मणिपुर में महिला उत्पीड़न पर लखीमपुर-चित्रकूट से सोनभद्र तक सड़कों पर गूंजे इंकलाब ज़िंदाबाद के नारे

Written by Navnish Kumar | Published on: August 1, 2023
मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर तराई क्षेत्र (लखीमपुर) से लेकर बुंदेलखंड (चित्रकूट) और कैमूर बेल्ट (सोनभद्र) के आदिवासी हलकों में खासा उबाल देखने को मिल रहा है। खासकर महिलाओं में भारी रोष है। मंगलवार को इन सभी क्षेत्रों में अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन और ग्राम वनाधिकार समितियों के बैनर तले महिला शक्ति भारी संख्या में सड़कों पर उतरीं और महिला उत्पीड़न बंद करो, महिला शक्ति जिंदाबाद, इंकलाब ज़िंदाबाद आदि नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया और महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन में मणिपुर सरकार को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किए जाने, हिंसा में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से शामिल दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के साथ भारत में आधी आबादी (महिलाओं) की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग की।



खास है कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना ने पूरी मानवता को शर्मसार करने का काम किया है। घटना से देश भर में आक्रोश है और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। मणिपुर की घटना को विपक्ष संसद में भी मुद्दा बना रहा है। इसी कड़ी में मंगलवार को तराई में लखीमपुर, बुंदेलखंड के चित्रकूट और कैमूर क्षेत्र के सोनभद्र में आदिवासी महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर, बैनर तख्ती के साथ जोरदार प्रदर्शन किया और कानून व्यवस्था पर नियंत्रण खो चुकी मणिपुर की बिरेन सिंह सरकार को तुरंत बर्खास्त किए जाने और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की मांग की।  

इस दौरान महिलाओं ने इंकलाब ज़िंदाबाद, महिला शक्ति ज़िंदाबाद, महिलाओं का उत्पीड़न बंद करो- आदिवासियों का उत्पीड़न बंद करो के साथ-साथ वनाधिकार कानून लागू करने आदि के भी नारे लगाए। दरअसल आदिवासी हलकों में पूरी समस्या को जंगल जमीन पर कब्जा करने के तौर पर ही देखा जा रहा है। यही कारण है कि महिलाओं ने वनाधिकार कानून लागू करने और 'जंगल अपने आप का, नहीं किसी के बाप का' आदि को लेकर भी नारेबाजी की। यही नहीं, महिलाओं ने केंद्र की मोदी सरकार की भी जमकर खबर ली।

सोनभद्र और चित्रकूट में महिला पुरुषों ने बड़ी संख्या में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच धरना प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन में मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे हत्या बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को निंदनीय और दुखदाई बताया। वक्ताओं में यूनियन अध्यक्ष सुकालो गोंड, मातादयाल, रानी, राजकुमारी आदि ने कहा कि मणिपुर की घटना की जितनी निंदा की जाए, कम है। अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन इसकी घोर निंदा करती है। कहा ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

मणिपुर में गृहयुद्ध के हालात के पीछे जंगल जमीन पर कब्जे की लड़ाई!

अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के अनुसार, मणिपुर में बनते जा रहे गृहयुद्ध के हालात के पीछे जंगल जमीन पर कब्जे की लड़ाई है! ज्ञापन में कहा कि हिंसा को सरकारी शह से मणिपुर में माहौल इस कदर बिगड़ चुका है कि मैतेई हिंदू और कुकी आदिवासी दुश्मन देशों की तरह आमने सामने आ खड़े हुए हैं। हालात गृह युद्ध की ओर अग्रसर है। हम, अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन (AIUFWP), इसकी निंदा और भर्त्सना करते है। हमारा पुरजोर कथन है कि जंगल-जमीन पर आदिवासियों का सार्वभौमिक अधिकार है। राज्य द्वारा इसकी रक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

मणिपुर में जंगल-जमीन का विवाद बहुत पुराना है लेकिन इतनी वीभत्स हिंसा कभी नहीं हुई कि महिलाओं को नग्न कर, उनके जन्नांगो को छूते हुए, बेआबरू कर, उनकी सार्वजनिक नुमाइश की गई हो। इसके लिए राज्य के साथ केंद्रीय सरकार भी अपनी जिम्मेवारी से नहीं भाग सकती हैं। केंद्रीय सरकार को सांसदों और विपक्ष को साथ लेकर प्रभावी हस्तक्षेप करने की जरूरत है।

दरअसल, मणिपुर में 3 माह से जारी जातीय हिंसा के पीछे असल विवाद, पहाड़ों और जंगलों पर कब्जे की साज़िश का है। बेशकीमती धातुओं और खनिजों की लूट के लिए खनन लॉबी (क्रोनी कारपोरेट), सरकार/वन विभाग और राजनीतिक लाभों के लिए, आदिवासियों के सार्वभौमिक अधिकारों को झुठलाने की कोशिशों  की यह एक अनकही कहानी है। 




मणिपुर हिंसा के विरोध में महिलाओं का प्रदर्शन

मणिपुर में कुकी आदिवासियों के गावों और घरों में आग लगाने और उनकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर बलात्कार करने की घटनाएं 3 माह से लगातार जारी हैं जो कि सरकार की  नाकामी है। यही नहीं, मणिपुर के बीजेपी विधायकों तक ने भी सार्वजनिक रूप से बिरेन सिंह सरकार पर आरोप लगाया है कि शासन की शह पर ही ये हिंसा हो रही हैं। उधर मैतेई समुदाय के एक विधायक ने करण थापर को दिये गए इंटरव्यू में कहा है कि अबकी बार कुकी लोग हमारे हमले से नहीं बच पाएंगे! प्रमोद सिंह नामक नेता ने ईसाई समुदाय का नरसंहार करने का इरादा जताया है। लेकिन इतने सब के बावजूद, केंद्रीय सरकार मौन ओढ़े हुए हैं। 

कहा मणिपुर में मानवता की हत्या और आदिवासी महिलाओं की मर्मभेदी चीत्कार से पूरा देश मर्माहत है। ... इन गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए महामहिम राष्ट्रपति महोदया से प्रभावी हस्तक्षेप अपेक्षित ही नहीं, नितांत आवश्यकीय भी है।

ये रखी हैं मांग

1. मणिपुर राज्य सरकार को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाए।
2. इस कृत्य में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सभी दोषियों को तुरंत कड़ी से कड़ी सजा हो।
3. भारत में आधी आबादी (महिलाओं) की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
4. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को पद मुक्त किया जाए।
5. महिलाओं को धर्म/जाति/वर्ग में न बांटा जाए, क्योंकि सबसे पहले वह एक महिला है।
6. महिलाओं के विरुद्ध संगठित हिंसा को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग करते हैं।

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