छत्तीसगढ़ में अनैतिक गतिविधियां निरोधक कानून (पीटा एक्ट) लागू होने के बावजूद नाबालिग लड़कियों को जिस्मफरोशी के धंधे में धकेला जाना जारी है। कई जगह सेक्स रैकेट चल रहे हैं, कभी-कभार लोग पकड़े भी जा रहे हैं लेकिन पुलिस पीटा एक्ट लगाने से बचती है।
नाबालिग किशोरियों को अनैतिक देह व्यापार से बचाने के लिए दो साल पहले राज्य सरकार ने जगदलपुर समेत प्रदेश के 11 नगर निकायों में पीटा एक्ट लागू किया था। हालांकि जगदलपुर जिले में दो साल में मात्र एक केस ही दर्ज किया गया है। इससे साबित होता है कि पीटा एक्ट लागू करने में पुलिस की दिलचस्पी नहीं है।
(Courtesy: naidunia.jagran.com)
नईदुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले केवल दुर्ग और रायपुर में पीटा लागू होता था और जिस्मफरोशी के मामले सामने आने पर पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करती थी और कॉलगर्ल तथा ग्राहकों को आसानी से जमानत मिल जाया करती थी।
जबरन जिस्मफरोशी के मामले ज्यादा सामने आने लगे तो सरकार ने जगदलपुर समेत राज्य के रायगढ़, जांजगीर, चांपा, मुंगेली, बलौदाबाजार, तोरवा, सरकंडा, बिलासपुर, सूरजपूर, कोरिया, धमतरी और महासमुंद में भी पीटा एक्ट को लागू करने की मंजूरी दे दी थी।
इसके तहत सीएसपी अथवा डीएसपी को विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी बनाया गया था, लेकिन इसमें कमी आना तो दूर की बात रही, इस अवैध कारोबार में हाइटेक तरीके का इस्तेमाल और बढ़ गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक शहर के आधा दर्जन महिला दलाल इस काले धंधे में संलिप्त हैं, जो लक्जरी कारों में घूमती हैं और रिहायशी कालोनियों में रह रही हैं। ये महिला दलाल ग्राहकों की मांग पर स्थानीय युवतियों के अलावा कोलकाता, मुंबई, जयपुर, नागपुर जैसे शहरों से भी युवतियों को बुलवाया जा रहा है। कॉलगर्ल को फ्लाइट का खर्च भी दिया जाता है।
धंधा चलाने के लिए भी व्हाटसऐप और नेट का इस्तेमाल होने लगा है। युवतियों की तस्वीरें और प्रोफाइल ग्राहक को सेलफोन के जरिए दिखाई जाती है और मोबाइल से ही बुकिंग भी हो जाती है।
शहरी युवतियों के अलावा कुछ स्थानीय युवतियां भी इस अनैतिक कारोबार में शामिल हैं। कुछ महिलाएं ग्रामीण युवतियों को भी बरगलाकर इस धंधे में ढकेल रही हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस की मिलीभगत होने के कारण ही जिस्मफरोशी का कारोबार बढ़ रहा है।
नाबालिग किशोरियों को अनैतिक देह व्यापार से बचाने के लिए दो साल पहले राज्य सरकार ने जगदलपुर समेत प्रदेश के 11 नगर निकायों में पीटा एक्ट लागू किया था। हालांकि जगदलपुर जिले में दो साल में मात्र एक केस ही दर्ज किया गया है। इससे साबित होता है कि पीटा एक्ट लागू करने में पुलिस की दिलचस्पी नहीं है।
(Courtesy: naidunia.jagran.com)
नईदुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले केवल दुर्ग और रायपुर में पीटा लागू होता था और जिस्मफरोशी के मामले सामने आने पर पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करती थी और कॉलगर्ल तथा ग्राहकों को आसानी से जमानत मिल जाया करती थी।
जबरन जिस्मफरोशी के मामले ज्यादा सामने आने लगे तो सरकार ने जगदलपुर समेत राज्य के रायगढ़, जांजगीर, चांपा, मुंगेली, बलौदाबाजार, तोरवा, सरकंडा, बिलासपुर, सूरजपूर, कोरिया, धमतरी और महासमुंद में भी पीटा एक्ट को लागू करने की मंजूरी दे दी थी।
इसके तहत सीएसपी अथवा डीएसपी को विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी बनाया गया था, लेकिन इसमें कमी आना तो दूर की बात रही, इस अवैध कारोबार में हाइटेक तरीके का इस्तेमाल और बढ़ गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक शहर के आधा दर्जन महिला दलाल इस काले धंधे में संलिप्त हैं, जो लक्जरी कारों में घूमती हैं और रिहायशी कालोनियों में रह रही हैं। ये महिला दलाल ग्राहकों की मांग पर स्थानीय युवतियों के अलावा कोलकाता, मुंबई, जयपुर, नागपुर जैसे शहरों से भी युवतियों को बुलवाया जा रहा है। कॉलगर्ल को फ्लाइट का खर्च भी दिया जाता है।
धंधा चलाने के लिए भी व्हाटसऐप और नेट का इस्तेमाल होने लगा है। युवतियों की तस्वीरें और प्रोफाइल ग्राहक को सेलफोन के जरिए दिखाई जाती है और मोबाइल से ही बुकिंग भी हो जाती है।
शहरी युवतियों के अलावा कुछ स्थानीय युवतियां भी इस अनैतिक कारोबार में शामिल हैं। कुछ महिलाएं ग्रामीण युवतियों को भी बरगलाकर इस धंधे में ढकेल रही हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस की मिलीभगत होने के कारण ही जिस्मफरोशी का कारोबार बढ़ रहा है।