीन काले कृषि कानून, अनुबंध खेती के माध्यम से फसल पैटर्न पर, मंडियों पर, और आवश्यक वस्तु अधिनियम और मंडी अधिनियम में संशोधन के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य वितरण पर कॉर्पोरेट का कानूनी नियंत्रण स्थापित करने और सरकारी खरीद, मूल्य समर्थन और पीडीएस राशन सुरक्षा समाप्त करने की, एक कोशिश थी। इस प्रकार ये कानून जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी थे जबकि किसान आंदोलन उच्च स्तर के राष्ट्रवाद की एक सहज अभिव्यक्ति थी। यह एफआईआर किसान आंदोलन को कुछ बाहरी स्रोतों द्वारा वित्त पोषित के रूप में चित्रित करने की एक चालाक और नापाक योजना है, एक चाल जिसे आंदोलन के दौरान किसान आंदोलन ने दृढ़ता से खारिज कर दिया था, और जिसके सामने मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा-आरएसएस सरकार और उसके मनगढंत दावों को आत्मसमर्पण करने के लिए झुकना पड़ा था। भारतीय खेती न केवल 142 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि यह 90 करोड़ ग्रामीण लोगों को आजीविका भी प्रदान करती है, जिसका महत्व कोरोना महामारी के दौरान सभी ने देखा।
 
3) चूंकि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जैसे जाने-माने किसान विरोधी नेताओं के नेतृत्व में है, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि किसान आंदोलन के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं, हालांकि झूठ की सीमा आश्चर्यजनक है।
 
4) SKM समझता है कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार, जो नवंबर 2020 से दिसंबर 2021 तक दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के दृढ़, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण आंदोलन के सामने तीन काले कानूनों को वापस लेने के अपमान से अभी भी बौखलाई हुई है, किसान आंदोलन को बदनाम करके और किसान विरोधी कहानी गढ़कर किसानों से बदला लेने की लगातार कोशिश करेगी।
 
SKM ने अपने घटक संगठनों के जरिए पहले ही, इस जनविरोधी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बारे में सच्चाई लिखने और प्रकाशित करने का साहस रखने वाले, न्यूज़क्लिक जैसे स्वतंत्र मीडिया घरानों और कई पत्रकारों के साथ एकजुटता व्यक्त की है, और राज्य मशीनरी के अवैध दुरुपयोग द्वारा झूठे मामलों और गिरफ्तारियों के माध्यम से उनकी आवाज को दबाने के लिए सरकार के दमनकारी प्रयासों की निंदा की है, एसकेएम पुनः स्वतंत्र मीडिया के साथ एकजुटता व्यक्त करता है और स्पष्ट करता है कि वह सरकार द्वारा नागरिकों के अधिकारों का हनन रोकने के लिए सभी वर्गों के नागरिकों का समर्थन करेगा।
 
SKM भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा न्यूज़क्लिक एफआईआर के माध्यम से किसानों के आंदोलन पर नए सिरे से हमले के खिलाफ देशव्यापी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की घोषणा करता है। सभी राज्य राजधानी, जिला मुख्यालय, तहसील मुख्यालय पर न्यूज़क्लिक एफआईआर में किसान आंदोलन के खिलाफ लगाए गए झूठे और अपमानजनक आरोपों को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर विरोध सभाएं आयोजित की जाएंगी। एसकेएम नेताओं के प्रतिनिधिमंडल द्वारा भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्री और दिल्ली पुलिस आयुक्त को किसान आंदोलन के खिलाफ सभी आरोपों को तुरंत वापस लेने के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा। आरोप वापस न लेने की स्थिति में प्राधिकरणों के कार्यालयों के समक्ष धरना प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।


*BKU: देश में एक बार फिर बड़े किसान आंदोलन की तैयारी!* 

देश में एक बार फिर बड़े किसान आंदोलन की तैयारी है। लखनऊ इको पार्क में आयोजित महापंचायत के बाद कल बिहार और आज नोएडा में बुलाई गई किसान महापंचायत का संदेश यही है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व देश में एक बार फिर बड़ा किसान आंदोलन देखने को मिल सकता है। जी हां, किसानों की समस्याएं दूर नहीं होने के कारण एक बार फिर किसान आज सोमवार को यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट पर महापंचायत कर धरना शुरू करेंगे। महापंचायत में ही आंदोलन की रणनीति की घोषणा की जाएगी। किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों के पास एक ही रास्ता है आंदोलन। अगर आंदोलन नहीं होगा तो जमीन, फसल और नस्ल खो देंगे।

भारतीय किसान यूनियन (BKU) नेता राकेश टिकैत लगातार, किसानों से अपनी जमीन, फसल और नस्ल को बचाने के लिए एक बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान कर रहे हैं। लखनऊ की किसान महापंचायत में टिकैत ने आरोप लगाया था कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने फरवरी 2021 से उनके साथ कोई बातचीत नहीं की है। टिकैत ने कहा कि एक साजिश चल रही है। ये सरकारें हमें धर्म और जाति के आधार पर बांट देंगी, लेकिन हमें बड़ा आंदोलन चलाकर अपनी विचारधारा की रक्षा के लिए लड़ना होगा। सभी किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ तैयार रहें। 

कहा कि गांवों में मीटर लग रहे हैं तो मुफ्त बिजली कैसे मिलेगी? राज्य सरकार पर किसानों का सारा गन्ना बकाया चुकाने के बारे में झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए टिकैत ने कहा, “मामला गन्ने की दर से संबंधित है। अगर मायावती 40 रुपये बढ़ा सकती हैं तो वह (आदित्यनाथ) क्यों नहीं? क्या वह मायावती से कमज़ोर हैं? उनके पास ताकत नहीं है, दिल्ली उन्हें रोकती है।” टिकैत ने कहा, ”हम एमएसपी की गारंटी वाला कानून चाहते हैं।” किसानों से अपनी जमीन न बेचने की अपील करते हुए टिकैत ने कहा, ”एक बड़ी साजिश चल रही है। व्यापारी, अधिकारी और नेता किसानों की जमीन छीन रहे हैं। इसलिए अपनी जमीन मत बेचो, बल्कि आंदोलन करो।

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