असहमति को 'देश विरोधी' कहना लोकतंत्र की आत्मा पर चोट- जस्टिस चंद्रचूड़

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 17, 2020
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शांतिपूर्वक चलने वाले विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करता हुआ एक बड़ा बयान दिया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी बता देना लोकतंत्र पर हमला है। उन्होंने कहा कि विचारों को दबाना देश की अंतरात्मा को दबाना है। अहमदाबाद में गुजरात हाई कोर्ट के ऑडिटोरियम में 15वें पी. डी. मेमोरियल लेक्चर में डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 'असहमति' को लोकतंत्र का 'सेफ्टी वॉल्व' भी बताया।



जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि असहमति पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल डर की भावना पैदा करता है। उन्होंने कहा, 'असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी करार देना संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण एवं विचार-विमर्श करने वाले लोकतंत्र को बढ़ावा देने के प्रति देश की प्रतिबद्धता की मूल भावना पर चोट करती है।'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि असहमति का संरक्षण करना इस बात की याद दिलाता है कि लोकतांत्रिक रूप से एक निर्वाचित सरकार हमें विकास और सामाजिक समन्वय के लिए एक सही टूल देती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार उन मूल्यों और पहचानों पर कभी एकाधिकार का दावा नहीं कर सकती जो हमारी बहुलवादी समाज को परिभाषित करती हैं।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने 15 वें, न्यायमूर्ति पीडी देसाई स्मारक व्याख्यान में 'भारत को निर्मित करने वाले मतों: बहुलता से बहुलवाद तक' विषय पर बोलते हुए आगे कहा कि सवाल करने की गुंजाइश को खत्म करना और असहमति को दबाना सभी तरह की प्रगति- राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक बुनियाद को नष्ट कर देता है। इस मायने में असहमति लोकतंत्र का एक 'सेफ्टी वॉल्व' है।

सुप्रीम कोर्ट के जज ने आगे कहा, "असहमति पर प्रहार संवाद आधारित लोकतांत्रिक समाज के मूल विचार पर चोट करता है। इस तरह किसी सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वह अपनी मशीनरी को कानून के दायरे में विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संरक्षण के लिए तैनात करे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने या डर की भावना पैदा करने की किसी भी कोशिश को नाकाम करे।"

 

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