शिवराज का साथ छोड़ने लगे उनके रिश्तेदार भी, दोस्त भी

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: November 5, 2018
विधानसभा चुनावों की उठापटक और सरगर्मियों के बीच अब भारतीय जनता पार्टी में अकेले पड़ते जा रहे शिवराज सिंह चौहान को एक पर एक कड़े झटके लग रहे हैं।

Shivraj Singh Chauhan

अब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ सत्ता-सुख भोगते रहे लोग अब उनका साथ छोड़कर जाने लगे हैं। इसका मतलब ये माना जाने लगा है कि इन शातिर नेताओं को अहसास हो गया है कि अब मध्यप्रदेश की सत्ता में शिवराज सिंह चौहान की वापसी नहीं होनी है।

अभी देखें तो तमाम छोटे और स्थानीय नेताओं के अलावा, 2 बड़े लोगों ने शिवराज सिंह चौहान का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है।

सबसे बड़ा झटका तो शिवराज सिंह चौहान के साले, और उनकी पत्नी साधना सिंह के सगे भाई संजय सिंह मसानी के पार्टी छोड़ने और कांग्रेस में जाने से लगा है।

आरोप लगते रहे हैं कि शिवराज सिंह चौहान के राज में उनकी ससुराल वालों ने जमकर मलाई काटी है और उनकी पत्नी साधना सिंह और साले संजय सिंह मसानी भी इसमें अगुआ रहे हैं।

एनडीटीवी के अनुसार, अब संजय सिंह ने बारासिवनी से बीजेपी का टिकट न मिलने के विरोध में पार्टी छोड़ दी है और ऐलान कर दिया है कि मध्यप्रदेश को अब राज की नहीं नाथ की जरूरत है। यानी वो कमलनाथ को अपना नेता मान चुके हैं और शिवराज को हराने के लिए इन चुनावों में काम करेंगे।

कांग्रेस में शामिल हुए सीएम शिवराज सिंह के साले संजय सिंह ने कहा कि, प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ी है। भाजपा में नामदारों को उतारा जा रहा है, वहीं नामदारों को मौका नहीं दिया जा रहा है। पार्टी में वंशवाद फल-फूल रहा है। 

संजय सिंह ने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश को शिवराज सिंह चौहान की जरूरत नहीं है, बल्कि कमलनाथ की है। हम जानते हैं कि छिंदवाड़ा का विकास कैसे हुआ और इसकी पहचान कमलनाथ के साथ जुड़ी है। राज्य की पहचान भी उनके साथ जोड़ने की जरूरत है।''

संजय सिंह ने भाजपा पर वंशवाद का भी आरोप लगाया और कहा- 'मैं शिवराज के परिवार का नहीं उनका साला हूं। भाजपा में कार्यकर्ताओं की पूछपरख नहीं, यहां वंशवाद हावी है।'

इसके पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के स्वजातीय तथा किरार महासभा के ताकतवर नेता गुलाब सिंह किरार भी भाजपा को अलविदा कह चुके हैं और कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। गुलाब सिंह किरार तो व्यापम घोटाले में भी शामिल बताए जाते हैं और कांग्रेस इन चुनावों में भी व्यापम घोटाले का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवराज के डूबते जहाज से चूहों का कूद-कूदकर भागना शुरू हो चुका है।
 
 

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