मणिपुर में तीन महीने से जारी हिंसा के बीच मणिपुर सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सदस्य कुकी पीपुल्स एलायंस ने घोषणा की है कि वह एन.बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले रही है। मणिपुर सरकार में पार्टी के दो विधायक शामिल हैं।
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नई दिल्ली: मणिपुर सरकार के गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सदस्य कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) ने रविवार को घोषणा की कि वह एन. बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले रही है। मणिपुर सरकार में पार्टी के दो विधायक शामिल हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, केपीए अध्यक्ष टोंगमांग हाओकिप ने रविवार शाम एक बयान में कहा, ‘मौजूदा टकराव पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार को समर्थन देना अब निरर्थक नहीं है। इसलिए, केपीए का मणिपुर सरकार को समर्थन वापस ले लिया गया है।’
वर्तमान में मणिपुर विधानसभा में केपीए के दो विधायक- किमनेओ हैंगशिंग और चिनलुनथांग हैं, जो क्रमशः सैकुल और सिंगत विधानसभा सीटों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
केपीए एक नई पार्टी है, जिसका गठन 2022 में हुआ था और उसी साल इसने अपना पहला चुनाव लड़ा था। पार्टी के सदस्य बीते जुलाई में दिल्ली में हुई एनडीए बैठक में शामिल हुए थे।
ज्ञात हो कि मणिपुर विधानसभा में आठ अन्य कुकी विधायक भी हैं, जो सभी भाजपा से हैं। हालांकि, राज्य में तीन महीनों से जारी जातीय संघर्ष से निपटने के लिए मुख्यमंत्री की खुले तौर पर आलोचना के बावजूद वे अब भी सरकार का हिस्सा बने हुए हैं। इससे पहले सभी 10 कुकी विधायकों ने केंद्र सरकार से भारतीय संविधान के तहत एक अलग प्रशासन बनाने और उनके समुदाय के लोगों को ‘मणिपुर राज्य के साथ पड़ोसियों के रूप में शांति से रहने’ देने का आग्रह किया था।
मणिपुर विधानसभा की बैठक 21 अगस्त को होनी है। चूड़ाचांदपुर से भाजपा विधायक एलएम. खौटे ने पहले ही कह चुके हैं कि वे मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए सत्र में भाग नहीं ले सकेंगे।
मणिपुर में 3 मई को भड़के जातीय संघर्ष को तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है और हिंसा कम होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। शनिवार को हिंसा के ताजा दौर में छह लोग मारे गए, जिसके कारण केंद्र सरकार को राज्य में 800 अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षाकर्मी भेजने पड़े।
जहां कुकी समूह लगातार बीरेन सिंह सरकार को अपने लोगों की रक्षा करने में विफल रहने और यहां तक कि हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं, वहीं मैतेई समूहों ने भी खुले तौर पर मुख्यमंत्री के प्रति अपनी नाखुशी व्यक्त की है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, मैतेई संगठनों का अम्ब्रेला संगठन- कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI), जो अब तक बीरेन सिंह सरकार का समर्थन कर रहा था, यहां तक कि पहले मुख्यमंत्री से इस्तीफा न देने का आग्रह भी कर चुका है, ने अब उन्हीं की सरकार के खिलाफ ‘अनिश्चितकालीन सामाजिक बहिष्कार’ की अपील जारी की है।
संगठन ने कहा, ‘हिंसा में वापस इसलिए हो रही है क्योंकि राज्य सरकार ‘चिन कुकी नार्को आतंकवादियों’ के खिलाफ कार्रवाई की नागरिक समाज समूहों की मांग पर ध्यान नहीं दे रही है।’ इसने हिंसा को लेकर विशेष विधानसभा सत्र बुलाने में विफल रहने के लिए भी सरकार की आलोचना की।
उल्लेखनीय है कि तीन मई से राज्य में हिंसा शुरू हुई थी। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा बीते दिनों जारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा में 181 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुकी लोगों की संख्या 113 है, जबकि मैतेई समुदाय के मृतकों की संख्या 62 है। (इसमें बीते सप्ताह हुई हिंसा में हुई मौतों की संख्या शामिल नहीं है।) बताया गया है कि अब तक राज्य से 50,000 के करीब लोग विस्थापित हुए हैं।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं।
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मैतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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नई दिल्ली: मणिपुर सरकार के गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सदस्य कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) ने रविवार को घोषणा की कि वह एन. बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले रही है। मणिपुर सरकार में पार्टी के दो विधायक शामिल हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, केपीए अध्यक्ष टोंगमांग हाओकिप ने रविवार शाम एक बयान में कहा, ‘मौजूदा टकराव पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार को समर्थन देना अब निरर्थक नहीं है। इसलिए, केपीए का मणिपुर सरकार को समर्थन वापस ले लिया गया है।’
वर्तमान में मणिपुर विधानसभा में केपीए के दो विधायक- किमनेओ हैंगशिंग और चिनलुनथांग हैं, जो क्रमशः सैकुल और सिंगत विधानसभा सीटों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
केपीए एक नई पार्टी है, जिसका गठन 2022 में हुआ था और उसी साल इसने अपना पहला चुनाव लड़ा था। पार्टी के सदस्य बीते जुलाई में दिल्ली में हुई एनडीए बैठक में शामिल हुए थे।
ज्ञात हो कि मणिपुर विधानसभा में आठ अन्य कुकी विधायक भी हैं, जो सभी भाजपा से हैं। हालांकि, राज्य में तीन महीनों से जारी जातीय संघर्ष से निपटने के लिए मुख्यमंत्री की खुले तौर पर आलोचना के बावजूद वे अब भी सरकार का हिस्सा बने हुए हैं। इससे पहले सभी 10 कुकी विधायकों ने केंद्र सरकार से भारतीय संविधान के तहत एक अलग प्रशासन बनाने और उनके समुदाय के लोगों को ‘मणिपुर राज्य के साथ पड़ोसियों के रूप में शांति से रहने’ देने का आग्रह किया था।
मणिपुर विधानसभा की बैठक 21 अगस्त को होनी है। चूड़ाचांदपुर से भाजपा विधायक एलएम. खौटे ने पहले ही कह चुके हैं कि वे मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए सत्र में भाग नहीं ले सकेंगे।
मणिपुर में 3 मई को भड़के जातीय संघर्ष को तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है और हिंसा कम होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। शनिवार को हिंसा के ताजा दौर में छह लोग मारे गए, जिसके कारण केंद्र सरकार को राज्य में 800 अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षाकर्मी भेजने पड़े।
जहां कुकी समूह लगातार बीरेन सिंह सरकार को अपने लोगों की रक्षा करने में विफल रहने और यहां तक कि हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं, वहीं मैतेई समूहों ने भी खुले तौर पर मुख्यमंत्री के प्रति अपनी नाखुशी व्यक्त की है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, मैतेई संगठनों का अम्ब्रेला संगठन- कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI), जो अब तक बीरेन सिंह सरकार का समर्थन कर रहा था, यहां तक कि पहले मुख्यमंत्री से इस्तीफा न देने का आग्रह भी कर चुका है, ने अब उन्हीं की सरकार के खिलाफ ‘अनिश्चितकालीन सामाजिक बहिष्कार’ की अपील जारी की है।
संगठन ने कहा, ‘हिंसा में वापस इसलिए हो रही है क्योंकि राज्य सरकार ‘चिन कुकी नार्को आतंकवादियों’ के खिलाफ कार्रवाई की नागरिक समाज समूहों की मांग पर ध्यान नहीं दे रही है।’ इसने हिंसा को लेकर विशेष विधानसभा सत्र बुलाने में विफल रहने के लिए भी सरकार की आलोचना की।
उल्लेखनीय है कि तीन मई से राज्य में हिंसा शुरू हुई थी। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा बीते दिनों जारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा में 181 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुकी लोगों की संख्या 113 है, जबकि मैतेई समुदाय के मृतकों की संख्या 62 है। (इसमें बीते सप्ताह हुई हिंसा में हुई मौतों की संख्या शामिल नहीं है।) बताया गया है कि अब तक राज्य से 50,000 के करीब लोग विस्थापित हुए हैं।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं।
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मैतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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