कर्नाटक में किसानों की स्थिति क्या है? किसानों की आमदनी में कितनी बढ़ोतरी हुई? क्या किसानों की आत्महत्या के मामलों में कमी आई? आइये, पड़ताल करते हैं।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र में वायदा किया था कि किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य के तौर पर सुनिश्चित किया जाएगा। क्या सचमुच कर्नाटक के किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम मिल रहा है?
यूं तो प्रधानमंत्री ने ये भी दावा किया था कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। हुई क्या?
कुल मिलाकर कर्नाटक में किसानों की स्थिति क्या है?
भाजपा अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने की बजाय विभिन्न योजनाओं के आंकड़े उछाल रही है। डिजिक्लेम का डंका पीट रही है। किसान सम्मान निधि के आंकड़े का प्रचार किया जा रहा है। लेकिन ये नहीं बताया जा रहा कि किसानों की स्थिति क्या है? किसानों की आमदनी में कितनी बढ़ोतरी हुई? क्या किसानों की आत्महत्या के मामलों में कमी आई? आइये, पड़ताल करते हैं।
कर्नाटक, किसानों की क़ब्रगाह
कर्नाटक में किसानों की स्थिति को समझना चाहते हैं तो बस एक बार कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े पर नज़र डाल लीजिए। स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
किसानों की आत्महत्या के बारे में राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से एक सवाल पूछा गया। जिसका लिखित जवाब उन्होंने 3 फरवरी 2023 को सदन में प्रस्तुत किया।
इस लिखित जवाब के अनुसार किसानों की आत्महत्या के मामले में कर्नाटक देश में दूसरे स्थान पर है।
वर्ष 2021 में कर्नाटक में 1,170 किसानों ने आत्महत्या की है। यानी हर रोज तीन किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
ये आंकड़ा वर्ष 2017 में 1,157 था।
वर्ष 2018 और 2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 1,365 और 1,331 तक पहुंच गया था।
वर्ष 2020 में 1072 किसानों ने आत्महत्या की। जो 2021 में फिर बढ़कर 1170 पहुंच गया।
स्रोत: राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का लिखित जवाब
आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि किसानों की आत्महत्या के मामलों में कोई कमी नहीं आई है बल्कि बढ़ोतरी हुई है। देश में किसानों की आत्महत्या के कुल मामलों का 22% अकेले कर्नाटक से है। यानी ये कह सकते हैं कि देश में आत्महत्या करने वाला लगभग हर चौथा किसान कर्नाटक से है।
कर्नाटक के किसानों की आय की स्थिति
16 दिसंबर 2022 को देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में राज्यवार देश के किसानों की मासिक औसत आय का ब्योरा प्रस्तुत किया था। जिसके अनुसार कर्नाटक में किसानों की मासिक औसत आय 13,441 है।
गौरतलब है कि ये पूरे किसान परिवार की आय है। क्योंकि आमतौर पर खेत में पशुओं सहित पूरे परिवार को किसी न किसी रूप में काम करना पड़ता है। इस हिसाब से किसान परिवार की प्रतिदिन आय मात्र 454 रुपये बनती है। जबकि श्रम मंत्रालय के अनुसार देश में एक अनस्किल्ड निर्माण मज़दूर की न्यूनतम मज़दूरी भी 595 रुपये है।
यानी कर्नाटक का एक किसान परिवार प्रतिदिन उतना भी नहीं कमाता जितना एक निर्माण मज़दूर के लिए निर्धारित है। मतलब साफ है कि कर्नाटक में किसान परिवार की आमदनी एक अन्स्किल्ड निर्माण मज़दूर से भी कम है।
ये आंकड़ा बता रहा है कि सरकार किसानों की ज़िंदगी में सुधार लाने में पूरी तरह विफल रही है। साथ ही ये आंकड़ा कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या के पीछे के कराणों की तरफ भी इशारा कर रहा है। भाजपा के तमाम प्रोपगेंडा के बीच ये आंकड़ें स्पष्ट कर रहे हैं कि ग़रीबी की मार झेल रहे कर्नाटक के किसान क्यों आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)
Courtesy: Newsclick
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र में वायदा किया था कि किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य के तौर पर सुनिश्चित किया जाएगा। क्या सचमुच कर्नाटक के किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम मिल रहा है?
यूं तो प्रधानमंत्री ने ये भी दावा किया था कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। हुई क्या?
कुल मिलाकर कर्नाटक में किसानों की स्थिति क्या है?
भाजपा अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने की बजाय विभिन्न योजनाओं के आंकड़े उछाल रही है। डिजिक्लेम का डंका पीट रही है। किसान सम्मान निधि के आंकड़े का प्रचार किया जा रहा है। लेकिन ये नहीं बताया जा रहा कि किसानों की स्थिति क्या है? किसानों की आमदनी में कितनी बढ़ोतरी हुई? क्या किसानों की आत्महत्या के मामलों में कमी आई? आइये, पड़ताल करते हैं।
कर्नाटक, किसानों की क़ब्रगाह
कर्नाटक में किसानों की स्थिति को समझना चाहते हैं तो बस एक बार कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े पर नज़र डाल लीजिए। स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
किसानों की आत्महत्या के बारे में राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से एक सवाल पूछा गया। जिसका लिखित जवाब उन्होंने 3 फरवरी 2023 को सदन में प्रस्तुत किया।
इस लिखित जवाब के अनुसार किसानों की आत्महत्या के मामले में कर्नाटक देश में दूसरे स्थान पर है।
वर्ष 2021 में कर्नाटक में 1,170 किसानों ने आत्महत्या की है। यानी हर रोज तीन किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
ये आंकड़ा वर्ष 2017 में 1,157 था।
वर्ष 2018 और 2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 1,365 और 1,331 तक पहुंच गया था।
वर्ष 2020 में 1072 किसानों ने आत्महत्या की। जो 2021 में फिर बढ़कर 1170 पहुंच गया।
स्रोत: राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का लिखित जवाब
आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि किसानों की आत्महत्या के मामलों में कोई कमी नहीं आई है बल्कि बढ़ोतरी हुई है। देश में किसानों की आत्महत्या के कुल मामलों का 22% अकेले कर्नाटक से है। यानी ये कह सकते हैं कि देश में आत्महत्या करने वाला लगभग हर चौथा किसान कर्नाटक से है।
कर्नाटक के किसानों की आय की स्थिति
16 दिसंबर 2022 को देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में राज्यवार देश के किसानों की मासिक औसत आय का ब्योरा प्रस्तुत किया था। जिसके अनुसार कर्नाटक में किसानों की मासिक औसत आय 13,441 है।
गौरतलब है कि ये पूरे किसान परिवार की आय है। क्योंकि आमतौर पर खेत में पशुओं सहित पूरे परिवार को किसी न किसी रूप में काम करना पड़ता है। इस हिसाब से किसान परिवार की प्रतिदिन आय मात्र 454 रुपये बनती है। जबकि श्रम मंत्रालय के अनुसार देश में एक अनस्किल्ड निर्माण मज़दूर की न्यूनतम मज़दूरी भी 595 रुपये है।
यानी कर्नाटक का एक किसान परिवार प्रतिदिन उतना भी नहीं कमाता जितना एक निर्माण मज़दूर के लिए निर्धारित है। मतलब साफ है कि कर्नाटक में किसान परिवार की आमदनी एक अन्स्किल्ड निर्माण मज़दूर से भी कम है।
ये आंकड़ा बता रहा है कि सरकार किसानों की ज़िंदगी में सुधार लाने में पूरी तरह विफल रही है। साथ ही ये आंकड़ा कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या के पीछे के कराणों की तरफ भी इशारा कर रहा है। भाजपा के तमाम प्रोपगेंडा के बीच ये आंकड़ें स्पष्ट कर रहे हैं कि ग़रीबी की मार झेल रहे कर्नाटक के किसान क्यों आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)
Courtesy: Newsclick