सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से जांच की "अवधि और निर्देश" के बारे में भी सवाल किया
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 1 सितंबर को, पत्रकार, शिक्षाविद् और मानवाधिकार रक्षक तीस्ता सेतलवाड़ के खिलाफ आरोप पत्र के अभाव, जांच की अवधि और दिशा व गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा जमानत से संबंधित मामले में छह सप्ताह के लंबे स्थगन को लेकर टिप्पणियों की एक श्रृंखला में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे।
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, एस रवींद्र भट और सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने 30 अगस्त को स्थगित होने के बाद आज मामले की सुनवाई की। इसी बेंच ने पहले राज्य को याचिकाकर्ता के लंबे समय तक हिरासत में रहने के बारे में याद दिलाया था।
गुजरात दंगों के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ और धोखाधड़ी के आरोपों में करीब ढाई माह से जेल में बंद तीस्ता सेतलवाड़ पर एफआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। तीस्ता की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि गुजरात सरकार बताए कि तीस्ता पर किस आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। अदालत ने कहा कि तीस्ता सेतलवाड़ के खिलाफ आईपीसी की सामान्य धाराओं में ही मुकदमा दर्ज है। मामले में सुनवाई जारी है। कल शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी।
गुरुवार को तीस्ता सेतलवाड़ की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ एफआईआर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के आधार पर ही हुई है। उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीस्ता सेतलवाड़ के खिलाफ टिप्पणी की थी। अगले ही दिन उनके खिलाफ FIR दर्ज हो गई।
तीस्ता सेतलवाड़ की जमानत पर दोनों पक्षों ने जमकर दलीलें दीं। गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जमानत याचिका के खिलाफ दलीलें रखीं। मगर शीर्ष अदालत इससे संतुष्ट नहीं दिखी। तीस्ता की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने दलील देना शुरू किया तो SG तुषार मेहता ने कहा कि मेरी आपत्ति सीधे सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटाने की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ये कहना चाहते हैं कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के वकील एसजी तुषार मेहता से पूछा कि किन आधारों पर एफआईआर दर्ज हुई। क्या सामग्री है आपके पास? हिरासत के दौरान में पूछताछ में कुछ मिला? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य आईपीसी के आरोप हैं। ऐसे में जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए। खासतौर पर महिला के मामले में, जब कि करीब ढाई माह जेल में हो चुके हैं।
‘क्या यही है गुजरात हाई कोर्ट के काम करने का तरीका’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘क्या यह गुजरात हाई कोर्ट के काम करने का तरीका है?’ सीजेआई ने कहा कि वह महिला है और हाईकोर्ट को यह ध्यान रखना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने ज़मानत याचिका पर 3 अगस्त को नोटिस जारी किया था और 6 हफ्ते में जवाब मांगा था। क्या ज़मानत के मामले में जवाब दाखिल करने के लिए इतना समय दिया जाता है। सीजेआई ने कहा कि आपकी इन सब दलीलों के बाद यह कोई सामग्री आरोपी के खिलाफ स्पष्ट नहीं होती। एसजी ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट ने दो गवाह के बयान लिए हैं।
हाईकोर्ट में 19 सितंबर को होनी है तीस्ता की अर्जी पर सुनवाई
गिरफ्तारी के बाद तीस्ता सेतलवाड़ ने अहमदाबाद की अदालत में अर्जी डाली थी, जहां से बेल नहीं मिल पाई थी। इसके बाद उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसने नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तारीख दी थी। इसके बाद तीस्ता सेतलवाड़ ने जमानत की मांग के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया।
इससे पहले, 30 जुलाई को, सत्र न्यायालय ने सेतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था। एचसी ने बदले में 3 अगस्त को मामले में नोटिस जारी किया, लेकिन सुनवाई 19 सितंबर के लिए निर्धारित की। अदालत ने इस अवधि के दौरान सेतलवाड़ को कोई अंतरिम राहत नहीं दी। इस प्रकार, वह एससी चली गईं। इस बिंदु पर, यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि अहमदाबाद अपराध शाखा, जिसने सेतलवाड़ से हिरासत में पूछताछ की थी, ने भी जुलाई के मध्य में स्थानीय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था कि उनसे हिरासत में पूछताछ की अब और आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज सेतलवाड़ को अंतरिम राहत देने की इच्छा व्यक्त की और यहां तक कि राज्य से जांच के "अवधि और दिशा" के बारे में भी पूछा। सुनवाई शुक्रवार दोपहर 2 बजे फिर से शुरू होगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 1 सितंबर को, पत्रकार, शिक्षाविद् और मानवाधिकार रक्षक तीस्ता सेतलवाड़ के खिलाफ आरोप पत्र के अभाव, जांच की अवधि और दिशा व गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा जमानत से संबंधित मामले में छह सप्ताह के लंबे स्थगन को लेकर टिप्पणियों की एक श्रृंखला में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे।
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, एस रवींद्र भट और सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने 30 अगस्त को स्थगित होने के बाद आज मामले की सुनवाई की। इसी बेंच ने पहले राज्य को याचिकाकर्ता के लंबे समय तक हिरासत में रहने के बारे में याद दिलाया था।
गुजरात दंगों के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ और धोखाधड़ी के आरोपों में करीब ढाई माह से जेल में बंद तीस्ता सेतलवाड़ पर एफआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। तीस्ता की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि गुजरात सरकार बताए कि तीस्ता पर किस आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। अदालत ने कहा कि तीस्ता सेतलवाड़ के खिलाफ आईपीसी की सामान्य धाराओं में ही मुकदमा दर्ज है। मामले में सुनवाई जारी है। कल शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी।
गुरुवार को तीस्ता सेतलवाड़ की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ एफआईआर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के आधार पर ही हुई है। उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीस्ता सेतलवाड़ के खिलाफ टिप्पणी की थी। अगले ही दिन उनके खिलाफ FIR दर्ज हो गई।
तीस्ता सेतलवाड़ की जमानत पर दोनों पक्षों ने जमकर दलीलें दीं। गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जमानत याचिका के खिलाफ दलीलें रखीं। मगर शीर्ष अदालत इससे संतुष्ट नहीं दिखी। तीस्ता की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने दलील देना शुरू किया तो SG तुषार मेहता ने कहा कि मेरी आपत्ति सीधे सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटाने की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ये कहना चाहते हैं कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के वकील एसजी तुषार मेहता से पूछा कि किन आधारों पर एफआईआर दर्ज हुई। क्या सामग्री है आपके पास? हिरासत के दौरान में पूछताछ में कुछ मिला? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य आईपीसी के आरोप हैं। ऐसे में जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए। खासतौर पर महिला के मामले में, जब कि करीब ढाई माह जेल में हो चुके हैं।
‘क्या यही है गुजरात हाई कोर्ट के काम करने का तरीका’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘क्या यह गुजरात हाई कोर्ट के काम करने का तरीका है?’ सीजेआई ने कहा कि वह महिला है और हाईकोर्ट को यह ध्यान रखना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने ज़मानत याचिका पर 3 अगस्त को नोटिस जारी किया था और 6 हफ्ते में जवाब मांगा था। क्या ज़मानत के मामले में जवाब दाखिल करने के लिए इतना समय दिया जाता है। सीजेआई ने कहा कि आपकी इन सब दलीलों के बाद यह कोई सामग्री आरोपी के खिलाफ स्पष्ट नहीं होती। एसजी ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट ने दो गवाह के बयान लिए हैं।
हाईकोर्ट में 19 सितंबर को होनी है तीस्ता की अर्जी पर सुनवाई
गिरफ्तारी के बाद तीस्ता सेतलवाड़ ने अहमदाबाद की अदालत में अर्जी डाली थी, जहां से बेल नहीं मिल पाई थी। इसके बाद उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसने नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तारीख दी थी। इसके बाद तीस्ता सेतलवाड़ ने जमानत की मांग के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया।
इससे पहले, 30 जुलाई को, सत्र न्यायालय ने सेतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था। एचसी ने बदले में 3 अगस्त को मामले में नोटिस जारी किया, लेकिन सुनवाई 19 सितंबर के लिए निर्धारित की। अदालत ने इस अवधि के दौरान सेतलवाड़ को कोई अंतरिम राहत नहीं दी। इस प्रकार, वह एससी चली गईं। इस बिंदु पर, यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि अहमदाबाद अपराध शाखा, जिसने सेतलवाड़ से हिरासत में पूछताछ की थी, ने भी जुलाई के मध्य में स्थानीय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था कि उनसे हिरासत में पूछताछ की अब और आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज सेतलवाड़ को अंतरिम राहत देने की इच्छा व्यक्त की और यहां तक कि राज्य से जांच के "अवधि और दिशा" के बारे में भी पूछा। सुनवाई शुक्रवार दोपहर 2 बजे फिर से शुरू होगी।
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