गरीब की आत्मा मुआवजे से तृप्त होती है न कि श्राद्ध के भोजन से

Written by sabrang india | Published on: July 5, 2019
साधो, पिछले दिनों मुम्बई में भारी बारिश के कारण दीवार गिर जाने से करीब सात लोग मर गए। बहुत से लोगों को दुख हुआ। मुझे भी हुआ। पर उनके मरने का कम, किसी अन्य परिस्थिति का ज्यादा। मेरा दुःख अलग था। मैं उन मरे हुए लोगों के परिजनों को मुआवजा न मिलने से दुखी था। साधो तुम कहोगे कि किसी के मरने का दुख होना चाहिए। मैं कहता हूं बेशक। पर साधो मैं उन बच्चों के बारे में सोचकर दुखी ज्यादा होता हूं जिनके पिता दीवार के नीचे दब गए। उन परिवारों के बारे में सोचकर परेशान हो जाता हूँ जिनका कमाने वाला दीवार के नीचे दब गया। 

साधो, भारत बहुत महंगाई वाला देश है। यहां शिक्षा बहुत महंगी है। स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हैं। मरा हुआ व्यक्ति मुआवजा दिलवा जाए तो परिवार बेहतर स्थिति में आ जाता है। पर मरने वाला कहाँ जानता है कि ऐसे दुर्घटना में मृत्यु होगी कि मुआवजा भी न मिलेगा।

साधो, मैं सोचता हूँ, मध्यम वर्ग या निम्न मध्यम वर्ग को छोटी घटनाओं में नहीं मरना चाहिए। उसे बड़ी घटनाओं में मरना चाहिए, मसलन ट्रेन हादसे में, बस के खाई में पलटने से। वह ऐसे मरे की राष्ट्रीय न्यूज़ बने। इस तरह की मौतों पर प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री मुआवजा देते हैं। दीवार गिरने से चार लोगों के मर जाने से शासन को फर्क नहीं पड़ता। ये आम मौतें हैं। आये दिनों सीवर में उतरे गटर साफ करते व्यक्ति के मरने की खबरें आती रहती हैं। उनके मरने के क्या मुआवजे हैं कोई नहीं जानता। कर्ज से त्रस्त किसान आत्महत्या करता है तो कभी कभार अखबार में कहीं कोने पर खबर के लिए जगह पा जाता है, मुआवजा नहीं। 

साधो, मैं कल्पना करता हूँ कि मुआवजे की घोषणा से पहले क्या होता होगा? मुआवजे का ऐलान किस तरह होता होगा? बड़ा अधिकारी कहता होगा- क्या कहते हो, मुआवजा दे दें?

छोटा कहता होगा-  चार ही तो मरे हैं। फलां न्यूज़ चैनल दस मौतें दिखा रहा था। पर उसपर हम कैसे भरोसा कर लें। वह तो हमेशा सरकार विरोधी चैनल रहा है। हमारे चैनल चार ही बता रहे हैं। 

फिर बड़ा अधिकारी कहता होगा- रहने देते हैं। मामला बढ़ेगा तो देखेंगे। 

साधो, मुआवजा संख्या की मोहताज है। मामला बढ़ जाता है तो मृत आत्मा तृप्त होती है। मुआवजा मिलने की संभावना बढ़ जाती है।  गरीब की आत्मा मुआवजे से तृप्त होती है, श्राद्ध के भोजन से नहीं।

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