जीएसटी और नोटबन्दी ने इस देश को बर्बाद कर दिया है। क्या आप यकीन करेंगे कि मध्यप्रदेश में आज से पेट्रोल डीजल की कीमत में लगभग साढ़े चार रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई है। केंद्र की मोदी सरकार ने 1 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई तो मध्यप्रदेश सरकार ने भी 2 रुपये की एडिशनल ड्यूटी लगा दी।
कल सुबह जब बजट में पेट्रोल डीजल पर टैक्स लगाने की खबर आई तो हमने यही सोचा था कि 1 रुपये कर बढ़ा है कोई बात नही थोड़ी देर बाद पता चला कि 1 नही 2 रुपये कर बढ़ा है शाम तक पता चला कि 2 भी नही दरअसल ढाई रुपये बढ़ जाएंगे हमने फिर भी दिल कट्ठा कर लिया लेकिन सुबह पता चला कि हमारे यहाँ तो कीमत प्रति लीटर साढ़े चार रु बढ़ गयी है। यह बहुत बड़ा झटका है।
मध्यप्रदेश सरकार का कहना है कि मोदी सरकार ने केंद्रीय करो में में मध्यप्रदेश का हिस्सा में करीब 2677 करोड़ रुपये कम दिया है।
मध्यप्रदेश सरकार झूठ नही बोल रही है लगातार अपनी वाल पर लिख रहा हूँ कि जीएसटी ने राज्यों के लिए टैक्स लगाने के विकल्प सीमित कर दिए हैं। जीएसटी लागू होने के बाद राज्य का राजस्व घाटा बढ़कर 20 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
केंद्र की भी हालत बहुत अच्छी नही है दोषपूर्ण आर्थिक नीतियों के कारण पिछले एक साल में डेढ लाख करोड रुपये का राजस्व का घाटा हुआ है और बड़ी तादाद में जीएसटी रिटर्न नहीं भरे जा रहे जिसकी वजह से राजस्व का लोप हो रहा है।
सदन में झूठी रिपोर्ट पेश की जा रहीं है जनता को भरम में रखा जा रहा है। सरकार ने बजट 2018-19 में अनुमान लगाया था कि सरकार को पूरे वित्त वर्ष में 6.24 करोड़ रुपए का घाटा होगा, लेकिन नवबंर 2018 में ही यह 7.16 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया था लेकिन बाद में आंकड़ों की बाजीगरी दिखाकर इसे एडजस्ट किया गया वित्तमंत्री अब बोल रही है कि हमने जितना अनुमान लगाया था उतना ही घाटा हुआ है यदि सब कुछ आपकी योजना के मुताबिक ही चल रहा है तो पेट्रोल डीजल पर यह अतिरिक्त कर क्यो लगाया जा रहा है?
राज्यों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। GST लागू होने के बाद से राज्यों की आय में 14 से 37 फीसदी की कमी हुई है। GST लागू होने के बाद मध्यप्रदेश पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, गोवा, बिहार, गुजरात और दिल्ली की आय में कमी हुई है। अप्रैल, 2018 से नवंबर, 2018 के बीच इन राज्यों की आय में 14-37 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है, जबकि जीएसटी लागू होने के बाद केवल आंध्रप्रदेश और पूर्वोत्तर के पांच राज्य मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, सिक्किम और नागालैंड की आय बढ़ी है।
वैट व्यवस्था के तहत कर्नाटक औसतन 10 से 12 प्रतिशत राजस्व वृद्धि हासिल कर रहा था- लेकिन जीएसटी के बाद राजस्व घाटा अनुमानित वृद्धि के समक्ष 20 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया।
फिलहाल राज्य जीएसटी लागू होने के बाद पहले पांच साल के लिये क्षतिपूर्ति पाने के हकदार हैं- जीएसटी जुलाई 2017 में लागू हुआ इस लिहाज से राजस्व क्षतिपूर्ति व्यवस्था 2022 तक लागू रहेगी इस व्यवस्था में राज्यों के 2015-16 के राजस्व संग्रह को आधार माना गया है तथा सरकार ने हर वर्ष उनका मानक राजस्व तय करने के लिए 14 प्रतिशत सालाना राजस्व वृद्धि का सूत्र अपनाया है। सालाना 14 प्रतिशत जोड़ने के बाद इस आंकड़े से जितना कम संग्रह होगा उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी।
यह क्षतिपूर्ति की रकम भी केंद्र सरकार ठीक से दे नही पा रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि 2022 के बाद क्या होगा जब राजस्व घाटे की यह क्षतिपूर्ति की रकम भी उसे मिलनी बन्द हो जाएगी? उसके पास बस अपनी आय बढ़ाने के लिए पेट्रोल डीजल, पानी, टोल, स्टॉम्प ड्यूटी जैसी चीजें रह जाएगी तब इन पर ओर भी ज्यादा कर लगाए जाएंगे और हमारे पास अपना सिर पीटने के अलावा कोई रास्ता नही होगा।
कल सुबह जब बजट में पेट्रोल डीजल पर टैक्स लगाने की खबर आई तो हमने यही सोचा था कि 1 रुपये कर बढ़ा है कोई बात नही थोड़ी देर बाद पता चला कि 1 नही 2 रुपये कर बढ़ा है शाम तक पता चला कि 2 भी नही दरअसल ढाई रुपये बढ़ जाएंगे हमने फिर भी दिल कट्ठा कर लिया लेकिन सुबह पता चला कि हमारे यहाँ तो कीमत प्रति लीटर साढ़े चार रु बढ़ गयी है। यह बहुत बड़ा झटका है।
मध्यप्रदेश सरकार का कहना है कि मोदी सरकार ने केंद्रीय करो में में मध्यप्रदेश का हिस्सा में करीब 2677 करोड़ रुपये कम दिया है।
मध्यप्रदेश सरकार झूठ नही बोल रही है लगातार अपनी वाल पर लिख रहा हूँ कि जीएसटी ने राज्यों के लिए टैक्स लगाने के विकल्प सीमित कर दिए हैं। जीएसटी लागू होने के बाद राज्य का राजस्व घाटा बढ़कर 20 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
केंद्र की भी हालत बहुत अच्छी नही है दोषपूर्ण आर्थिक नीतियों के कारण पिछले एक साल में डेढ लाख करोड रुपये का राजस्व का घाटा हुआ है और बड़ी तादाद में जीएसटी रिटर्न नहीं भरे जा रहे जिसकी वजह से राजस्व का लोप हो रहा है।
सदन में झूठी रिपोर्ट पेश की जा रहीं है जनता को भरम में रखा जा रहा है। सरकार ने बजट 2018-19 में अनुमान लगाया था कि सरकार को पूरे वित्त वर्ष में 6.24 करोड़ रुपए का घाटा होगा, लेकिन नवबंर 2018 में ही यह 7.16 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया था लेकिन बाद में आंकड़ों की बाजीगरी दिखाकर इसे एडजस्ट किया गया वित्तमंत्री अब बोल रही है कि हमने जितना अनुमान लगाया था उतना ही घाटा हुआ है यदि सब कुछ आपकी योजना के मुताबिक ही चल रहा है तो पेट्रोल डीजल पर यह अतिरिक्त कर क्यो लगाया जा रहा है?
राज्यों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। GST लागू होने के बाद से राज्यों की आय में 14 से 37 फीसदी की कमी हुई है। GST लागू होने के बाद मध्यप्रदेश पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, गोवा, बिहार, गुजरात और दिल्ली की आय में कमी हुई है। अप्रैल, 2018 से नवंबर, 2018 के बीच इन राज्यों की आय में 14-37 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है, जबकि जीएसटी लागू होने के बाद केवल आंध्रप्रदेश और पूर्वोत्तर के पांच राज्य मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, सिक्किम और नागालैंड की आय बढ़ी है।
वैट व्यवस्था के तहत कर्नाटक औसतन 10 से 12 प्रतिशत राजस्व वृद्धि हासिल कर रहा था- लेकिन जीएसटी के बाद राजस्व घाटा अनुमानित वृद्धि के समक्ष 20 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया।
फिलहाल राज्य जीएसटी लागू होने के बाद पहले पांच साल के लिये क्षतिपूर्ति पाने के हकदार हैं- जीएसटी जुलाई 2017 में लागू हुआ इस लिहाज से राजस्व क्षतिपूर्ति व्यवस्था 2022 तक लागू रहेगी इस व्यवस्था में राज्यों के 2015-16 के राजस्व संग्रह को आधार माना गया है तथा सरकार ने हर वर्ष उनका मानक राजस्व तय करने के लिए 14 प्रतिशत सालाना राजस्व वृद्धि का सूत्र अपनाया है। सालाना 14 प्रतिशत जोड़ने के बाद इस आंकड़े से जितना कम संग्रह होगा उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी।
यह क्षतिपूर्ति की रकम भी केंद्र सरकार ठीक से दे नही पा रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि 2022 के बाद क्या होगा जब राजस्व घाटे की यह क्षतिपूर्ति की रकम भी उसे मिलनी बन्द हो जाएगी? उसके पास बस अपनी आय बढ़ाने के लिए पेट्रोल डीजल, पानी, टोल, स्टॉम्प ड्यूटी जैसी चीजें रह जाएगी तब इन पर ओर भी ज्यादा कर लगाए जाएंगे और हमारे पास अपना सिर पीटने के अलावा कोई रास्ता नही होगा।