दिल्ली की कठपुतली कॉलोनी में पुलिस की बर्बरता और बीच-बचाव कर रहीं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ऐनी राजा को चोटिल करने की कठोर निंदा राजस्थान के मज़दूर किसान शक्ति संगठन ने की है.
मशहूर मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा रॉय, निखिल डे एवं शंकर सिंह ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ये मांग की है कि कठपुतली कॉलोनी में पुलिस कार्यवाही की जाँच हो और दोषियों को सज़ा मिले.
गौरतलब रहे कि 30 अक्टूबर 2017 को सुबह 10 बजे शुरू हुई कार्यवाही में नई दिल्ली की कठपुतली कॉलोनी में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने पुलिस की मदद से 150 से ज़्यादा मकानों को तोड़ दिया.
आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने बर्बरता दिखाते हुए लोगों पर लाठीचार्ज किया, जिसमें बीच-बचाव कर रही सामाजिक कार्यकर्ता ऐनी राजा चोटिल हो गई.
हालांकि दिल्ली पुलिस ने लाठीचार्ज की बात को सिरे से नकार रही है. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि जब कुछ लोगों ने झुग्गियां तोड़ने का विरोध किया तो स्थिति को क़ाबू में करने के लिए उन्हें आँसू-ग़ैस का इस्तेमाल करना पड़ा.
लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक़ ना सिर्फ़ पुलिस ने लाठीचार्ज किया बल्कि ऐसा करते वक़्त बुज़ुर्गों, महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख़्शा. बीच-बचाव करने के दौरान नैशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडीयन विमेन की राष्ट्रीय महासचिव ऐनी राजा को भी लाठियों से पीटा गया और घसीटा गया और वे अभी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उपचार-रत हैं.
मज़दूर किसान शक्ति संगठन की मांग है कि कठपुतली कॉलोनी के पुनर्विकास के नाम पर 2009 से हो रहे इस विस्थापन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगनी चाहिए और निजी बिल्डरों के प्रभाव के चलते हो रही ऐसी कार्यवाहियों पर रोक लगाकर कठपुतली कॉलोनी के वाशिंदों को उनकी मर्ज़ी के बग़ैर आनंद परबत या नरेला, बवाना जैसी जगहों पर भेजना बंद होना चाहिए. साथ ही 2500 से ज़्यादा परिवारों को विस्थापन प्रभावितों की सूची में शामिल नहीं कर उन्हें मिलने वाले लाभों से वंचित रखा गया है, इस अनियमितता को भी तुरंत ठीक किया जाना चाहिए.
इस संस्था का कहना है कि, कठपुतली कॉलोनी के वाशिंदों के भारी विरोध के बावजूद दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली पुलिस की यह कार्यवाही ना सिर्फ़ लोकतांत्रिक मूल्यों के ख़िलाफ़ है, बल्कि कॉलोनी-वासियों के संवैधानिक हक़ों पर भी कुठाराघात है. अवैध मकानों को ढहाने के नाम पर सैंकड़ों पुलिस जवानों की मौजूदगी में हुई इस कार्यवाही में पुनर्वास के बिना ही लोगों को बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घर ढहाकर उन्हें सड़क पर ले आने की इस कार्यवाही को किसी भी तरीक़े से उचित नहीं ठहराया जा सकता.
बताते चलें कि कठपुतली कॉलोनी को उजाड़ कर वहां दिल्ली की पहली गगनचुम्बी ईमारत ‘रहेजा फोनिक्स’ बनाने की योजना है, जिसको लेकर कठपुतली कॉलोनी निवासियों और सरकार के बीच कई वर्षों से तना-तनी का माहौल है. कठपुतली कॉलोनी में सरकार ने पहले घोषणा कर दी कि लोगों को फ्लैट बनाकर दिये जायेंगे, फिर उन्हें हटाना शुरू किया. इसके बाद कॉलोनी निवासियों ने प्रतिवाद शुरू कर दिया. उन्होंने कम्पनी से यह गारंटी मांगी कि यहां पर बसे सभी लोगों को फ्लैट देना सुनिश्चित किया जाये. और यह गांरटी कोर्ट में लिखित हो. इस मांग को ‘डेवलपर्स’ ने मानने से इनकार कर दिया जिसके कारण लोग अस्थायी बने कैम्पों में नहीं गए.
Courtesy: Two Circles
मशहूर मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा रॉय, निखिल डे एवं शंकर सिंह ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ये मांग की है कि कठपुतली कॉलोनी में पुलिस कार्यवाही की जाँच हो और दोषियों को सज़ा मिले.
गौरतलब रहे कि 30 अक्टूबर 2017 को सुबह 10 बजे शुरू हुई कार्यवाही में नई दिल्ली की कठपुतली कॉलोनी में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने पुलिस की मदद से 150 से ज़्यादा मकानों को तोड़ दिया.
आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने बर्बरता दिखाते हुए लोगों पर लाठीचार्ज किया, जिसमें बीच-बचाव कर रही सामाजिक कार्यकर्ता ऐनी राजा चोटिल हो गई.
हालांकि दिल्ली पुलिस ने लाठीचार्ज की बात को सिरे से नकार रही है. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि जब कुछ लोगों ने झुग्गियां तोड़ने का विरोध किया तो स्थिति को क़ाबू में करने के लिए उन्हें आँसू-ग़ैस का इस्तेमाल करना पड़ा.
लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक़ ना सिर्फ़ पुलिस ने लाठीचार्ज किया बल्कि ऐसा करते वक़्त बुज़ुर्गों, महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख़्शा. बीच-बचाव करने के दौरान नैशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडीयन विमेन की राष्ट्रीय महासचिव ऐनी राजा को भी लाठियों से पीटा गया और घसीटा गया और वे अभी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उपचार-रत हैं.
मज़दूर किसान शक्ति संगठन की मांग है कि कठपुतली कॉलोनी के पुनर्विकास के नाम पर 2009 से हो रहे इस विस्थापन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगनी चाहिए और निजी बिल्डरों के प्रभाव के चलते हो रही ऐसी कार्यवाहियों पर रोक लगाकर कठपुतली कॉलोनी के वाशिंदों को उनकी मर्ज़ी के बग़ैर आनंद परबत या नरेला, बवाना जैसी जगहों पर भेजना बंद होना चाहिए. साथ ही 2500 से ज़्यादा परिवारों को विस्थापन प्रभावितों की सूची में शामिल नहीं कर उन्हें मिलने वाले लाभों से वंचित रखा गया है, इस अनियमितता को भी तुरंत ठीक किया जाना चाहिए.
इस संस्था का कहना है कि, कठपुतली कॉलोनी के वाशिंदों के भारी विरोध के बावजूद दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली पुलिस की यह कार्यवाही ना सिर्फ़ लोकतांत्रिक मूल्यों के ख़िलाफ़ है, बल्कि कॉलोनी-वासियों के संवैधानिक हक़ों पर भी कुठाराघात है. अवैध मकानों को ढहाने के नाम पर सैंकड़ों पुलिस जवानों की मौजूदगी में हुई इस कार्यवाही में पुनर्वास के बिना ही लोगों को बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घर ढहाकर उन्हें सड़क पर ले आने की इस कार्यवाही को किसी भी तरीक़े से उचित नहीं ठहराया जा सकता.
बताते चलें कि कठपुतली कॉलोनी को उजाड़ कर वहां दिल्ली की पहली गगनचुम्बी ईमारत ‘रहेजा फोनिक्स’ बनाने की योजना है, जिसको लेकर कठपुतली कॉलोनी निवासियों और सरकार के बीच कई वर्षों से तना-तनी का माहौल है. कठपुतली कॉलोनी में सरकार ने पहले घोषणा कर दी कि लोगों को फ्लैट बनाकर दिये जायेंगे, फिर उन्हें हटाना शुरू किया. इसके बाद कॉलोनी निवासियों ने प्रतिवाद शुरू कर दिया. उन्होंने कम्पनी से यह गारंटी मांगी कि यहां पर बसे सभी लोगों को फ्लैट देना सुनिश्चित किया जाये. और यह गांरटी कोर्ट में लिखित हो. इस मांग को ‘डेवलपर्स’ ने मानने से इनकार कर दिया जिसके कारण लोग अस्थायी बने कैम्पों में नहीं गए.
Courtesy: Two Circles