किसानों के ऊपर गोली चलवाकर बदनाम हुई शिवराज सिंह चौहान की सरकार अब जांच आयोग की रिपोर्ट से डर गई है। मंदसौर गोलीकांड की जांच कर रहे जस्टिस जेके जैन की अध्यक्षता में बने आयोग की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने से सरकार ने मना करके इसका सबूत दे दिया है।
![Mandsaur Firing](/sites/default/files/indore_hc_jain_comission_report_2018920_92417_20_09_2018.jpg?822)
सरकार ने कोर्ट में कहा है कि ये रिपोर्ट गोपनीय है इसलिए इसे विधानसभा के पटल पर तो रखा जाएगा लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
नईदुनिया की खबर के अनुसार, गोलीकांड में मारे गए लोगों के परिजनों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि जैन आयोग की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि आयोग ने अलग-अलग पक्षकारों के बयान लेते हुए विस्तृत जांच की थी, इसलिए रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाएगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर में पुलिस की गोली से 5 लोगों की मौत हो गई थी। इन सभी के परिजनों के गुस्से को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री ने एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया था।
इस गोलीकांड को लेकर शिवराज की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं क्योंकि इसको लेकर 6 याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री ने मुआवजे की घोषणा से पहले यह तक नहीं जाना कि मारे गए लोगों की आंदोलन में भूमिका क्या थी।
याचिकाकर्ता दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग कर रहे हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर कोर्ट में पेश हुए हैं। अगली सुनवाई सप्ताह भर बाद होगी।
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सरकार ने कोर्ट में कहा है कि ये रिपोर्ट गोपनीय है इसलिए इसे विधानसभा के पटल पर तो रखा जाएगा लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
नईदुनिया की खबर के अनुसार, गोलीकांड में मारे गए लोगों के परिजनों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि जैन आयोग की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि आयोग ने अलग-अलग पक्षकारों के बयान लेते हुए विस्तृत जांच की थी, इसलिए रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाएगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर में पुलिस की गोली से 5 लोगों की मौत हो गई थी। इन सभी के परिजनों के गुस्से को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री ने एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया था।
इस गोलीकांड को लेकर शिवराज की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं क्योंकि इसको लेकर 6 याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री ने मुआवजे की घोषणा से पहले यह तक नहीं जाना कि मारे गए लोगों की आंदोलन में भूमिका क्या थी।
याचिकाकर्ता दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग कर रहे हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर कोर्ट में पेश हुए हैं। अगली सुनवाई सप्ताह भर बाद होगी।