राजस्थान सरकार आवश्यक वस्तुओं और सरकारी सेवाओं में कालाबाजारी और बिचोलियों की भूमिका समाप्त करने में पूरी तरह से नाकाम रही है।
अदालत परिसरों में ही स्टाम्प विक्रेता आम जनता को ठगने में लगे हैं। रेवेन्यू टिकट और छोटे स्टाम्पों को महंगे दामों में बेच रहे हैं और कालाबाजारी कर रहे हैं।
(Courtesy: patrika.com)
अदालत परिसरों में समझौता पत्र, शपथ पत्र, पावर ऑफ अटॉर्नी, बैंकिंग कार्य आदि के लिए स्टाम्प खरीदने आने वालों को परेशान होना पड़ रहा है।
कोषालय से 10, 20, 50, 100 और इससे अधिक धनराशि के स्टाम्प वेंडरों को दिए जाते हैं और उन्हीं के जरिए स्टाम्पों की बिक्री की जाती है। पानी-बिजली कनेक्शन, लोन, प्रमाण पत्रों के लिए शपथ पत्र, किरायानामा, वसीयतनामा जैसे आवश्यक दस्तावेजों में 50, 100, 500 रुपए तक के स्टाम्प जरूरी होते हैं।
पत्रिका की खबर के अनुसार, 50 रुपए के स्टाम्प पर 20 प्रतिशत सरचार्ज जोडकऱ 60 रुपए सरकारी कीमत तय है, लेकिन जोधपुर में यही 60 रुपए के स्टाम्प 80 से 100 रुपए तक में बेचे जा रहे हैं। लगभग सभी स्टाम्प 20-30 प्रतिशत तक अधिक मूल्य पर खुलेआम बेचे जा रहे हैं।
किल्लत रेवेन्यू टिकटों की भी है जो वैसे तो डाकघरों में मिलते हैं, लेकिन डाकघरों में भी इनकी कमी रहती है इसलिए इनको भी वेंडर महंगे दामों पर बेचकर जनता को लूटते हैं।
जब से सरकार ने ई-स्टाम्प की बिक्री बंद कर दी है तब से तो स्टाम्प वेंडर्स और ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। प्रदेश में ई स्टाम्पिंग का काम भारत सरकार की कंपनी स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन को दे रखा है, लेकिन राज्य सरकार से इसका अनुबंध 21 जुलाई तक का ही था। इसके बाद राज्य सरकार ने अनुबंध आगे नहीं बढ़ाया। ई-स्टाम्प बंद होने के बाद स्टाम्प विक्रेताओं की मनमर्जी और ज्यादा बढ़ गई है।
अदालत परिसरों में ही स्टाम्प विक्रेता आम जनता को ठगने में लगे हैं। रेवेन्यू टिकट और छोटे स्टाम्पों को महंगे दामों में बेच रहे हैं और कालाबाजारी कर रहे हैं।
(Courtesy: patrika.com)
अदालत परिसरों में समझौता पत्र, शपथ पत्र, पावर ऑफ अटॉर्नी, बैंकिंग कार्य आदि के लिए स्टाम्प खरीदने आने वालों को परेशान होना पड़ रहा है।
कोषालय से 10, 20, 50, 100 और इससे अधिक धनराशि के स्टाम्प वेंडरों को दिए जाते हैं और उन्हीं के जरिए स्टाम्पों की बिक्री की जाती है। पानी-बिजली कनेक्शन, लोन, प्रमाण पत्रों के लिए शपथ पत्र, किरायानामा, वसीयतनामा जैसे आवश्यक दस्तावेजों में 50, 100, 500 रुपए तक के स्टाम्प जरूरी होते हैं।
पत्रिका की खबर के अनुसार, 50 रुपए के स्टाम्प पर 20 प्रतिशत सरचार्ज जोडकऱ 60 रुपए सरकारी कीमत तय है, लेकिन जोधपुर में यही 60 रुपए के स्टाम्प 80 से 100 रुपए तक में बेचे जा रहे हैं। लगभग सभी स्टाम्प 20-30 प्रतिशत तक अधिक मूल्य पर खुलेआम बेचे जा रहे हैं।
किल्लत रेवेन्यू टिकटों की भी है जो वैसे तो डाकघरों में मिलते हैं, लेकिन डाकघरों में भी इनकी कमी रहती है इसलिए इनको भी वेंडर महंगे दामों पर बेचकर जनता को लूटते हैं।
जब से सरकार ने ई-स्टाम्प की बिक्री बंद कर दी है तब से तो स्टाम्प वेंडर्स और ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। प्रदेश में ई स्टाम्पिंग का काम भारत सरकार की कंपनी स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन को दे रखा है, लेकिन राज्य सरकार से इसका अनुबंध 21 जुलाई तक का ही था। इसके बाद राज्य सरकार ने अनुबंध आगे नहीं बढ़ाया। ई-स्टाम्प बंद होने के बाद स्टाम्प विक्रेताओं की मनमर्जी और ज्यादा बढ़ गई है।