चीन भेजी जा रही चंदन की लकड़ी ने रामदेव का भगवा के अंदर से सूटबूट दिखा दिया

Written by Girish Malviya | Published on: February 26, 2018
दो दिनों से यह खबर सुर्खियों में है कि DRI ने पतंजलि द्वारा चीन भेजी जा रही लाल चंदन की लकड़ियां जब्त कर ली हैं. DRI और कस्टम डिपार्टमेंट ने लाल चंदन की लकड़ियों के साथ लकड़ियां ले जा रहे पतंजलि के प्रतिनिधि के दस्तावेज और पासपोर्ट भी जब्त कर लिए हैं. बताया जा रहा है कि पतंजलि के पास ग्रेड-सी की चंदन की लकड़ियों के एक्सपोर्ट करने की इजाजत है. जबकि जब्त चन्दन ए और बी केटेगरी का है.




लेकिन पतंजलि के विज्ञापनो के लिए लार टपकाते हुए मीडिया ने इतना सा सवाल पूछने की जहमत नही उठाई कि बाबा रामदेव की कम्पनी जो मुख्यतः FMCG ओर हर्बल उत्पादों में डील कर रही है आखिर उसे चीन को चंदन एक्सपोर्ट करने में क्या रुचि हो सकती है खुद पतंजलि स्वीकार कर रही है कि हमने आज से पहले कभी चंदन एक्सपोर्ट नहीं किया है तो इस चन्दन को विदेश भेजे जाने में पतंजलि जैसी कम्पनी की क्या रूचि हो सकती है जबकि उसकी कोई हर्बल फैक्टरी चीन में नही चल रही है

दरअसल कहानी शुरू होती है 2016 से जब सरकार ने अप्रत्याशित रूप से लाल चन्दन की लकड़ी को लॉग यानी लट्ठे के रूप मे निर्यात करने के नियमों में राहत देने का फैसला किया था। इस दुर्लभ किस्म की लकड़ी का इस्तेमाल औषधियों और पूजा-अर्चना में होता है और इसके निर्यात पर खासी सख्ती रहती है दुर्लभ प्रजाति के लाल चंदन का अस्तित्व मिटने के कगार पर जा पहुंचा है. इसलिए इसे संकटापन्न वनस्पतियों में शुमार किया गया है. संकटग्रस्त प्रजातियों में व्यापार संधि के तहत संरक्षित किया गया है.

लेकिन इसके बावजूद विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा था कि महाराष्ट्र और तमिलनाडु सरकारों के माध्यम से 383.13 टन लाल चंदन की लकड़ी लट्ठे के रूप में निर्यात करने के लिए पाबंदी में ढील दी गई है। इन लकड़ियों के निर्यात के तौर तरीके को अंतिम रूप देने और प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए आंध्रप्रदेश को 30 अप्रैल, 2019 तक का समय दिया गया था लेकिन उसके पहले ही यह खेप पकड़ी गयी

पुलिस का शिकार बनने से पूर्व कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का अभयारण्य आंध्र प्रदेश के जंगल ही हुआ करते थे. ये जंगल दुलर्भ और बेशकीमती लाल चंदन के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं. यह इलाका तस्करों के लिए स्वर्ग माना जाता था

इस कारोबार के पीछे नेताओं, अधिकारियों, पुलिस और अवैध कारोबारियों का बाकायदा एक पूरा समानांतर तंत्र ही वजूद में आ गया है पिछले साल आंध्र प्रदेश के शेषाचलम के जंगलों में हाल में 20 लोगों के मारे जाने की कहानी ऐसी कहानी है, जिसमें धन का लालच, अस्तित्व बचाए रखने का संघर्ष और प्रशासन की बेरुखी शामिल हैं

चंद्रबाबू नायडू द्वारा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद से ही आंध्र प्रदेश पुलिस और वन विभाग ने 'व्यापक स्तर पर' लाल चंदन की लकड़ी के तस्करों के खिलाफ धरपकड़ अभियान शुरू किया था ओर उनसे जब्त लाल चंदन की लकड़ी को नीलामी में बेच दिया गया ओर दिखाने के लिए इसी माल को पतंजलि ने सरकारी नीलामी में खरीद लिया

लेकिन इस सारे खेल में पतंजलि जैसी बड़ी कम्पनी क्यो कूद पड़ी यह समझ के बाहर की बात है चीन में इस लाल चंदन की लकड़ी के बड़े खरीददार मौजूद है शायद उन्होंने ही पतंजलि के मौजूदा सत्तासीन नेताओं के बेहतर सम्बन्धो के कारण पतंजलि को इस निर्यात के लिए राजी किया होगा और पतंजलि को भी इस निर्यात में मोटा मुनाफा कूटने का मौका दिखा होगा

विदेश व्यापार के महानिदेशक ने पहले अधिसूचना जारी करते हुए सरकार को यह अनुमति दी थी कि वह राज्य सरकार के पास जब्त भंडार में में 8,584 टन लाल चंदन लकड़ी को लट्ठों के रूप में निर्यात कर दे दूसरे चरण में 3,500 टन लकड़ी को नीलामी के लिए रखा गया था जिसमे ‘सी’ ग्रेड की सिर्फ 840 टन लकड़ी ही बिक पाई। सरकार को मात्र 178 करोड़ रूपए प्राप्त हुए बताया जा रहा है कि इसी सी ग्रेड लकड़ी के निर्यात का बहाना बना कर उच्च किस्म की ए ओर बी ग्रेड की लकड़ी को निर्यात किया जा रहा था जिसका निर्यात प्रतिबंधित है

जैसा कि डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) के सूत्र बता रहे हैं कि पतंजलि कंपनी की खेप में सुपीरियर ग्रेड की चंदन की लकड़ी होने का शक है उन्होंने कहा उसने दोयम दर्जे की चंदन की लकड़ी एक्सपोर्ट करने की इजाजत मांगी थी। हमारे पास यह मानने की वजह है कि दोयम दर्जे की चंदन की लकड़ियों के साथ कुछ सुपीरियर क्वॉलिटी वाली लकड़ी भी एक्सपोर्ट की जा रही है। हमने जांच पूरी होने तक एक्सपोर्ट रोके रखने के लिए कहा हैं

अब कोर्ट का फैसला जो भी आये वो अलग बात है लेकिन एक बात तो साबित हो गयी है कि बाबा रामदेव की पतंजलि कम्पनी जो बात बात में राष्ट्रवादी होने का दम भरती है वह मुनाफाखोरी के लालच में राष्ट्र की बहुमुल्य जैविक सम्पदा को चीन जैसे देश को निर्यात करने में जरा भी नही हिचकती, यह नंगा लालच अब पतंजलि की हकीकत बन चुका है

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