लैटिन अमेरिकी देश पेरू में समाजवादी किसान व शिक्षक नेता पेड्रो कैस्टिलो की जीत के मायने

Written by Dr. Amrita Pathak | Published on: August 7, 2021
लैटिन अमेरिकी देश पेरू दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी भाग में फ़ैला हुआ एक तटीय देश है. वर्तमान में यह देश पिछले कुछ दिनों से चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल की वजह से सुर्ख़ियों में है. यह उत्तर में इक्वाडोर और कोलंबिया, पूर्व में ब्राजील, दक्षिण-पूर्व में बोलीविया, दक्षिण में चिली, और पश्चिम में प्रशांत महासागर से घिरा हुआ है. एंडीज़ पर्वत इस देश में प्रशांत महासागर के समानांतर स्थित है. पेरू राष्ट्रपति द्वारा शासित किया जाता है. स्वतंत्र पेरू के इतिहास में पहली बार किसी वामपंथी नेता को लोकतान्त्रिक तरीके से राष्ट्रपति पद के लिए जनादेश मिला है. पेड्रो कैस्टिलो पेशे से स्कूल शिक्षक रहे जो अपनी जिन्दगी में किसान और मजदूर भी रह चुके हैं. अपनी सादगी भरी जिन्दगी जीने के लिए मशहूर पेड्रो ने दक्षिणपंथी उम्मीदवार किको फ्युजीमोरी के ख़िलाफ़ बहुत ही कम अंतर से लेकिन स्पष्ट जीत दर्ज की. धन और मीडिया बल के ख़िलाफ़ इनकी यह जीत लैटिन अमेरिका में बढ़ रहे वामपंथी कारवां की एक कड़ी है. 



दक्षिणपंथी उम्मीदवार किकोफ्यूजीमोरी, भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में कैद पूर्व राष्ट्राध्यक्ष अल्बर्टोफ्यूजीमोरी की बेटी है. किकोफ्यूजीमोरी संकीर्णतावाद, पूंजीवाद व् कॉर्पोरेट व्यवस्था की घोर समर्थक हैं. पेड्रो कैस्टिलो जो पेरू लिब्रे (Free Peru) पार्टी से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार थे. उन्हें 51.0% वोट मिले वहीँ विरोधी कंजरवेटिव पार्टी पॉपुलर फ़ोर्स (Popular Force) से अध्यक्ष पद की उम्मीदवार किको फ्युजीमोरी को 49% वोट हासिल हुआ. 40 दिन पहले ही पेड्रो को विजयी घोषित कर दिया जाना चाहिए था. लेकिन कीको ने मतदान घोटाले का आरोप लगाया और ग्रामीण आदिवासी द्वारा दिए गए 200000 वोटों को ख़ारिज करने की कोशिश भी की. इसके लिए उन्होंने अपनी वकीलों की फौज लगा दी. लेकिन 40 दिन की न्यायिक सुनवाई के बाद आखिरकार पेड्रो को विजयी घोषित कर दिया गया.

किको के पिता जो एक तानाशाह भी थे, वे 1990 से 2000 तक पेरू देश पर अधिनायकवाद थोपते रहे. 1990 के दशक में अल्बर्टो माओवादियों के विद्रोह को कुचलने के लिए और संविधान बर्खास्त करने के लिए जाने जाते हैं. अभी 82 साल उम्र के अल्बर्टो जेल में मानवीय अधिकारों के उल्लंघन व भ्रष्टाचार के दोषी क़रार दिए जाने पर 25 साल की सजा काट रहे हैं. पेरू देश लगातार राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है. पिछले 5 साल में पेरू देश में चार अध्यक्ष और 2 कांग्रेस चुने गए. पिछले साल 9 दिनों में तीन राष्ट्रपति देश में आए. अब तक पेरू के तीन राष्ट्रपति भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए. अस्थिरता का लम्बा समय झेल चुके पेरू देश की जनता पेड्रो की जीत के साथ देश के राजनीतिक स्थिरता की तरफ़ बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं.

पेड्रो कैस्टिलो की पृष्ठभूमि 
पेड्रो समाजवादी विचारधारा को मानने वाले व्यक्ति हैं. उनका जन्म और पालन-पोषण पेरू के उत्तरी पहाड़ों में हुआ जो एंडियन हाइलैंड्स क्षेत्र है. उनके माता पिता अनपढ़ किसान थे. उन्होंने परिवार के साथ मिलकर खेतों में मजदूरी का काम किया. जमींदारों के किराए का भुगतान न कर पाने की स्थति में उनके द्वारा फ़सल को खेतों से उठाकर ले जाते हुए हालात भी उन्होंने देखे हैं. शिक्षा पूरी करने के लिए उन्होंने होटल में मजदूरी तक किया है. उतरी पेरू से विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी कर वे अपने गाँव में लौट आए जहाँ 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित थे व उस क्षेत्र में पानी व सफाई का आभाव था. 51 साल के पेड्रो ग्रामीण क्षेत्र में अध्यापक का काम करते थे. उन्होंने कभी भी कोई राजनीतिक पद नहीं संभाला था. चुनाव में पेड्रो का नारा था," No more poor people in rich Peru" 

पेरू की अर्थव्यवस्था 
कोरोना महामारी की वजह से पेरू देश में 2020 में 11.1% की जीडीपी में गिरावट हुई. 20 फ़ीसदी गिरावट रोजगार में पाई गई. पेड्रो कैस्टिलो के कुल कार्यकर्ता व समर्थक में से 70 फ़ीसदी मजदूर बेरोजगार हैं. गरीबी में 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी के साथ कुल 27 फ़ीसदी तक गरीबी पहुँच चुकी है. इसका मतलब है कि 20 लाख लोगों को गरीबी में धकेला गया. सार्वजनिक खर्चों में इजाफे के कारण सार्वजनिक कर जीडीपी का 35 फ़ीसदी तक पहुंचा. जैसे ही पेड्रो के जीत की खबर आई शेयर बाजार डर के मारे लुढ़क गया, विदेशी निवेशकों को डर है, उसके चलते वह पेरू देश में निवेश नहीं करेंगे.

पेड्रो कैस्टिलो और उनकी पार्टी पेरू लिब्रे का अगला उद्देश होगा संविधान में संशोधन. इससे पहले के सत्ता में बैठे तानाशाह राजनेताओं ने अपने सत्ता की पैरवी के लिए संविधान में बदलाव किए हैं. पेरू में संविधान के कई मूल्य सत्ता का केंद्रीकरण असमानता और नव उदारवाद का समर्थन करते थे.

पेड्रो के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कोरोना महामारी में जनता को राहत देना. पेरू देश दुनिया में कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में शामिल है. जाहिर है पेड्रो का लोकतान्त्रिक तरीके से चुन कर आना नव उदारवादी और नव उपनिवेशवादी अमेरिका सरकार को नागवार गुजरेगा. इसीलिए कदम-कदम पर पेड्रो को अमरिकी विदेश नीति का सामना करना पड़ेगा.

स्वास्थ्य व्यवस्था और कोरोना महामारी
दुनिया के अन्य देशों की तरह ही पेरू कोरोना महामारी की चपेट में है. सरकारी आंकड़े के अनुसार मई 2021 तक 62126 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हुई थी. अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी चल रही थी, लोगों को घर में इस्तेमाल के लिए दिए जा रहे ऑक्सीजन सिलेंडर 3 गुना ज्यादा कीमतों पर बिक रहे थे बाद में वह भी नसीब नहीं हुए.

कोरोना महामारी में लैटिन अमेरिकी देशों में गरीबी असमानता और शोषण बढ़ गया है. नव उदारवाद ने कोरोना को एक अवसर के रूप में देखा और सर्वहारा वर्ग का शोषण करने की नीतियां बनाई. एक तरफ लोग कोरोनावायरस से जूझ रहे थे और दूसरी तरफ वह आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे. लोगों के सामने यह स्पष्ट था कि नव उदारवाद की नीतियों की वजह से न उन्हें स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है ना ही रोजगार. लोगों के इसी गुस्से का सहारा लेकर नव उपनिवेशवाद वाली ताकतें प्रगतिशील या वामपंथी सरकारों के खिलाफ आग में घी डालकर भड़काने का काम करना चाहती थीं. जैसे कि क्यूबा, निकारागुआ और वेनेजुएला में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने किया. लेकिन यहाँ पर नव उदारवादी सरकार कोरोना महामारी में लोगों को न्याय ना दिला सकी और आरोपी के कटघरे में खड़ी हो गई. इसी के चलते कोलंबिया में सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक 10 लाख लोगों ने सड़क पर उतर कर आंदोलन किया. चिली में बहुत बड़ा आंदोलन हुआ जिसके परिणाम स्वरूप राजधानी सेंटियागो में एक वामपंथी मेयर इलेक्शन द्वारा चुना गया. 

पेरू की तीन करोड़ 42 लाख आबादी में से सिर्फ 6,35,147 लोगों को ही वैक्सिन के दो डोज दिए जा चुके हैं और 5,46,394 लोगों को एक डोज दिया गया है. अस्पताल कोरोनावायरस से ग्रस्त मरीज़ों से भरे पड़े हैं. बेड नहीं मिल रहे हैं. अर्थव्यवस्था 11.6 % तक लुढ़क गई. चुनाव में पेड्रो की जीत जरुर हुई है लेकिन देश हित में निर्णय लेना और बनाए गए नीतियों को लागू करवाना चुनी गयी पेड्रो सरकार के लिए एक चुनौती से कम नहीं होगा. 

इस चुनाव परिणाम ने पेरू को वर्ग और इलाकों के आधार पर दो भागों में बाँट दिया है. कॉर्पोरेट और अमीर वर्ग के लोग किको फ्युजीमोरी के समर्थन में थे जिन्होनें पेड्रो को हारने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत पकड़ नें पेड्रो कैस्टिलो को विजयी बनाया. पेड्रो नें जीत जरुर हासिल की है लेकिन उनका अंतर बहुत कम है. ऐसे में जाहिर है कि विपक्ष की गोलबंदी भी मजबूत रहेगी. इस बीच लोकतान्त्रिक तरीके से शासन करना और जनता से किए गए अपने वायदे को पूरा करना एक चुनौती से कम नहीं होगा. बावजूद इसके महत्वपूर्ण यह है कि जनता नें एक किसान व शिक्षक की नीतियों और उनके व्यक्तित्व पर भरोसा जताया है. 

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