मुंबई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (आईआईटी बॉम्बे) के छात्रों का एक समूह सीएए का पुरजोर विरोध कर रहा है। ये देश के अन्य विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन कर रहे छात्रों का साथ दे रहे हैं। इस बीच संस्थान ने छात्रों को “राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों” से दूर रहने के लिए एक निर्देश जारी किया है। इसके साथ ही संस्थान ने 15 सूत्री दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। स्टूडेंट अफेयर्स के एसोसिएट डीन जॉर्ज मैथ्यू ने संस्थान के छात्रावासों में रह रहे करीब 10 हजार छात्रों को 15 सूत्री दिशानिर्देश मंगलवार को ईमेल किए।
इन दिशानिर्देशों में एक बिंदू यह है कि “छात्र किसी भी राष्ट्र-विरोधी, असामाजिक और अन्य अवांछनीय गतिविधियों में भाग नहीं लेंगे”। हालांकि यह नहीं बताया गया कि कौन-कौन से काम ‘राष्ट्र-विरोधी, असामाजिक और अन्य अवांछनीय गतिविधियों’ के तहत आते हैं।
टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, एक छात्र ने गोपनीयता के आधार पर बताया, “यह ईमेल पूरी तरह से अस्पष्ट है। संस्थान यह मेल भेजकर सरकार के निर्देश पर बोलने की स्वतंत्रता और किसी भी तरह के विरोध-प्रदर्शन को रोकने की कोशिश कर रही है।”
छात्र ने आगे कहा, “हम नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अपना विरोध-प्रदर्शन जारी रखेंगे। हम अलोकतांत्रिक नियमों के कारण रुकने वाले नहीं हैं।” गौरतलब है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और विश्वभारती जैसे कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में विरोध-प्रदर्शन किया गया है या किया जा रहा है।
संस्थान द्वारा जारी दिशानिर्देश में यह भी कहा गया है, “संबंधित छात्रावास परिषद या डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स की अनुमति के बिना छात्रावास में कोई पोस्टर लगाने या पैम्फलेट बांटने की अनुमति नहीं है। भाषण, नाटक … या कोई भी अन्य गतिविधियां जो छात्रावास के वातावरण को प्रभावित कर सकती हैं, की पूरी तरह से मनाही है। यदि फैकल्टी भी भीड़ में शामिल हों, फिर भी ऐसा नहीं करना है। कोई भी गतिविधि डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स की अनुमति मिलने के बाद ही हो सकती है।”
इन दिशानिर्देशों में एक बिंदू यह है कि “छात्र किसी भी राष्ट्र-विरोधी, असामाजिक और अन्य अवांछनीय गतिविधियों में भाग नहीं लेंगे”। हालांकि यह नहीं बताया गया कि कौन-कौन से काम ‘राष्ट्र-विरोधी, असामाजिक और अन्य अवांछनीय गतिविधियों’ के तहत आते हैं।
टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, एक छात्र ने गोपनीयता के आधार पर बताया, “यह ईमेल पूरी तरह से अस्पष्ट है। संस्थान यह मेल भेजकर सरकार के निर्देश पर बोलने की स्वतंत्रता और किसी भी तरह के विरोध-प्रदर्शन को रोकने की कोशिश कर रही है।”
छात्र ने आगे कहा, “हम नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अपना विरोध-प्रदर्शन जारी रखेंगे। हम अलोकतांत्रिक नियमों के कारण रुकने वाले नहीं हैं।” गौरतलब है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और विश्वभारती जैसे कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में विरोध-प्रदर्शन किया गया है या किया जा रहा है।
संस्थान द्वारा जारी दिशानिर्देश में यह भी कहा गया है, “संबंधित छात्रावास परिषद या डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स की अनुमति के बिना छात्रावास में कोई पोस्टर लगाने या पैम्फलेट बांटने की अनुमति नहीं है। भाषण, नाटक … या कोई भी अन्य गतिविधियां जो छात्रावास के वातावरण को प्रभावित कर सकती हैं, की पूरी तरह से मनाही है। यदि फैकल्टी भी भीड़ में शामिल हों, फिर भी ऐसा नहीं करना है। कोई भी गतिविधि डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स की अनुमति मिलने के बाद ही हो सकती है।”