अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी की अदालत ने मेवाणी को 2017 में रेल अवरुद्ध करने के मामले में बरी कर दिया है।
![](/sites/default/files/jignesh_mevani_13.jpg?264)
अहमदाबाद: गुजरात की एक मेट्रोपॉलिटन अदालत ने गत मंगलवार को कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी और 30 अन्य को 2017 के एक मामले में बरी कर दिया है। उनके ऊपर साल 2017 में राज्य सरकार की नीतियों के विरोध में एक ट्रेन को अवरुद्ध करने का आरोप लगा था।
जिग्नेश मेवाणी समेत 30 अन्य को अदालत ने किया बरी
द मूकनायक की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी की अदालत ने कांग्रेस के दलित नेता मेवाणी को बरी किया है। अहमदाबाद पुलिस ने 2017 में मेवाणी और अन्य के खिलाफ रेल रोको प्रदर्शन के तहत राजधानी ट्रेन को 20 मिनट तक कालूपुर रेलवे स्टेशन पर अवरुद्ध करने के लिए मामला दर्ज किया था। यह प्रदर्शन राज्य सरकार के नीतियों के खिलाफ किया गया था।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार मेवाणी और अन्य 30 के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। 31 में से 30 आरोपी महिला थीं। उनके खिलाफ रेलवे एक्ट की धारा 153 के तहत मामला दर्ज किया गया था। साल 2021 में एक सत्र अदालत ने मेवाणी को बरी करने से इनकार कर दिया था। पिछले साल नवंबर में मेवाणी और छह अन्य को अहमदाबाद के इनकम टैक्स चौराहे पर 2016 में दंगा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और गैरकानूनी जमावड़ा करने के मामले से बरी किया गया था।
ये आरोप लगे थे-
मेवाणी के साथ 30 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की गैरकानूनी सभा, दंगा करने, लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुंचाने और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया था।
उन पर रेलवे अधिनियम की धारा 153 के तहत भी मामला दर्ज किया गया था, जो लापरवाही भरे कृत्य से रेल यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालने से संबंधित है। मेवाणी वडगाम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक हैं और गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक हैं।
पिछले साल नवंबर में, मेवाणी और छह अन्य को 2016 में उनके खिलाफ अहमदाबाद में इन्कम टैक्स चौराहे पर गैरकानूनी सभा, दंगा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए दर्ज एक अन्य मामले में बरी कर दिया गया था।
पुलिस की अनुमति के बिना प्रदर्शन आयोजित करने के आरोप में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया गया था और उन पर पुलिस वाहन में तोड़फोड़ करने, अव्यवस्थित आचरण करने और दंगा करने का आरोप लगाया गया था। वे अहमदाबाद नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
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अहमदाबाद: गुजरात की एक मेट्रोपॉलिटन अदालत ने गत मंगलवार को कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी और 30 अन्य को 2017 के एक मामले में बरी कर दिया है। उनके ऊपर साल 2017 में राज्य सरकार की नीतियों के विरोध में एक ट्रेन को अवरुद्ध करने का आरोप लगा था।
जिग्नेश मेवाणी समेत 30 अन्य को अदालत ने किया बरी
द मूकनायक की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी की अदालत ने कांग्रेस के दलित नेता मेवाणी को बरी किया है। अहमदाबाद पुलिस ने 2017 में मेवाणी और अन्य के खिलाफ रेल रोको प्रदर्शन के तहत राजधानी ट्रेन को 20 मिनट तक कालूपुर रेलवे स्टेशन पर अवरुद्ध करने के लिए मामला दर्ज किया था। यह प्रदर्शन राज्य सरकार के नीतियों के खिलाफ किया गया था।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार मेवाणी और अन्य 30 के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। 31 में से 30 आरोपी महिला थीं। उनके खिलाफ रेलवे एक्ट की धारा 153 के तहत मामला दर्ज किया गया था। साल 2021 में एक सत्र अदालत ने मेवाणी को बरी करने से इनकार कर दिया था। पिछले साल नवंबर में मेवाणी और छह अन्य को अहमदाबाद के इनकम टैक्स चौराहे पर 2016 में दंगा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और गैरकानूनी जमावड़ा करने के मामले से बरी किया गया था।
ये आरोप लगे थे-
मेवाणी के साथ 30 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की गैरकानूनी सभा, दंगा करने, लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुंचाने और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया था।
उन पर रेलवे अधिनियम की धारा 153 के तहत भी मामला दर्ज किया गया था, जो लापरवाही भरे कृत्य से रेल यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालने से संबंधित है। मेवाणी वडगाम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक हैं और गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक हैं।
पिछले साल नवंबर में, मेवाणी और छह अन्य को 2016 में उनके खिलाफ अहमदाबाद में इन्कम टैक्स चौराहे पर गैरकानूनी सभा, दंगा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए दर्ज एक अन्य मामले में बरी कर दिया गया था।
पुलिस की अनुमति के बिना प्रदर्शन आयोजित करने के आरोप में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया गया था और उन पर पुलिस वाहन में तोड़फोड़ करने, अव्यवस्थित आचरण करने और दंगा करने का आरोप लगाया गया था। वे अहमदाबाद नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
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