यूपी: मिड-डे मील रसोइयों को 7,500 रुपये मिले, लेकिन तीन माह का वेतन अभी बाकी

Written by Sabrangindia Staff | Published on: November 12, 2021
वाराणसी के स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि उन्हें जो फंड मिला था उससे वे मिड डे मील रसोइयों के सिर्फ पांच महीने के वेतन का भुगतान कर सकते थे 


Image Courtesy: indiatoday.in
 
मध्याह्न भोजन रसोइयों के आठ महीने के लंबित वेतन को देने के सरकार के बार-बार के वादे के बाद, वाराणसी के श्रमिकों ने 11 नवंबर, 2021 को कहा कि उन्हें केवल 7,500 रुपये मिले जो पांच महीने का वेतन है।
 
वयोवृद्ध रसोइया लक्ष्मी ने गुरुवार को राहत की सांस ली जब उनके बैंक खाते में आखिरकार पैसे जमा हो गए। अफसोस की बात है कि उनकी खुशी क्षणिक थी जब उन्हें पता चला कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आठ महीने के बजाय केवल पांच महीने के काम का वेतन भेजा है।
 
लक्ष्मी ने सबरंगइंडिया को बताया, “मैंने आज सुबह अपने खाते की जाँच की और मैंने देखा कि मुझे कुछ पैसे मिले हैं। लेकिन यह पूरी राशि नहीं है जो मुझे मिलनी चाहिए।”
 
उसकी खबर ने विशेष रूप से उसके सहयोगियों को भ्रमित कर दिया है, जिन्होंने कहा कि उन्हें अपने खातों से ऐसी कोई सूचना या अपडेट नहीं मिला है। चोलापुर प्रखंड के सरकारी प्राथमिक विद्यालय महौलीपुर में पांच रसोइयों के हर घर में दो से छह बच्चे हैं जिनको पैसे की सख्त जरूरत है। हालांकि, मध्याह्न भोजन प्राधिकरण (एमडीएमए) वाराणसी एडी (बी) किशोर के अनुसार, स्कूल विभाग के पास श्रमिकों को लंबित धन का भुगतान करने के लिए और धन नहीं है।
 
उन्होंने कहा, “हमें ये फंड कुछ दिन पहले मिले और तुरंत लोगों के बीच बांट दिए। सभी रसोइयों को जल्द ही उनकी मजदूरी मिल जाएगी लेकिन अभी और पैसा नहीं है। हम पैसे के अगले आवंटन का इंतजार कर रहे हैं।”
 
फरवरी के बाद से, राज्य के 3.95 लाख मिड डे मील रसोइये अपने आठ माह के पूरे 12000 रुपये के भुगतान की मांग कर रहे हैं। प्रति दिन के काम के हिसाब से देखा जाए तो उन्हें लगभग छह घंटे के बदले 50 रुपये मिलते हैं जो कि नरेगा मजदूरों की एक दिन की दिहाड़ी का एक चौथाई है। रसोइये के रूप में काम करने वाली ये महिलाएं 2017 से ही अपनी नौकरी की सुरक्षा व बेहतर मानदेय के लिए आवाज उठा रही हैं। 

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