मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को मतदान होना है, लेकिन भाजपा के बागियों ने कई सीटों पर उसकी हालत खराब कर दी है। हालात ये हैं कि कई सीटों पर ये बागी नहीं, बल्कि भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार ही वोटकटवा माने जा रहे हैं।
जिन चर्चित सीटों पर बागियों ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को कड़ी चुनौती दी है, उनमें दमोह जिले की दमोह और पथरिया सीटें शामिल हैं। पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया का टिकट कटा तो उन्होंने खुद निर्दलीय ही पथरिया से लड़ने का ऐलान किया। इतना ही नहीं, वित्तमंत्री जयंत मलैया की सीट दमोह से भी उन्होंने लड़ने की ठान ली। अब स्थिति ये है कि दोनों सीटों पर भाजपा काफी पिछड़ गई है।
कुछ ऐसा ही हाल बुरहानपुर विधानसभा सीट का है जहां भाजपा की अर्चना चिटनिस एक निर्दलीय उम्मीदवार रवींद्र महाजन के कारण मुश्किल में फंस गई हैं।
जबलपुर में पनागर सीट पर भारतीय जनता पार्टी के बागी भरत यादव ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार सुशील तिवारी की सांसें अटका दी हैं।
निवास सीट पर भाजपा के टिकट से वंचित चैन सिंह ने निर्दलीय खड़े होकर भाजपा के रामप्यारे कुलस्ते की राह में मुश्किल खड़ी कर दी है।
कई सीटें ऐसी हैं जहां छोटे दलों ने भी भाजपा की हालत खराब कर डाली है। इनमें चर्चित सीट लांजी भी है जहां बहुजन समाज पार्टी की मीरा समरीते के कारण भाजपा के रमेश भटेरे पिछड़ गए लगते हैं। बसपा के ही मानवेंद्र सिंह ने सुमावली सीट पर भी भाजपा के अजब सिंह को मुकाबले से बाहर कर रखा है।
भाजपा के एक और दमदार नेता रहे केएल अग्रवाल टिकट कटने से नाराज हुए तो बमोरी सीट पर निर्दलीय डट गए जिससे भाजपा के बृजमोहन को पसीना आ रहा है।
सागर जिले में भी भारतीय जनता पार्टी की हालत बहुत अच्छी नहीं है। केवल सुरखी सीट पर ही सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव बगावत और असंतोष को शांत करने में सफल रहे हैं, लेकिन बाकी सीटों पर भाजपा पिछड़ती दिख रही है।
बालाघाट सीट पर समाजवादी पार्टी की अनुभा मुंजारे ने भाजपा सरकार के मंत्री गौरीशंकर बिसेन की हालत खराब कर दी है। पिछली बार धांधली के आरोपों के बीच बिसेन अनुभा मुंजारे से करीब डेढ़ हजार वोटों के मामूली अंतर से जीते थे। इस बार अनुभा पिछली हार का बदला लेने पर उतारू हैं।
भिंड सीट पर भाजपा के बागी विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह इस बार सपा के टिकट पर ताल ठोंक रहे हैं जिस कारण भाजपा के चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी लड़ाई में डटे रहने की तरकीबें सोच रहे हैं।
यही हाल पोहरी सीट का है जहां भाजपा से कैलाश कुशवाह बीएसपी के टिकट पर खड़े होकर भाजपा के प्रह्लाद भारती को हराने का इंतजाम कर चुके हैं।
महेश्वर सीट पर भाजपा के विधायक राजकुमार मेव ने बगावत की लेकिन पार्टी ने उन्हें अहमियत नहीं दी। अब चुनाव के मौके पर पता चल रहा है कि भाजपा के भूपेंद्र आर्य को राजकुमार की बगावत महंगी पड़ रही है।
थांदला सीट पर भाजपा के बागी दिलीप कटारा ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार कल सिंह भाबर की जीत के रास्ते बंद कर दिए हैं। मनावर सीट पर भाजपा के बागी जगदीश मुवेल और बदनावर सीट पर राजेश अग्रवाल भाजपा को हराने में जुटे हैं। बदनावर से अब भाजपा के भंवर सिंह शेखावत का जीतना मुश्किल हो गया है।
जिन चर्चित सीटों पर बागियों ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को कड़ी चुनौती दी है, उनमें दमोह जिले की दमोह और पथरिया सीटें शामिल हैं। पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया का टिकट कटा तो उन्होंने खुद निर्दलीय ही पथरिया से लड़ने का ऐलान किया। इतना ही नहीं, वित्तमंत्री जयंत मलैया की सीट दमोह से भी उन्होंने लड़ने की ठान ली। अब स्थिति ये है कि दोनों सीटों पर भाजपा काफी पिछड़ गई है।
कुछ ऐसा ही हाल बुरहानपुर विधानसभा सीट का है जहां भाजपा की अर्चना चिटनिस एक निर्दलीय उम्मीदवार रवींद्र महाजन के कारण मुश्किल में फंस गई हैं।
जबलपुर में पनागर सीट पर भारतीय जनता पार्टी के बागी भरत यादव ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार सुशील तिवारी की सांसें अटका दी हैं।
निवास सीट पर भाजपा के टिकट से वंचित चैन सिंह ने निर्दलीय खड़े होकर भाजपा के रामप्यारे कुलस्ते की राह में मुश्किल खड़ी कर दी है।
कई सीटें ऐसी हैं जहां छोटे दलों ने भी भाजपा की हालत खराब कर डाली है। इनमें चर्चित सीट लांजी भी है जहां बहुजन समाज पार्टी की मीरा समरीते के कारण भाजपा के रमेश भटेरे पिछड़ गए लगते हैं। बसपा के ही मानवेंद्र सिंह ने सुमावली सीट पर भी भाजपा के अजब सिंह को मुकाबले से बाहर कर रखा है।
भाजपा के एक और दमदार नेता रहे केएल अग्रवाल टिकट कटने से नाराज हुए तो बमोरी सीट पर निर्दलीय डट गए जिससे भाजपा के बृजमोहन को पसीना आ रहा है।
सागर जिले में भी भारतीय जनता पार्टी की हालत बहुत अच्छी नहीं है। केवल सुरखी सीट पर ही सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव बगावत और असंतोष को शांत करने में सफल रहे हैं, लेकिन बाकी सीटों पर भाजपा पिछड़ती दिख रही है।
बालाघाट सीट पर समाजवादी पार्टी की अनुभा मुंजारे ने भाजपा सरकार के मंत्री गौरीशंकर बिसेन की हालत खराब कर दी है। पिछली बार धांधली के आरोपों के बीच बिसेन अनुभा मुंजारे से करीब डेढ़ हजार वोटों के मामूली अंतर से जीते थे। इस बार अनुभा पिछली हार का बदला लेने पर उतारू हैं।
भिंड सीट पर भाजपा के बागी विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह इस बार सपा के टिकट पर ताल ठोंक रहे हैं जिस कारण भाजपा के चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी लड़ाई में डटे रहने की तरकीबें सोच रहे हैं।
यही हाल पोहरी सीट का है जहां भाजपा से कैलाश कुशवाह बीएसपी के टिकट पर खड़े होकर भाजपा के प्रह्लाद भारती को हराने का इंतजाम कर चुके हैं।
महेश्वर सीट पर भाजपा के विधायक राजकुमार मेव ने बगावत की लेकिन पार्टी ने उन्हें अहमियत नहीं दी। अब चुनाव के मौके पर पता चल रहा है कि भाजपा के भूपेंद्र आर्य को राजकुमार की बगावत महंगी पड़ रही है।
थांदला सीट पर भाजपा के बागी दिलीप कटारा ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार कल सिंह भाबर की जीत के रास्ते बंद कर दिए हैं। मनावर सीट पर भाजपा के बागी जगदीश मुवेल और बदनावर सीट पर राजेश अग्रवाल भाजपा को हराने में जुटे हैं। बदनावर से अब भाजपा के भंवर सिंह शेखावत का जीतना मुश्किल हो गया है।