भीषण कार हादसे में बाल-बाल बचे संजीव भट्ट की पत्नी और बच्चे, बताया जान लेने की साजिश

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 11, 2019
(गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट तकरीबन पिछले तीन महीनों से जेल में हैं। और उनका परिवार लगातार उनकी जमानत के लिए अदालतों के चक्कर काट रहा है। संजीव भट्ट की गिरफ्तारी एक 21 साल पुराने मामले में किसी नशीले पदार्थ के सिलसिले में की गयी है। गुजरात दंगों में सरकार के सामने सिर न झुकाने का खामियाजा उन्हें पहले अपनी नौकरी गवांकर और फिर अब जेल से लेकर तमाम तरह के उत्पीड़नों को सहने के जरिये भुगतना पड़ रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा परेशानी उनकी पत्नी और बेटों समेत परिवार को भुगतनी पड़ रही है। इसी 7 जनवरी को पत्नी श्वेता भट्ट और उनके बेटे के साथ अहमदाबाद की सड़क पर कार से चलते हुए एक बड़ा हादसा हुआ। जिसमें दोनों बाल-बाल बचे। श्वेता इसे जान लेने की साजिश के तौर पर देखती हैं। इसके बारे में उन्होंने संजीव भट्ट की फेसबुक टाइमलाइन पर विस्तार से लिखा है। अंग्रेजी में लिखी गयी उस पोस्ट का यहां हिंदी अनुवाद दिया जा रहा है- संपादक जनचौक)  

मैं श्वेता संजीव भट्ट

मैं आज (इस पोस्ट को) उस घटना की पुष्टि करने के लिए लिख रही हूं जिसको आप में से कुछ ने सुना होगा या फिर उसके गवाह रहे होंगे: 7 जनवरी 2019 को मैं और मेरे बेटे ने बहुत करीब से मौत को देखा। आईआईएम की व्यस्त सड़क पर एक बड़ा डंपर पीछे से आते हुए हमारी ड्राइवर की साइड से कार को भीषण धक्का दिया। फिर एकाएक गाड़ी को तकरीबन कुचलते हुए डिवाइडर को पार कर सड़क की दूसरी तरफ चला गया। इस बीच गाड़ी के चक्कों के बीच फंसे होने और लगातार पलटती कार के बीच मेरे दिमाग में कुछ बेहद अप्रिय और अवांछित नकारात्मक विचार कौंधने लगे। उस क्षण अपनी जिंदगी से ज्यादा अपने बेटे को खो देने की आशंका ने मुझे अंदर से हिला दिया। ये बिल्कुल चमत्कार जैसा था कि हमें कुछ कट, रगड़ और धुस के अलावा ज्यादा चोट नहीं आयी और हम जिंदा हैं। 

ईश्वर की कृपा, संजीव के अच्छे कर्म और आपकी प्रार्थनाओं  के चलते हम सुरक्षित और महफूज हैं और आज ये पोस्ट लिख पा रहे हैं। 

झटके से बाहर आने और उसका संदर्भों से जोड़कर विश्लेषण करने की स्थिति में आने में मुझे दो दिन लग गए। गुजरात हाईकोर्ट में तय सुनवाई (संजीव भट्ट की जमानत पर सुनवाई) से बस एक दिन पहले ये घटना हुई। डंपर ने कार पर पीछे से नहीं बल्कि ड्राइवर की साइड से हमला किया। हमारी कार पलटी खाने के बाद डंपर में फंस गयी और फिर उसके साथ ही घिसटने लगी। और दिचस्प बात ये है कि डंपर बजाय रुकने के उसका ड्राइवर उसकी गति को लगातार बढ़ाए जा रहा था। इससे भी आगे डंपर पर कोई नंबर प्लेट नहीं लगी थी और न ही गाड़ी का रजिस्ट्रेशन पेपर या फिर उसका कोई पहचान पेपर उपलब्ध था। 

ये ऐसे मौके हैं जब कोई कुछ नहीं कर सकता है बस केवल समय और घटना के रहस्य को लेकर अचरज ही जाहिर किया जा सकता है।

अगर इस घटना का उद्देश्य हमें डराना या फिर संजीव भट्ट के मनोबल को तोड़ना था तब हम सब इस बात को कहना चाहेंगे कि हम भले हिल गए हों लेकिन डरे नहीं हैं। संजीव भट्ट का परिवार हमेशा उनकी ताकत बना रहेगा न कि कमजोरी।

जहां तक कि अदालत में सुनवाई की बात है तो अभी तक हो चुकी देरी के बाद गुजरात हाईकोर्ट में जमानत की सुनवाई कल (यानी आज) 3.30 बजे शाम को मुकर्रर है।

इस बात की आशा करती हूं कि नया साल अपने साथ हम सब के लिए न्याय लेकर आएगा। 

ईश्वर आप सब का भला करे

श्वेता संजीव भट्ट (संजीव भट्ट की पत्नी)

साभार- जनचौक

 

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