विश्व मेईतेई परिषद का कहना है कि सीएम एन बीरेन सिंह हिंसा के 17 महीने बाद भी राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में असफल रहे हैं।
साभार : सोशल मीडिया एक्स
मणिपुर के मेईतेई समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को हटाने की मांग की है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व मेईतेई परिषद का कहना है कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह हिंसा के 17 महीने बाद भी राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में असमर्थ हैं। संगठन ने उम्मीद जताई है कि नए नेता के नेतृत्व में मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति की वापसी हो सकती है।
ज्ञात हो कि सीएम एन. बीरेन सिंह खुद ही मेईतेई समाज से हैं। ऐसे में विश्व मणिपुर परिषद ने बीते साल 3 मई को राज्य में भड़की हिंसा के लिए सीएम द्वारा जिम्मेदारी न लेने की भी आलोचना की है।
संगठन ने आगे कहा कि लोकतंत्रिक ढांचे में जवाबदेही सत्ता में बैठी सरकार के शीर्ष नेतृत्व यानी मुख्यमंत्री के पास होती है और अगर वे सरकार चलाने में विफल हो रहे हैं तो उन्हें इस्तीफा देकर दूसरे को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए।
पीएम को लिखे पत्र में ये भी कहा गया है कि मौजूदा मुख्यमंत्री की अक्षमता के कारण मणिपुर के लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। लोग अपनी ही धरती पर शरणार्थी बन गए हैं। क्या वे ऐसी सरकार के हकदार नहीं हैं जो जवाबदेह और जिम्मेदार हो।
बता दें कि इस मांग से पहले भी मणिपुर में 19 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों ने सीएम बीरेन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उनके इस्तीफे की मांग की थी।
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, 15 अक्टूबर को दिल्ली में हुई बैठक के बाद विधायकों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए एक पत्र कहा गया कि मुख्यमंत्री बदलना ही राज्य में हिंसा रोकने का एकमात्र रास्ता है, सिर्फ सुरक्षा बलों की तैनाती से कुछ नहीं होगा।
इन विधायकों ने कहा था कि मणिपुर की जनता अब भाजपा सरकार पर सवाल खड़े कर रही है और जनता का भरोसा खत्म हो रहा है। लोग राज्य में शांति और सामान्य स्थिति चाहते हैं। पत्र में मणिपुर के मौजूदा मुख्यमंत्री पर हिंसा रोकने में असफल रहने की भी बात कही गई। उन पर से जनता का भरोसा टूटा है। ऐसे में वे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में ये भी कहा गया कि ये संघर्ष जितना लंबा चलेगा, एक राष्ट्र के रूप में भारत को उतना ही ज्यादा नुकसान होगा। केवल बातचीत और सकारात्मक पहल से ही इस तनाव को कम किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि पिछले साल 3 मई को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच भड़की हिंसा में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस सीमावर्ती राज्य में करीब 60,000 लोग अब तक विस्थापित हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर लोग अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। इसके बाद से कई लोग अपने-अपने क्षेत्र छोड़कर मिजोरम, असम और मेघालय चले गए हैं।
साल भर से अधिक समय से चल रहे इस जातीय संघर्ष की जांच के लिए गठित आयोग को नवंबर 2023 से छह महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आयोग से 20 नवंबर 2024 से पहले रिपोर्ट देने को कहा है।
साभार : सोशल मीडिया एक्स
मणिपुर के मेईतेई समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को हटाने की मांग की है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व मेईतेई परिषद का कहना है कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह हिंसा के 17 महीने बाद भी राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में असमर्थ हैं। संगठन ने उम्मीद जताई है कि नए नेता के नेतृत्व में मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति की वापसी हो सकती है।
ज्ञात हो कि सीएम एन. बीरेन सिंह खुद ही मेईतेई समाज से हैं। ऐसे में विश्व मणिपुर परिषद ने बीते साल 3 मई को राज्य में भड़की हिंसा के लिए सीएम द्वारा जिम्मेदारी न लेने की भी आलोचना की है।
संगठन ने आगे कहा कि लोकतंत्रिक ढांचे में जवाबदेही सत्ता में बैठी सरकार के शीर्ष नेतृत्व यानी मुख्यमंत्री के पास होती है और अगर वे सरकार चलाने में विफल हो रहे हैं तो उन्हें इस्तीफा देकर दूसरे को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए।
पीएम को लिखे पत्र में ये भी कहा गया है कि मौजूदा मुख्यमंत्री की अक्षमता के कारण मणिपुर के लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। लोग अपनी ही धरती पर शरणार्थी बन गए हैं। क्या वे ऐसी सरकार के हकदार नहीं हैं जो जवाबदेह और जिम्मेदार हो।
बता दें कि इस मांग से पहले भी मणिपुर में 19 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों ने सीएम बीरेन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उनके इस्तीफे की मांग की थी।
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, 15 अक्टूबर को दिल्ली में हुई बैठक के बाद विधायकों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए एक पत्र कहा गया कि मुख्यमंत्री बदलना ही राज्य में हिंसा रोकने का एकमात्र रास्ता है, सिर्फ सुरक्षा बलों की तैनाती से कुछ नहीं होगा।
इन विधायकों ने कहा था कि मणिपुर की जनता अब भाजपा सरकार पर सवाल खड़े कर रही है और जनता का भरोसा खत्म हो रहा है। लोग राज्य में शांति और सामान्य स्थिति चाहते हैं। पत्र में मणिपुर के मौजूदा मुख्यमंत्री पर हिंसा रोकने में असफल रहने की भी बात कही गई। उन पर से जनता का भरोसा टूटा है। ऐसे में वे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में ये भी कहा गया कि ये संघर्ष जितना लंबा चलेगा, एक राष्ट्र के रूप में भारत को उतना ही ज्यादा नुकसान होगा। केवल बातचीत और सकारात्मक पहल से ही इस तनाव को कम किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि पिछले साल 3 मई को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच भड़की हिंसा में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस सीमावर्ती राज्य में करीब 60,000 लोग अब तक विस्थापित हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर लोग अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। इसके बाद से कई लोग अपने-अपने क्षेत्र छोड़कर मिजोरम, असम और मेघालय चले गए हैं।
साल भर से अधिक समय से चल रहे इस जातीय संघर्ष की जांच के लिए गठित आयोग को नवंबर 2023 से छह महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आयोग से 20 नवंबर 2024 से पहले रिपोर्ट देने को कहा है।