नोटबंदी की टूटी कमर, एक साल में भारतीयों ने स्विस बैंक में जमा कराए 7000 करोड़ रुपये

Written by Girish Malviya | Published on: June 29, 2018
कल स्विट्जरलैंड से खबर आयी कि स्विस नेशनल बैंक की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों को मुताबिक 2017 के दौरान बैंक में जमा होने वाले भारतीयों के पैसों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. काले धन के खिलाफ अभियान के बावजूद स्विस बैंकों में भारतीयों के धन में हुई वृद्धि हैरान करने वाली खबर हैं.



ओर दूसरी खबर रिजर्व बैंक की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट की थी जिसमे कहा गया कि पहले से बिगड़ी बैंकिंग व्यवस्था के लिए अभी ओर भी ज्यादा खराब दिन आने वाले हैं मार्च 2019 तक एनपीए 12.2 फीसदी पर पहुंच सकता है. यह पिछले वित्त वर्ष के 11.6% से ज्यादा होगा. यानी इस डूबती हुई बैंकिंग व्यवस्था का सरकार के 2.11 लाख करोड़ रुपये डालने का कोई सकरात्मक प्रभाव नही पड़ने वाला, जबकि मोदी सरकार के मंत्री यह कहते हुए सामने आये थे कि बैंकिंग के बुरे दिन समाप्त हो गए हैं.

आरएसएस के प्रिय आर्थिक समीक्षक और तमिल पत्रिका ‘तुगलक’ के संपादक गुरूमूर्ति ने नोटबंदी को वित्तीय पोखरण बताया था.

लेकिन उन्हीं गुरुमूर्ति ने कुछ महीनों में ही इसकी विफलता को महसूस कर लिया था मद्रास स्कूल ऑफ इक्नॉमिक्स में नोटबंदी के विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि चाहे फंसे हुए कर्ज (एन.पी.ए.) को लेकर हो या मुद्रा के संबंध में। सरकार को जल्द कोई फैसला लेना होगा, मैं यहां सरकार का बचाव करने नहीं आया हूं। नोटबंदी के फायदे थे लेकिन उस पर इतना खराब अमल हुआ कि काला धन रखने वाले बच गए। नकदी के खत्म होने से आर्थिकी के उस अनौपचारिक क्षेत्र को लकवा मार गया है जो 90 प्रतिशत रोजगार देता था और जिसको 95 प्रतिशत पूंजी बैंकों के बाहर से मिलती है। नतीजतन कुल उपभोग और रोजगार जड़ हो गया है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे आईजी पटेल ने नोटबंदी के निर्णय को कालेधन से जोड़ने पर कहा था कि , सूटकेस और तकिये के भीतर काले धन के दबे होने की सोच अपने आप में काफी सरल है.ज़ाहिर है, फिलहाल तो ऐसी ही सरल सोच से काम लिया जा रहा है.........

नोटबंदी के फैसले का पुरजोर समर्थन करने वाले दक्षिणपंथी मैगजीन ‘स्‍वराज्‍य’ के संपादक आर जगन्‍नाथन ने भी सात महीने बाद ही यह मान लिया था कि उन्‍होंने इस बारे में गलत अनुमान लगाया, जगन्‍नाथन ने मैगजीन में लिखे एक लेख में लिखा कि ‘यह मिया कल्‍पा (गलती मानने) का समय है'

मुझे लगता है कि नोटबंदी के बहीखाते में लाभ के मुकाबले हानि का कॉलम ज्‍यादा भरा है. यह (नोटबंदी) फेल हो गया.”

जगन्‍नाथन के मुताबिक, ”नोटबंदी से इतना नुकसान होगा जितना पहले कभी नहीं हुआ। लगातार पड़े दो सूखों ने भी नोटबंदी जितना आघात नहीं पहुंचाया था। पिछले तीन सालों में मोदी सरकार द्वारा दिखाया गया अच्‍छा काम राज्‍य सरकार के समाजवादी के बुलबुले से धुल जाएगा.”

जगन्‍नाथन ने नरेंद्र मोदी के बारे में लिखा था, ”काले धन की कमर तोड़ने के लिए कड़े फैसले लेने वाले बोल्‍ड नेता जैसा बनने की सोचना अच्‍छा है, मगर यह ठीक बात नहीं कि इसे आधे-अधूरे तरीके से किया जाए और उस काम में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की कमर तोड़ दी जाए.”

आज जो हो रहा है वो सबको दिख रहा हैं निष्कर्ष स्वरूप कोई कमेन्ट लिखने की जरूरत ही नही है .

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