यह घटना शिव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान हुई जहां दलितों को इससे दूर रखा गया।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने गुजरात के बनासकांठा जिले के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को एक तत्काल नोटिस जारी किया है, जिसमें हाल ही में वाव तालुका के कल्याणपुरा में एक मंदिर उत्सव से दलितों को दूर रखने के मामले को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह घटना शिव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान हुई, जहां दलितों को दूर रखा गया।
हिंदू जागृति संगठनों द्वारा उन्हें शामिल करने के प्रयासों के बावजूद, दलितों के योगदान को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया, जिससे आयोग को त्वरित कार्रवाई करने के लिए मजबूर होन पड़ा।
कल्याणपुरा गांव में 8 से 10 फरवरी तक आयोजित प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव दलितों को बाहर रखने के बाद विवादों में घिर गया।
यह मामला 16 जनवरी को सामने आया, जब गांधीनगर के इंद्रजीतसिंह सोधा को इस भेदभाव के बारे में जानकारी मिली।
मामले को सुलझाने के प्रयास 25 जनवरी को शुरू हुए जब इंद्रवदन बारोट और शंकरभाई पटेल ने कल्याणपुरा का दौरा किया और मंदिर के मुख्य प्रशासक भलाभाई दैया से मुलाकात की, जिन्होंने मंदिर समिति से परामर्श करने का वादा किया। हालांकि, कोई समाधान नहीं हुआ और अनुसूचित जाति के नेताओं के साथ आगे की बातचीत के बावजूद दैया ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
हिंदू युवा संगठन-भारत द्वारा 5 और 6 फरवरी को स्थानीय अधिकारियों को लिखित ज्ञापन सौंपने के बाद प्रयास तेज हो गए। मामलतदार ने कार्यक्रम के लिए मंजूरी देने से इनकार कर दिया, जबकि 4 फरवरी को सुईगाम पीएसआई ने आयोजकों से कहा फिर भी कोई बदलाव नहीं हुआ। जैसे-जैसे तनाव बढ़ता गया, 7 फरवरी को डीवाईएसपी समत वरोत्रिया को जानकारी दी गई और मध्यस्थता करने की कोशिश की गई, लेकिन दलित समुदाय के योगदान को अस्वीकार कर दिया गया। महोत्सव के लिए पुलिस अधीक्षक और दो पीएसआई सहित पुलिस बल तैनात किया गया था।
9 फरवरी को इंद्रवदन बारोट ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर और सामाजिक न्याय मंत्री तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सहित कई अधिकारियों को प्रतियां भेजकर इस मुद्दे को राज्य सरकार के संज्ञान में लाया।
8 फरवरी को महोत्सव का समापन हुआ, जिसमें दलित समुदाय ने शांति बनाए रखते हुए न्याय के लिए लगातार लड़ाई लड़ी। जवाब में, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने बनासकांठा के कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी।
ज्ञात हो कि दलितों के साथ भेदभाव के मामले लगातार देश भर में सामने आते रहते हैं। हाल ही में तमिलनाडु में बुलेट मोटरसाइकिल चलाने को लेकर उच्च जाति के दबंगों ने दलित युवक से बदसलूकी और उनसे मारपीट की।
तमिलनाडु के सिवागंगा जिले के मेलापिडावुर गांव में बुधवार शाम 21 वर्षीय दलित छात्र पर जातिवादियों द्वारा मोटरसाइकिल चलाने को लेकर हमला किया गया। पीड़ित आर. अय्यासामी को दोनों हाथों में गंभीर चोटें आई हैं और उनका इलाज मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल में किया गया।
पुलिस के हवाले से द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, अय्यासामी अपनी मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे, तभी उसी गांव के तीन युवकों ने उन्हें रोक लिया और धारदार हथियारों से हमला कर दिया। आरोपी युवक का नाम आर. विनोदकुमार (21), ए. अतीश्वरन (22) और एम. वल्लारासु (21) है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने गुजरात के बनासकांठा जिले के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को एक तत्काल नोटिस जारी किया है, जिसमें हाल ही में वाव तालुका के कल्याणपुरा में एक मंदिर उत्सव से दलितों को दूर रखने के मामले को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह घटना शिव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान हुई, जहां दलितों को दूर रखा गया।
हिंदू जागृति संगठनों द्वारा उन्हें शामिल करने के प्रयासों के बावजूद, दलितों के योगदान को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया, जिससे आयोग को त्वरित कार्रवाई करने के लिए मजबूर होन पड़ा।
कल्याणपुरा गांव में 8 से 10 फरवरी तक आयोजित प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव दलितों को बाहर रखने के बाद विवादों में घिर गया।
यह मामला 16 जनवरी को सामने आया, जब गांधीनगर के इंद्रजीतसिंह सोधा को इस भेदभाव के बारे में जानकारी मिली।
मामले को सुलझाने के प्रयास 25 जनवरी को शुरू हुए जब इंद्रवदन बारोट और शंकरभाई पटेल ने कल्याणपुरा का दौरा किया और मंदिर के मुख्य प्रशासक भलाभाई दैया से मुलाकात की, जिन्होंने मंदिर समिति से परामर्श करने का वादा किया। हालांकि, कोई समाधान नहीं हुआ और अनुसूचित जाति के नेताओं के साथ आगे की बातचीत के बावजूद दैया ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
हिंदू युवा संगठन-भारत द्वारा 5 और 6 फरवरी को स्थानीय अधिकारियों को लिखित ज्ञापन सौंपने के बाद प्रयास तेज हो गए। मामलतदार ने कार्यक्रम के लिए मंजूरी देने से इनकार कर दिया, जबकि 4 फरवरी को सुईगाम पीएसआई ने आयोजकों से कहा फिर भी कोई बदलाव नहीं हुआ। जैसे-जैसे तनाव बढ़ता गया, 7 फरवरी को डीवाईएसपी समत वरोत्रिया को जानकारी दी गई और मध्यस्थता करने की कोशिश की गई, लेकिन दलित समुदाय के योगदान को अस्वीकार कर दिया गया। महोत्सव के लिए पुलिस अधीक्षक और दो पीएसआई सहित पुलिस बल तैनात किया गया था।
9 फरवरी को इंद्रवदन बारोट ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर और सामाजिक न्याय मंत्री तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सहित कई अधिकारियों को प्रतियां भेजकर इस मुद्दे को राज्य सरकार के संज्ञान में लाया।
8 फरवरी को महोत्सव का समापन हुआ, जिसमें दलित समुदाय ने शांति बनाए रखते हुए न्याय के लिए लगातार लड़ाई लड़ी। जवाब में, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने बनासकांठा के कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी।
ज्ञात हो कि दलितों के साथ भेदभाव के मामले लगातार देश भर में सामने आते रहते हैं। हाल ही में तमिलनाडु में बुलेट मोटरसाइकिल चलाने को लेकर उच्च जाति के दबंगों ने दलित युवक से बदसलूकी और उनसे मारपीट की।
तमिलनाडु के सिवागंगा जिले के मेलापिडावुर गांव में बुधवार शाम 21 वर्षीय दलित छात्र पर जातिवादियों द्वारा मोटरसाइकिल चलाने को लेकर हमला किया गया। पीड़ित आर. अय्यासामी को दोनों हाथों में गंभीर चोटें आई हैं और उनका इलाज मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल में किया गया।
पुलिस के हवाले से द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, अय्यासामी अपनी मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे, तभी उसी गांव के तीन युवकों ने उन्हें रोक लिया और धारदार हथियारों से हमला कर दिया। आरोपी युवक का नाम आर. विनोदकुमार (21), ए. अतीश्वरन (22) और एम. वल्लारासु (21) है।
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