हेमंत करकरे की बेटी बोलीं- मेरे पिता की शहादत पर ओछी राजनीति का जवाब वोटर देंगे

Written by sabrang india | Published on: April 25, 2019
मुंबई. 2008 के मुंबई हमलों में शहीद हुए महाराष्ट्र एटीएस चीफ हेमंत करकरे की शहादत पर 11 साल बाद राजनीतिक बयानबाजी हो रही है। इस तरह की राजनीति सही है या गलत, इसे लेकर दैनिक भास्कर ने हेमंत करकरे की बेटी का साक्षात्कार किया। सही गलत का फैसला करकरे की बेटी जुई करकरे वोटरों पर छोड़ती हैं। वे कहती हैं, ‘‘वोटर समझदार हैं, वे ही जवाब देंगे। शहीद को नीचा दिखाने वाले लोगों की कोई भी चाल काम नहीं आएगी।’’ 

दरअसल, भोपाल से भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि हेमंत करकरे की मृत्यु उनके श्राप से हुई है। अमेरिका के बॉस्टन में रह रहीं जुई ने इस पर पहली बार बात की। बातचीत के दौरान जुई की आवाज कभी भारी तो कभी गुस्से से तेज होती रही। विशेष संवाददाता मनीषा भल्ला से बातचीत में जुई ने कहा, ‘‘पिता की शहादत के बाद कुछ नेता चुनावी फायदे के लिए आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं। ऐसे नेताओं से मुझे कुछ नहीं कहना, क्योंकि वो समझेंगे भी नहीं और मैं ऐसे लोगों पर बोलकर उन्हें अहमियत भी नहीं देना चाहती।’’ 

भास्कर ने जब जुई से प्रज्ञा ठाकुर के बयान के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मैंने जब बयान सुना तो मां की लिखी कविता की लाइनें गूंजने लगीं। मां बोला करती थीं- "मेरे पति के शहीद होने का मुझे ग़म ज़रूर है, अफसोस नहीं... फिर भी कुछ सवाल दिल में आते हैं, पर जवाब मिल नहीं पाते। फिर मन कहता है, पागल तू किस से सवाल करता है? मालेगांव बम ब्लास्ट की मेरे पति ने जांच पूरी की है... करकरे, कामटे और सालसकर शहीद हुए, अब तो भारत माता की राजनीति है।" मां कहती थीं कि हेमंत की शहादत पर कुछ लोगों ने तो ये भी कहा कि इनके पति को हीरोगिरी का शौक था, इसलिए ऐसा हुआ। पर मेरा कहना है कि यही उनकी देशभक्ति की अमर निशानी है। आखिर वह (प्रज्ञा) किसके लिए ऐसा बोल रही हैं? अपने लोगों के लिए, जिन्होंने देश के लिए कुर्बानी दी है। 

सहादत पर राजनीति के सवाल पर जुई कहती हैं कि ऐसे नेताओं से कुछ नहीं कहना। फायदा भी नहीं है। पर वोटर समझदार हैं। जानते हैं कि कौन शहीदों की इज्जत कर रहा और कौन नीचा दिखा रहा है। शहीद को नीचा दिखाने वाले लोगों की कोई भी चाल काम नहीं आएगी।

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