हिमाचल प्रदेश के मंडी में मस्जिद ध्वस्त करने के लिए हिंदुत्ववादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया

Written by sabrang india | Published on: November 23, 2024
अभद्र भाषा और अपमानजनक सांप्रदायिक शब्दों के इस्तेमाल के साथ-साथ हिंदुत्ववादी समूहों ने वक्फ बोर्ड को भी निशाना बनाया।


साभार : द ऑब्जर्वर पोस्ट 

हिमाचल प्रदेश के मंडी में जेल रोड पर स्थित एक मस्जिद को ध्वस्त करने की मांग को लेकर हिंदुत्व संगठनों ने मंगलवार को विरोध रैली निकाली। मस्जिद पर अवैध अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए इन संगठनों के सदस्यों ने ‘जय श्री राम’, ‘बनेंगे तो कटेंगे’, ‘एक है तो सुरक्षित है’ और अन्य नफरती नारों के बीच मस्जिद परिसर की तरफ मार्च निकाला।

द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों को संबोधित करते हुए हिंदुत्ववादी नेता कमल गौतम ने आरोप लगाया कि अवैध प्रवासी (मुस्लिम) मंडी जैसे हिंदू क्षेत्रों में अपने व्यवसाय का विस्तार कर रहे हैं और वे टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं। उन्होंने अधिकारियों से वित्तीय संसाधनों की जांच करने, छोटे व्यवसायों को बाधित करने और अवैध धन और उल्लंघन के झूठे संदेह पर मस्जिद को गिराने का अनुरोध किया।

यह विरोध प्रदर्शन ‘छोटी काशी संघर्ष समिति’ द्वारा आयोजित किया गया था जो शहर की कथित पवित्रता को मुसलमानों से बचाने के लिए संगठित है। इनके साथ अक्सर दुर्व्यवहार किया जाता है और उन्हें घुसपैठिए या बाहरी लोगों के रूप में बताया जाता है। 3 घंटे तक चले इस विरोध प्रदर्शन में ऐसे कई लोग शामिल हुए जो नफरती बयान देते हैं। भारतीय संत परिषद के यति सत्यदेवानंद सरस्वती भी इसमें पहुंचे। उन्होंने प्रशासन की आलोचना की कि वह दक्षिणपंथियों रोडमैप के अनुसार काम नहीं कर रहा है।

अभद्र भाषा और अपमानजनक सांप्रदायिक शब्दों के इस्तेमाल के साथ-साथ हिंदुत्ववादी समूहों ने वक्फ बोर्ड को भी निशाना बनाया।

“केसरिया जब केसरिया जब केसरिया जब केसरिया जब आएंगे,

गद्दारों के, गद्दारों के होश ठिकाने आएंगे!’

हिंदुत्ववादी भीड़ ने प्रोपगेंडा को बढ़ावा देने के लिए आपत्तिजनक गीत गाए, जिसने माहौल को खराब कर दिया और अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना को भड़काया, जो अब खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के लिए मजबूर हैं।

उत्तराखंड ही नहीं देश भर में दक्षिणपंथी संगठन लंबे समय से मुस्लिम संस्थाओं को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। मंडी के मुसलमान ऐसे फासीवादी प्रदर्शनों को अपनी संस्था पर इस्लामोफोबिक हमला मानते हैं जो उनकी स्वतंत्रता, अधिकार और सम्मान के साथ जीने के अधिकार को कुचलना चाहता है।

मुसलमानों ने तोड़ फोड़ के इस आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया

सितंबर में, अहले इस्लाम मुस्लिम कल्याण समिति ने नगर पालिका के विध्वंस अभियान के आदेश का विरोध किया जिसमें मस्जिद को अवैध संपत्ति बताया गया था और बोर्ड से 30 दिनों के भीतर इमारत को ध्वस्त करने की मांग की गई थी।

दक्षिणपंथी समूहों के दबाव में मुस्लिम लोगों ने हिंदुत्ववादियों के हमलों से अपने इबादतगाह की हिफाजत के लिए मस्जिद परिसर के सामने एक कथित अनधिकृत दीवार और एक कमरे को गिरा दिया, लेकिन इससे भी भीड़ शांत नहीं हुई।

अदालत के फैसले में कहा गया कि मस्जिद को आवश्यक आधिकारिक अनुमति प्राप्त किए बिना पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) की भूमि पर बनाया गया था और यह हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट का उल्लंघन करता है। नतीजतन, मुस्लिम लोगों ने उच्च अधिकारियों से इस विध्वंस आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए एक शिकायत दर्ज की क्योंकि इससे उन्हें अपने ही जगह से निकाल दिया जाएगा।

वर्तमान में यह मामला टी.सी.पी. न्यायालय में विचाराधीन है और सांप्रदायिक तनाव की आशंका के मद्देनजर स्थिति काफी संवेदनशील है।

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