समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर भाजपा सरकार को निशाना बनाया है। यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है जब घरेलू उपभोक्ताओं उद्यमियों दुकानदारों किसानों और गरीबों को एक साथ बिजली की बढ़ी दरों के शिकंजे में कस दिया गया है। इसका दर्द छोटा व्यापारी दुकानदार और किसान झेलेगा जो अब दुकान के खर्चों कृषि कार्यों के अलावा घर के खर्चों की मार भी सहेगा।
उन्होंने कहा कि इससे तो प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी ही शहरी उपभोक्ता का भी बजट बिजली की बढ़ी दरों से बिगड़ जाएगा। भाजपा सरकार ने जनता के साथ क्रूर व्यवहार कर जता दिया है कि उसमें जनकल्याण की भावना नहीं हैं उसका लक्ष्य सिर्फ जनता की जेब के पैसे लूटना भर है। भाजपा को यह फैसला महंगा पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि एक तरफ घटती आय मांग और बढ़ती लागत की वजह से देश की उत्पादकता दर लगातार नीचे जा रही हैए वहीं प्रदेश में बिजली दरें ऊपर जा रही हैं। भाजपा सरकार ने बिजली दरों में 15 फीसद तक की वृद्धि कर प्रदेश के करीब पौने तीन करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका दिया है। ग्रामीण कृषि श्रेणी के उपभोक्ताओं को पहले से 15 फीसद अधिक बिजली बिल का भुगतान करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि पहले ही व्यापारी और दुकानदार नोटबंदी और जीएसटी से परेशान है और अब बढ़ा बिजली का खर्च परेशानियां को और बढ़ा देगा। जनरेशनए मेंटीनेंसए तकनीकी लास को रोकने में यूपी पावर कारपोरेशन की विफलता को ढकने के लिए ही कोयले की कीमत में बढ़ोत्तरी और बिजली के उत्पादन लागत में वृद्धि का बहाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इससे तो प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी ही शहरी उपभोक्ता का भी बजट बिजली की बढ़ी दरों से बिगड़ जाएगा। भाजपा सरकार ने जनता के साथ क्रूर व्यवहार कर जता दिया है कि उसमें जनकल्याण की भावना नहीं हैं उसका लक्ष्य सिर्फ जनता की जेब के पैसे लूटना भर है। भाजपा को यह फैसला महंगा पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि एक तरफ घटती आय मांग और बढ़ती लागत की वजह से देश की उत्पादकता दर लगातार नीचे जा रही हैए वहीं प्रदेश में बिजली दरें ऊपर जा रही हैं। भाजपा सरकार ने बिजली दरों में 15 फीसद तक की वृद्धि कर प्रदेश के करीब पौने तीन करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका दिया है। ग्रामीण कृषि श्रेणी के उपभोक्ताओं को पहले से 15 फीसद अधिक बिजली बिल का भुगतान करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि पहले ही व्यापारी और दुकानदार नोटबंदी और जीएसटी से परेशान है और अब बढ़ा बिजली का खर्च परेशानियां को और बढ़ा देगा। जनरेशनए मेंटीनेंसए तकनीकी लास को रोकने में यूपी पावर कारपोरेशन की विफलता को ढकने के लिए ही कोयले की कीमत में बढ़ोत्तरी और बिजली के उत्पादन लागत में वृद्धि का बहाना बनाया जा रहा है।