दलित साहित्यकार ने गुजरात सरकार के अवॉर्ड को क्यों मारी लात?

Published on: May 27, 2017
गुजरात। गुजरात में कई सालों से दलितों और मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहे हैं। वहीं देश में जबसे भाजपा की सरकार बनी है तब से दलितों और मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों में कई गुना की बढ़ोत्तरी हो गई है। गुजरात में ऊना कांड के दौरान दलितों को बुरी तरह से पीटा गया। इसके बाद अब यूपी के सहारनपुर में दलितों पर नरसंहार किया गया। इसके विरोध में प्रखर अंबेडकरवादी जानेमन लेखक पत्रकार एवं दलित कर्मशील डॉक्टर सुनील जाधव ने गुजरात सरकार द्वारा दिया गया अपना "महात्मा फुले श्रेष्ठता दलित पत्रकार अवार्ड" वापिस लौटा दिया है। 



जाधव को साल 2011 में “महात्मा फुले श्रेष्ठता दलित पत्रकार अवार्ड” मिला था। अवॉर्ड के एक हिस्से के रूप में 25 हजार रुपये का चेक भी दिया गया था। जाधव अपना अवॉर्ड वापिस करने का फैसला लेने के बाद राजकोट में भीम आर्मी की रैली में भी शामिल हुए। रैली जिला कलेक्टर विक्रम पांडे के दफ्तर पर आयोजित कराई गई थी। कलेक्ट्रेट पर संगठन द्वारा दलितों के खिलाफ हुए कथित अत्याचार के मामलों को लेकर शिकायत की गई। 
 
लिखित शिकायत में जाधव ने कहा- “केंद्र और राज्य सरकारें दलितों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोक पाने में नाकाम साबित हो रही हैं। मैं ऊना में दलितों के खिलाफ हुए अत्याचार के मामले को लेकर बहुत आहत हुआ था। वहीं हाल ही में सहारनपुर और शब्बीरपुर में दलितों के खिलाफ हुई हिंसा से भी मैं बहुत आहत हूं।” जाधव ने आगे कहा- “ऊना में हुई वारदात के बाद गुजरात सरकार दलितों की रक्षा कर पाने में नाकाम साबित हुई है।”
 
गौरतलब है बीते एक महीने से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में तनाव की स्थिति बनी हुई है और कई हिंसक वारदातें हो चुकी हैं। बीते 6 मई को शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर डीजे बजाने को लेकर राजपूत और दलित समाज में विवाद होने के बाद हिंसा भड़क गई थीं। जिसके बाद ठाकुरों ने दलितों के 60 से ज्यादा घरों को आग लगा दी थी। वहीं मायावती के दौरे के बाद ठाकुरों द्वारा किए गए हमले में 2 दलितों की मौत हो गई थी, और दो दर्जन से ज्यादा लोग अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

Courtesy: National Dastak

बाकी ख़बरें