भोपाल से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा के विवादित बयान दिया. साध्वी प्रज्ञा ने कहा था, ''मैंने उसे कहा था तेरा (हेमंत करकरे) सर्वनाश होगा, उसने मुझे गालियां दी थीं. जिस दिन मैं गई तो उसके यहां सूतक लगा था और जब उसे आतंकियों ने मारा तो सूतक खत्म हुआ.''
उनके इस बयान पर विपक्षी राजनीतिक दलों ने जमकर हमला बोला है. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तंज कसते हुए कहा कि केवल भाजपाई ही 26/11 के शहीद हेमंत करकरे को देशद्रोही घोषित करने का जुर्म कर सकते हैं. ये देश के हर सैनिक का अपमान है जो आतंकवाद से लड़ते हुए भारत मां के लिए प्राणों की क़ुर्बानी देता है. देश से माफ़ी मांगिए और प्रज्ञा पर कार्रवाई कीजिए.
प्रज्ञा सिंह ठाकुर की टिप्पणी पर कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. दिग्विजय सिंह ने कहा, "चुनाव आयोग ने स्पष्ट कहा है कि सेना तथा शहीदों को लेकर कोई राजनैतिक टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए... हेमंत करकरे जी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे, जो एक आतंकवादी हमले के दौरान मुंबई के लोगों के लिए शहीद हो गए थे..."
वहीं आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि शहीद हेमंत करकरे की शहादत का अपमान करने वाली प्रज्ञा ठाकुर हैं भाजपा की प्रत्याशी. कहां हैं मोदी जी? शहीद के नाम पर वोट मांगते हैं और अपमान करने वाली को टिकट देते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इसकी निंदा की है. मनीष सिसोदिया ने कहा है कि मुंबई आतंकी हमले में भारत माता की रक्षा के लिए जान देने वाले शहीद हेमंत करकरे की शहादत पर सवाल उठा रही है बीजेपी. यही है बीजेपी की देशभक्ति?
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि एक अधिकारी ने हेमंत करकरे से उन्हें छोड़ने का कहा था लेकिन करकरे ने कहा था कि वो कुछ भी करेंगे, सबूत लाएंगे लेकिन साध्वी को नहीं छोड़ेंगे. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि हेमंत करकरे का ये क़दम देशद्रोह था, धर्मविरुद्ध था.साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि जब मुझे गैरकानूनी तरीके से लेकर गए तो 13 दिन तक रखा. हिरासत में मुझे मोटे बेल्ट से पीटा गया. उसे झेलना आसान नहीं था. पूरा शरीर सूज जाता था, सुन्न पड़ जाता था. दिन और रात पीटते थे. मैं आपको अपनी पीड़ा नहीं बता रही हूं. लेकिन इतना कह रही हूं कि कोई महिला कभी इस पीड़ा का सामना न करे. पीटते-पीटते गंदी गालियां देते थे. वे कहलवाना चाहते थे कि तुमने एक विस्फोट किया है और मुस्लिमों को मारा है. सुबह हो जाती थी पिटते-पिटते, पीटने वाले लोग बदल जाते थे लेकिन पिटने वाली मैं सिर्फ अकेले रहती थी.'
उनके इस बयान पर विपक्षी राजनीतिक दलों ने जमकर हमला बोला है. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तंज कसते हुए कहा कि केवल भाजपाई ही 26/11 के शहीद हेमंत करकरे को देशद्रोही घोषित करने का जुर्म कर सकते हैं. ये देश के हर सैनिक का अपमान है जो आतंकवाद से लड़ते हुए भारत मां के लिए प्राणों की क़ुर्बानी देता है. देश से माफ़ी मांगिए और प्रज्ञा पर कार्रवाई कीजिए.
प्रज्ञा सिंह ठाकुर की टिप्पणी पर कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. दिग्विजय सिंह ने कहा, "चुनाव आयोग ने स्पष्ट कहा है कि सेना तथा शहीदों को लेकर कोई राजनैतिक टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए... हेमंत करकरे जी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे, जो एक आतंकवादी हमले के दौरान मुंबई के लोगों के लिए शहीद हो गए थे..."
वहीं आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि शहीद हेमंत करकरे की शहादत का अपमान करने वाली प्रज्ञा ठाकुर हैं भाजपा की प्रत्याशी. कहां हैं मोदी जी? शहीद के नाम पर वोट मांगते हैं और अपमान करने वाली को टिकट देते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इसकी निंदा की है. मनीष सिसोदिया ने कहा है कि मुंबई आतंकी हमले में भारत माता की रक्षा के लिए जान देने वाले शहीद हेमंत करकरे की शहादत पर सवाल उठा रही है बीजेपी. यही है बीजेपी की देशभक्ति?
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि एक अधिकारी ने हेमंत करकरे से उन्हें छोड़ने का कहा था लेकिन करकरे ने कहा था कि वो कुछ भी करेंगे, सबूत लाएंगे लेकिन साध्वी को नहीं छोड़ेंगे. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि हेमंत करकरे का ये क़दम देशद्रोह था, धर्मविरुद्ध था.साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि जब मुझे गैरकानूनी तरीके से लेकर गए तो 13 दिन तक रखा. हिरासत में मुझे मोटे बेल्ट से पीटा गया. उसे झेलना आसान नहीं था. पूरा शरीर सूज जाता था, सुन्न पड़ जाता था. दिन और रात पीटते थे. मैं आपको अपनी पीड़ा नहीं बता रही हूं. लेकिन इतना कह रही हूं कि कोई महिला कभी इस पीड़ा का सामना न करे. पीटते-पीटते गंदी गालियां देते थे. वे कहलवाना चाहते थे कि तुमने एक विस्फोट किया है और मुस्लिमों को मारा है. सुबह हो जाती थी पिटते-पिटते, पीटने वाले लोग बदल जाते थे लेकिन पिटने वाली मैं सिर्फ अकेले रहती थी.'