जयपुर। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के तिलस्वां में एक कांग्रेस नेता की खदान पर बागवानी का काम करने वाले मजदूर गंगाराम बलाई को पेड़ से बांधकर ज़िंदा जला कर मार डाला गया।
मजदूर के शव का पूरा फोटो नहीं लगाया गया है।
मृतक शाहपुरा क्षेत्र के ईटमारिया गांव का निवासी था। घटना बिजोलिया थाना क्षेत्र के बहादुर जी का खेड़ा के पास जंगल की है। मृतक का शव एक सूखे पेड़ के नीचे पड़ा था। पेड़ भी अधजला है और बाइक के टायरों के तारों से शव इसके लिपटा था।
पुलिस ने प्रारंभिक तौर पर इसे आत्महत्या माना है। जबकि परिजनों ने पुलिस को लिखित शिकायत देकर हत्या की आशंका जताई है। परिजन मुआवजे की मांग पर अड़ गए। एफएसएल टीम ने भी सबूत लिए हैं। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद शाम को शव परिजनों को सौंप दिया गया।
पुलिस के अनुसार पास पड़े मिले आधार कार्ड से शिनाख्त गंगाराम (65) पुत्र बरदा बलाई निवासी उम्मेदनगर (शाहपुरा) के रूप में हुई। वह बहादुरजी का खेड़ा में पत्थर कारोबारी कंपनी कैलाश माइनिंग में 3 साल से बागवानी का काम करता था। इसी कार्यालय के सामने सड़क के दूसरी तरफ कुछ ही दूर पेड़ के पास शव मिला।
भतीजे मदनलाल ने पुलिस को बताया कि चाचा गंगाराम करीब 30 साल से तिलस्वां क्षेत्र में ही मजदूरी कर रहा था। करीब 27 साल तक तिलस्वा महादेव मंदिर की बगीची में बागवानी की। पिछले 3 साल से वह बहादुरजी का खेड़ा में कंपनी एवं तिलस्वा महादेव में बन रही सराय के काम काम पर जा रहा था। गंगाराम शादीशुदा नहीं था।
यह प्रकरण अभी पुलिस के प्रारंभिक बयान और परिजनों की ओर से उठाए गए सवालों के आधार पर ही टिका है। पुलिस की जांच में कई खुलासे संभव है। पुलिस यह जानना चाहेगी कि आखिर एक बागवान इस तरह आत्महत्या क्यों करेगा या उसकी किसी ने जान ली तो क्यों?
पुलिस को उसके साथ काम करने वाले लोगों ने बताया कि गंगाराम को पेड़-पौधों को पालने का शौक था। तिलस्वां महादेव मंदिर में नौकरी के दौरान शिवजी की बाड़ी डवलप की, जहां से भगवान को पुष्प चढाए जाते हैं। इसके बाद उसने एक और सराय में फुलवारी और गार्डन डवलप किया। उसके काम को देखते हुए एक अन्य धर्मशाला में भी उसे चौकीदारी का काम मिल गया। करीब एक साल पहले गंगाराम यहां आ गया, जहां भी उसने गार्डन डवलप किया था।
चौकी इंचार्ज का कहना है कि एक दिन पहले बिजौलिया से एक सहकर्मी उसके पास आया और गंगाराम से पूछा कि बुझे-बुझे कैसे दिख रहे हो। इस पर उसने कहा कि दो-तीन दिन की और बात हैं। पुलिस का कहना है कि आखिर गंगाराम ने ऐसा क्यों बोला। हम इस दिशा में जांच करेंगे कि क्या वह किसी बात को लेकर परेशान तो नहीं था।
गंगाराम 27 साल से तिलस्वां क्षेत्र में काम कर रहा था... तिलस्वां के लोगों ने बताया कि गंगाराम स्वभाव से सरल था। वह 27 साल तक तिलस्वा में ही बगीची में काम करता रहा। मंदिर में भोग व भक्तों की ओर से होने वाली परसादी से ही गुजारा कर लेता था। हर दिन की तरह उसने शुक्रवार तड़के भी कंपनी के कर्मचारियों के लिए चाय बनाई थी। इसके बाद वह बाहर निकल गया था। पुलिस को सुबह करीब 6 बजे उसका शव पड़ा होने की सूचना मिली।
गांव में सुबह 9 बजे उसके भाई नारायण बलाई, भतीजे व अन्य परिजनों को सूचना मिली। ये मौके पर पहुंचे और हत्या का आरोप लगाते हुए मुआवजे की मांग करने लगे। शाम तक पुलिस और परिजनों में समझाइश के दौर चले। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद शव गांव ले जाया गया। पुलिस ने परिजनों को भरोसा दिया है कि मामले की गंभीरता से पूरी जांच करके स्थिति स्पष्ट की जाएगी।
(इनपुट- मीडिया एवं सोशल मीडिया से साभार)
मजदूर के शव का पूरा फोटो नहीं लगाया गया है।
मृतक शाहपुरा क्षेत्र के ईटमारिया गांव का निवासी था। घटना बिजोलिया थाना क्षेत्र के बहादुर जी का खेड़ा के पास जंगल की है। मृतक का शव एक सूखे पेड़ के नीचे पड़ा था। पेड़ भी अधजला है और बाइक के टायरों के तारों से शव इसके लिपटा था।
पुलिस ने प्रारंभिक तौर पर इसे आत्महत्या माना है। जबकि परिजनों ने पुलिस को लिखित शिकायत देकर हत्या की आशंका जताई है। परिजन मुआवजे की मांग पर अड़ गए। एफएसएल टीम ने भी सबूत लिए हैं। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद शाम को शव परिजनों को सौंप दिया गया।
पुलिस के अनुसार पास पड़े मिले आधार कार्ड से शिनाख्त गंगाराम (65) पुत्र बरदा बलाई निवासी उम्मेदनगर (शाहपुरा) के रूप में हुई। वह बहादुरजी का खेड़ा में पत्थर कारोबारी कंपनी कैलाश माइनिंग में 3 साल से बागवानी का काम करता था। इसी कार्यालय के सामने सड़क के दूसरी तरफ कुछ ही दूर पेड़ के पास शव मिला।
भतीजे मदनलाल ने पुलिस को बताया कि चाचा गंगाराम करीब 30 साल से तिलस्वां क्षेत्र में ही मजदूरी कर रहा था। करीब 27 साल तक तिलस्वा महादेव मंदिर की बगीची में बागवानी की। पिछले 3 साल से वह बहादुरजी का खेड़ा में कंपनी एवं तिलस्वा महादेव में बन रही सराय के काम काम पर जा रहा था। गंगाराम शादीशुदा नहीं था।
यह प्रकरण अभी पुलिस के प्रारंभिक बयान और परिजनों की ओर से उठाए गए सवालों के आधार पर ही टिका है। पुलिस की जांच में कई खुलासे संभव है। पुलिस यह जानना चाहेगी कि आखिर एक बागवान इस तरह आत्महत्या क्यों करेगा या उसकी किसी ने जान ली तो क्यों?
पुलिस को उसके साथ काम करने वाले लोगों ने बताया कि गंगाराम को पेड़-पौधों को पालने का शौक था। तिलस्वां महादेव मंदिर में नौकरी के दौरान शिवजी की बाड़ी डवलप की, जहां से भगवान को पुष्प चढाए जाते हैं। इसके बाद उसने एक और सराय में फुलवारी और गार्डन डवलप किया। उसके काम को देखते हुए एक अन्य धर्मशाला में भी उसे चौकीदारी का काम मिल गया। करीब एक साल पहले गंगाराम यहां आ गया, जहां भी उसने गार्डन डवलप किया था।
चौकी इंचार्ज का कहना है कि एक दिन पहले बिजौलिया से एक सहकर्मी उसके पास आया और गंगाराम से पूछा कि बुझे-बुझे कैसे दिख रहे हो। इस पर उसने कहा कि दो-तीन दिन की और बात हैं। पुलिस का कहना है कि आखिर गंगाराम ने ऐसा क्यों बोला। हम इस दिशा में जांच करेंगे कि क्या वह किसी बात को लेकर परेशान तो नहीं था।
गंगाराम 27 साल से तिलस्वां क्षेत्र में काम कर रहा था... तिलस्वां के लोगों ने बताया कि गंगाराम स्वभाव से सरल था। वह 27 साल तक तिलस्वा में ही बगीची में काम करता रहा। मंदिर में भोग व भक्तों की ओर से होने वाली परसादी से ही गुजारा कर लेता था। हर दिन की तरह उसने शुक्रवार तड़के भी कंपनी के कर्मचारियों के लिए चाय बनाई थी। इसके बाद वह बाहर निकल गया था। पुलिस को सुबह करीब 6 बजे उसका शव पड़ा होने की सूचना मिली।
गांव में सुबह 9 बजे उसके भाई नारायण बलाई, भतीजे व अन्य परिजनों को सूचना मिली। ये मौके पर पहुंचे और हत्या का आरोप लगाते हुए मुआवजे की मांग करने लगे। शाम तक पुलिस और परिजनों में समझाइश के दौर चले। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद शव गांव ले जाया गया। पुलिस ने परिजनों को भरोसा दिया है कि मामले की गंभीरता से पूरी जांच करके स्थिति स्पष्ट की जाएगी।
(इनपुट- मीडिया एवं सोशल मीडिया से साभार)